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गरीब के आटे पर GST, तो Adani की एयरपोर्ट डील पर क्यों नहीं? ये रहा इसका जवाब 

अडानी समूह को जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का भी ठेका मिला है. समूह 50 सालों तक इस एयरपोर्ट का रखरखाव और संचालन करेगा.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

सोशल मीडिया पर आजकल एक सवाल तेजी से पूछा जा रहा है - जब गरीब के आटे पर GST, तो अडानी को एयरपोर्ट सौंपने पर क्यों नहीं? दरअसल, अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनी को कई हवाईअड्डों के ठेके मिले हैं, इसमें जयपुर का अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा भी शामिल है. हाल ही में खबर आई थी कि इस एयरपोर्ट का ऑपरेशन अपने हाथों में लेने के लिए अडानी समूह को कोई GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा. बस इसी को लेकर सोशल मीडिया पर सवालों के झड़ी लगी हुई है. बता दें कि विपक्ष लंबे समय से आरोप लगता आ रहा है कि मोदी सरकार अडानी समूह को फायदा पहुंचाने की नीतियों पर काम कर रही है.  

50 साल की लीज मिली
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी सरकार ने जयपुर एयरपोर्ट अडानी ग्रुप को 50 साल की लीज पर दिया है. जिसका मतलब है कि 50 सालों तक अडानी समूह इस एयरपोर्ट का रखरखाव और संचालन करेगा. समूह को कुछ समय पहले देश के 6 एयरपोर्ट विकसित करने और चलाने के लिए मिले थे. अडानी ग्रुप ने 2021 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) से जयपुर हवाईअड्डे के संचालन और प्रबंधन का काम अपने हाथ में लिया था. इस पर AAI ने अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (AAR) से पूछा था कि इस डील पर GST लागू होगी या नहीं? आपको बता दें कि AAR एक इंडिपेंडेंट बॉडी होती है, जो टैक्स से जुड़े मामलों में फैसला देती है.  

गोइंग कन्सर्न से फायदा
20 मार्च 2023 को अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग ने बताया कि इस डील पर कोई GST नहीं लगेगा. AAR की तरफ से कहा गया कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और अडानी समूह के बीच गोइंग कन्सर्न (Going Concern) के तहत डील हुई है. इस तरह की डील पर जीएसटी लागू नहीं होता. मतलब कि अडानी ग्रुप को किसी तरह की GST का भुगतान नहीं करना है. जब से यह खबर सामने आई है, सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी के फाउंडर मेंबर राम गुप्ता ने ट्वीट कर कहा है - गरीबों के आटे पर GST, लेकिन जयपुर एयरपोर्ट ट्रांसफर पर कोई GST नहीं. कारण? मित्र #अडानी, जाने क्या कशिश है अडानी में...??'

क्या है गोइंग कन्सर्न? 
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर गोइंग कन्सर्न क्या होता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, गोइंग कन्सर्न का अर्थ है किसी रनिंग बिजनेस को पूरी तरह दूसरे व्यक्ति के हाथों में सौंप देना. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी चलती हुई दुकान को दूसरे व्यक्ति को बेचा जाता है, तो उस पर GST लागू नहीं होगा. इसके उलट, यदि कोई बंद दुकान बेची जाती है, तो उस पर GST का भुगतान करना होता है. दरअसल, चलते हुए बिजनेस को बेचने को सप्लाई नहीं माना जाता. इसलिए अडानी ग्रुप की इस डील को गोइंग कन्सर्न माना गया है. जीएसटी कानून में इस व्यवस्था को परिभाषित किया गया है. उसमें लिखा गया है कि इस प्रकार के बिजनेस ट्रांसफर टैक्स छूट नोटिफिकेशन की एंट्री नंबर-2 के तहत आते हैं, जिस पर जीएसटी लागू नहीं है.

 


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