होम / BW HealthCare / BW Healthcare: मेरे पेरेंट्स ने मुझे यहां तक पहुंचने का रास्ता दिखाया है : अनुष्का जौली
BW Healthcare: मेरे पेरेंट्स ने मुझे यहां तक पहुंचने का रास्ता दिखाया है : अनुष्का जौली
अनुष्का ने अपने इस पूरे सफर में अपने माता-पिता की भूमिका को बेहद अहम बताया. उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने मुझे रास्ता दिखाया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
BW healthcare world healthtech के बैंग्लुरु में हो रहे पहले संस्करण में बिजनेस वर्ल्ड के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया के फाउंडर डॉ. अनुराग बत्रा के साथ डिस्कशन में Innerark Blocktech Pvt. Ltd की Co-Founder अनुष्का जौली ने लाइफसटाइल से लेकर किशोरों की जिंदगी को लेकर कई अहम बातें कहीं. अनुष्का ने कहा कि आज हमारे बीच की एक स्क्रीन ने सभी को डिवाइड कर दिया है. इससे दूरियां तो पैदा हुई ही हैं लेकिन इसने 13 से 17 साल के किशोरों को असंवेदनशील बना दिया है.
कैसा रहा एंटी बूलिंग कैंपेन का सफर?
डॉ. अनुराग बत्रा के साथ डिस्कशन में अनुष्का ने बताया कि मैंने इसकी शुरुआत तब की थी जब मैं 9 साल की थी. तब मैंने इसके बारे रिसर्च करके और दूसरी तरह की कोशिशें करके उसके बाद मैंने एक वेबसाइट बनाई और इसके बारे में लिखना पढ़ना शुरू किया. इसके बाद मैं कई एनजीओ के पास गई और कई स्कूल कॉलेजों में जाकर मैंने उस पर काम करना शुरू किया. इसके बाद फाइनली मैंने एक एप की शुरुआत की.
इस एप में वो लोग शिकायत कर सकते थे जिनके साथ ऐसी कोई घटना होती थी. उस पर स्कूल कार्रवाई करता था और जो ऐसा करता थे उन्हें पनिशमेंट देता था. इस एप पर 13 से 17 साल के 2 मिलियन से ज्यादा बच्चों ने अपनी शिकायत की. बुलिंग से शुरु हुआ मेरा सफर आज हम इसमें मेंटल हेल्थ से लेकर दूसरी कई परेशानियों तक पहुंच चुका है. हम हर स्तर पर स्टूडेंट को मदद करने की कोशिश कर रहे हैं.
आंत्रप्रिनियोर को लेकर क्या सोचती हैं अनुष्का?
अनुष्का ने कहा कि हम अभी तक इस एप के पहले वर्जन के बाद दूसरा और तीसरा वर्जन भी ला चुके हैं. जब मैं नौ साल की थी तब मैं और मेरा पूरा परिवार शार्क टाइम के फैन थे. हमने उसकी हर सीरिज देखी है. हम उसके आंत्रप्रिनियोर डिस्कशन को देखते हुए बढ़े हुए हैं तो ऐसे में हमारे घर में भी अक्सर इस तरह का डिस्कशन हुआ करता था. मैं भी एक बड़ी आंत्रप्रिनियोर बनना चाहती हूं. लेकिन एक एंटी बूलिंग कैंपेन से वहां तक का सफर कैसे तय होगा ये मैं नहीं जानती हूं.
मेरे पेरेंट की इसमें बड़ी भूमिका रही है. मेरे पेरेंट डे वन से मेरे साथ हैं, मेरे पास मेरे विजन के लिए एक पाथ था, क्या करना है ये पता था लेकिन जो रास्ता है वो मुझे मेरे पेरेंटस ने दिखाया है, वो मेरे पेंरेंटस ने मेरे लिए बनाया है. मेरे माता पिता ने मुझे इतना इम्पॉवर किया है कि मैं अपने से जुड़े फैसलों को ले सकती हूं. उन्होंने मुझे इतना कैपेबल बनाया है कि मैं अपने को ग्रो कर सकती हूं.
स्क्रीन ने हमारे बीच पैदा की है एक दीवार
पहले क्या होता था कि हम स्कूल जाते थे और उसके बाद अपने माता पिता के साथ खाना खाते थे और सो जाते थे. लेकिन जब से हमारी जिंदगी में टेक्नोलॉजी आई है तब से हम देख रहे हैं कि हमें जैसे स्क्रीन ने डिवाइड कर दिया है. इसके कारण हम देख रहे हैं कि किशोर आज की डेट में असंवेदनशील हो गए हैं. वो ये जानते ही नहीं है कि समाज में दूसरों से कैसे रिश्ते बनाने हैं कैसे किसी से कनेक्ट होना है. सोशल मीडिया से लेकर दूसरी चीजों ने उनके दूसरों को देखने का नजरिया ही बदल दिया है. इसी ने कहीं न कहीं मेंटल हेल्थ को बढ़ाने का भी काम किया है. इनफॉरमेशन के ओवरलोड ने भी लोगों को परेशान किया है.
टैग्स