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माता-पिता मूकबिधर, लेकिन इलाज के बाद अब बोल सकेगी नौ महीने की मासूम, कोशिश हुई कामयाब
ईएनटी एक्सपर्ट्स ने गुरुग्राम निवासी बच्ची मन्नत के कानों की सफल कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कर उसे सुनने व बोलने की क्षमता का उपहार देकर नया जीवनदान दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
गुरुग्राम में रहने वाली एक नौ महीने की बच्ची की सफल कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कर उसे सुनने और बोलने की क्षमता का उपहार मिला है. नौ महीने की मन्नत जन्म से ही सुन नहीं सकती थी. उसकी मां खुशी व पिता कृष्णा और बुआ भी बचपन से ही मूक और बधिर (Dumb and Deaf) हैं, ऐसे में जेनेटिक कारणों से उसे भी यह समस्या आई, लेकिन उसकी दादी संतोष के प्रयास और आशा के चलते आज उसे एक नया जीवन मिल गया है. अब बच्ची सुनकर प्रति क्रिया भी देती है और बोलने का प्रयास भी करती है.
छह माह की उम्र में परिवार को पता चली बच्ची की समस्या
मन्नत का जन्म 7 मार्च 2023 में हुआ. मन्नत की दादी संतोष ने बताया कि वह छह महीने की थी, जब उन्हें यह अंदेशा हुआ कि मन्नत भी अपने माता पिता की तरह सुन और बोल नहीं सकती. वो घर पर कोई भी आवाज या शोर होने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती थी. वह न आवाज पहचानती, न कुछ सुनकर मुड़ के देखती, अचानक कुछ सुन कर चौंकने जैसी प्रतिक्रिया भी नहीं देती थी. उन्होंने सोचा कि मन्नत के माता पिता भी मूक बधिर हैं, ऐसे में वह इसे कैसे पालेंगे. उन्होंने इस पर विचार करते हुए बिना देरी किए डाक्टरों से संपर्क किया, ताकि वो जल्द सुनने और बोलने लगे. उन्होंने पहले एक स्थानीय ऑडियोलॉजिस्ट की स्क्रीनिंग कराई, जिसके बाद उसे आगे की जांच के लिए सर्वोदय अस्पताल रेफर किया गया.
20 दिन के ईलाज की प्रकिया के बाद सुनने लगी बच्ची
सर्वोदय अस्पताल के विषेषज्ञों ने बिहेवियरल ऑब्जर्वेशन ऑडियोमेट्री (बीओए), टिम्पैनोमेट्री, ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पॉन्स (एबीआर), और ऑडिटरी स्टेडी-स्टेट रिस्पॉन्स (एएसएसआर) सहित विभिन्न जांचों से मन्नत में बधिरता की पुष्टि की. इसके बाद इनर ईयर, ऑडिटरी नर्व, और उसके आसपास में संरचनात्मक असामान्यताओं का पता लगाने के लिए टेम्पोरल बोन के सीटी और एमआरआई स्कैन जैसे इमेजिंग अध्ययन भी किए गए. बच्ची के अंदर बधिरता की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल के ईएनटी और कॉक्लियर इम्प्लांट के डायरेक्टर और हेड डॉ. रवि भाटिया ने कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की सलाह दी. डॉ. भाटिया ने बताया कि मन्नत में सामान्य इंट्राऑपरेटिव प्रतिक्रियाओं के साथ 28 दिसंबर 2024 को उसकी सर्जरी सफल रही और कोई दिक्कत नहीं हुई। मन्नत तेज़ी से रिकवर हुई और अगले दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
सर्जरी के तुरंत बाद ही बच्ची ने आवाज पर प्रति क्रिया देनी की शुरू
परिवार के बताया कि मन्नत ने सर्जरी के तुरंत ऑडिटरी प्रतिक्रियाएं दिखानी शुरू की और तीन सप्ताह की एक्टिवेशन अवधि के बाद उसने आवाजों पर काफी रेस्पांस करना शुरू कर दिया. उसने बड़बड़ाना भी शुरू कर दिया। अगले एक साल तक मन्नत को कॉक्लियर इम्प्लांट फंक्शन का आंकलन करने के लिए नियमित मॉनिटर किया जाएगा.
बच्ची की सर्जरी का पूरा खर्च एक संस्था ने उठाया
डाक्टरों के अनुसार इस सर्जरी का खर्च करीब 10 लाख रुपये तक आता है, लेकिन मन्नत का पूरा ईलाज फ्री में हुआ. द हंस फाउंडेशन ने परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए पूरे सर्जिकल खर्च की जिम्मेदारी खुद उठाई.
भारत में प्रति लाख में से 291 बच्चे जन्म से मूक व बधिर पैदा होते हैं
अस्पताल के मेडिकल एडमिनिस्ट्रेटर डा. सौरभ गहलोत ने बताया कि माता-पिता को अक्सर अपने बच्चों में सुनने की क्षमता में कमी के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं. इस कारण से बच्चे को सही उम्र में जरूरत अनुसार सर्जरी नहीं मिल पाती है. आज भी भारत में प्रति लाख में से 291 बच्चे जन्म से मूक व बधिर पैदा होते हैं, जिसमें से सिर्फ एक तिहाई को ही सही समय पर सही इलाज मिल पाता है. ऐसे में माता पिता को सलाह है कि वह जितना जल्द हो सके बच्चों को ईलाज कराएं ताकि वह जल्द बोलनाव सुनना शुरू कर दें.
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