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भारत के लिए कितना अहम है 'Zhen Hua 15' का Vizhinjam Port पहुंचना?
केरल के विझिंजम ट्रांसशिपमेंट कंटेनर पोर्ट पर पहला कार्गो कैरियर 'जेन हुआ 15' रविवार को पहुंच गया है. यह देश का अपनी तरह का पहला बंदरगाह है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
केरल के विझिंजम ट्रांसशिपमेंट कंटेनर पोर्ट (Vizhinjam Port) पर हैवी कार्गो कैरियर 'जेन हुआ 15' पहुंच चुका है. दुनिया के सबसे बड़े जहाजों में शामिल ये कार्गो पूर्वी चीन सागर से भारत आया है और विझिंजम पोर्ट पहुंचने वाला पहला कार्गो कैरियर है. Zhen Hua 15 का केरल के इस पोर्ट पर आना इसलिए बड़ी बात है, क्योंकि इसके बाद भारत दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाजों के रूट पर आ गया है. अब तक दुनिया के कुछ बड़े कंटेनर शिप भारत नहीं आ पाते थे, क्योंकि ऐसे जहाजों को संभालने के लिए देश के बंदरगाह पर्याप्त गहरे नहीं थे.
Adani के लिए भी बड़ी बात
विझिंजम पोर्ट अडानी ग्रुप (Adani Group) द्वारा विकसित किया गया है और इसका संचालन अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) करती है, इसलिए ये केरल के साथ-साथ अडानी ग्रुप के लिए भी बड़ी बात है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ट्रांसशिपमेंट क्षमताओं और प्रमुख शिपिंग रूट्स के नजदीक होने के कारण, यह केरल के इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है. इस पोर्ट का लक्ष्य सालाना 10 लाख कंटेनरों को संभालना है, जो सिंगापुर को भी पीछे छोड़ देगा. जाहिर है, इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेगा और निवेश भी आकर्षित होगा.
भारत को मिलेगी एडवांटेज
Vizhinjam Port भारत को चीन के प्रभुत्व वाले अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करने में मदद करेगा. इसके अलावा, यह देश में आने-जाने वाले कार्गो के लिए लॉजिस्टिक लागत कम करेगा, जिससे भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने में भी मदद मिलेगी. इसके अस्तित्व में आने से पहले तक कुछ बड़े शिप भारत की जगह कोलंबो, दुबई और सिंगापुर जैसे पड़ोसी बंदरगाहों पर डॉकिंग कर रहे थे. इससे भारत को नुकसान हो रहा था. एक रिपोर्ट बताती है कि इंटरनेशनल रूट्स के नजदीक बड़े जहाजों के लिए पोर्ट न होने के चलते भारतीय पोर्ट्स को करीब 220 मिलियन डॉलर के रिवेन्यु लॉस का सामना करना पड़ रहा था.
The inaugural vessel 'Zhen Hua 15' is set to dock at Vizhinjam International Port, India's premier mother port, on October 15th. Boasting container transhipment capabilities and proximity to major shipping routes, it's a game-changer for Kerala's infrastructure and development.… pic.twitter.com/0lOVn5EsiU
— Pinarayi Vijayan (@pinarayivijayan) October 14, 2023
अडानी के पास 13 बंदरगाह
Zhen Hua 15 चीन से 15 अगस्त को रवाना हुआ था. इस जहाज को 4 अक्टूबर को ही भारत पहुंचना था, लेकिन खराब मौसम के चलते ऐसा नहीं हो सका और यह 15 अक्टूबर को केरल के पोर्ट पहुंचा. यह बंदरगाह 2015 से निर्माणधीन था. जेन हुआ 15 के बाद 3 और बड़े जहाज जल्द ही गौतम अडानी की कंपनी द्वारा संचालित इस पोर्ट पर पहुंच सकते हैं. अडानी पोर्ट्स इस समय 13 बंदरगाहों का संचालन कर रही है, इसमें विझिंजम पोर्ट के साथ-साथ टूना टर्मिनल, मुंद्रा पोर्ट, गंगावरम पोर्ट, दाहेज पोर्ट, हजीरा पोर्ट, कृष्णापटनम पोर्ट, मोरमुगाओ पोर्ट, कट्टुपल्ली पोर्ट, धामरा पोर्ट, एन्नोर टर्मिनल, कराईकल पोर्ट और दिघी पोर्ट शामिल हैं.
विझिंजम पोर्ट में क्या है खास?
विझिंजम की सबसे खास बात ये है कि यह पोर्ट अंतरराष्ट्रीय पूर्व-पश्चिम शिपिंग मार्ग से केवल 18 किलोमीटर की दूर है, जो पश्चिमी एशिया, यूरोप, अफ्रीका और दुनिया के सुदूर पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ता है. मौजूदा समय में बड़े जहाजों को शिपमेंट लेकर श्रीलंका स्थित कोलंबो पोर्ट जाना पड़ता है, जो अंतरराष्ट्रीय मार्ग से 50 किलोमीटर की दूरी पर है. अब विझिंजम पोर्ट आने में अब उनका समय और लागत दोनों बचेगी. विझिंजम पोर्ट की गहराई 20 मीटर है. यहां करीब 400 मीटर लंबे और 16 मीटर ड्राफ्ट वाले शिप आ सकते हैं. इस लिहाज से यह भारत का सबसे गहरा कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट बन गया है.
कितनी लागत में हुआ तैयार?
विझिंजम पोर्ट को अनुमानित 7,700 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जा रहा है. जिसमें केरल सरकार 4,600 करोड़ और केंद्र सरकार 860 करोड़ वहन करेगी. इसके अलावा, अडानी समूह 2,240 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है. अडाणी पोर्ट्स के पास 40 साल तक इस बंदरगाह को संचालित करने का अधिकार है, जिसे 20 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है.
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