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बिना सर्जरी के 76 साल की महिला मरीज के दिल में डॉक्टरों ने लगाया वायरलेस पेसमेकर
राष्ट्रीय राजधानी से सटे गुरुग्राम के पारस अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने 76 वर्षीय महिला के बिना सर्जरी के पेसमेकर लगा दिया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी से सटे गुरुग्राम के पारस अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने 76 वर्षीय महिला के बिना सर्जरी के पेसमेकर लगा दिया. कार्डियोलॉजिस्ट की एक टीम ने माइक्रा ट्रांसकैथेटर पेसिंग सिस्टम का एक उन्नत संस्करण जो कि दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है, जो कि एक कैप्सूल के साइज का है.
बचाया महिला का जीवन
पारस अस्पताल की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, जब महिला को अस्पताल में लाया गया तो कमजोर दिल या धीमी गति से हृदय गति के कारण महिला ब्लैकआउट अवस्था में पहुंच गई थी और गिरने के कारण घायल होकर बेहोश हो गई थी. इस मरीज की नौ महीने पहले उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी. अस्पताल ने कहा कि उसने एंजियोप्लास्टी के बाद नियमित रूप से थिनर निर्धारित किया है.
शरीर में कई जगह था फ्रैक्चर
बाथरूम में गिरने के कारण शरीर के कई हिस्सों जैसे कि पसली, पैर की हड्डी में फ्रैक्चर और आंख, गर्दन व सिर में कई जगह चोट भी थी, जिसके बाद परिवार के सदस्य तुरंत अस्पताल लेकर पहुंच गए. पारस अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक और यूनिट हेड, डॉ अमित भूषण शर्मा ने बताया कि रोगी को सीने में दर्द जैसा कोई पूर्व लक्षण नहीं था, लेकिन वह ब्लैकआउट का सामना कर रही थीं और उन्हें गिरने के बारे में कुछ भी याद नहीं था.
शर्मा ने कहा, जब मरीज को उस आपात स्थिति में लाया गया, तो डॉक्टरों ने तुरंत एक अस्थायी पेसमेकर लगाया ताकि हृदय गति बढ़े और एक बार जब वह स्थिर हो गई, तो उसके बाद हमने एक स्थायी पेसमेकर लगाया. एक स्थायी पेसमेकर एक विटामिन सी कैप्सूल के आकार का होता है. इसे प्रत्यारोपित करने के लिए कोई कटिंग नहीं की गई है, क्योंकि उसे पहले से ही बहुत सारे घाव थे और वह खून को पतला करने वाली दवा पर थी. हमने पैर की नस की जांच की और इस पेसमेकर को प्रत्यारोपित किया और फिर मरीज को कुछ दिनों में छुट्टी दे दी गई, ”
क्या होता है ब्लैकआउट
ऐसी घटनाएं अक्सर होती हैं जहां लोग नींद में या व्यायाम के दौरान हृदय गति में अचानक कमी के कारण मर जाते हैं जो अन्य अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क के कामकाज को प्रभावित करता है. नींद में एकदम से उठकर रात में बाथरूम जाने के दौरान लोग कई बार ब्लेकआउट के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि मस्तिष्क में से खून का प्रवाह शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में दिमाग के सामने अंधेरा छा जाता है और मरीज गिर सकता है, जिससे उसको चोट लग जाती है. आमतौर पर सर्दियों के मौसम में इस तरह के मामले ज्यादा सामने आते हैं.
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