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आखिर ऐसा क्या हुआ कि अलग हो गए Vedanta और Foxconn के रास्ते?
दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स मेकर कंपनी फॉक्सकॉन ने सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को लेकर वेदांता से अपना रिश्ता तोड़ लिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
भारत में सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग (Semiconductor Manufacturing) की योजना को बड़ा झटका लगा है. ताइवान की दिग्गज कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) ने चिप मैन्यूफैक्चरिंग के लिए अनिल अग्रवाल की वेदांता (Vedanta) के आगे बढ़ने से इनकार कर दिया है. Foxconn ने जॉइंट वेंचर से बाहर होने की घोषणा की है. ताइवान की इस कंपनी का ये कदम इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि हाल ही में वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर्स लिमिटेड ने केंद्र सरकार को दोबारा आवेदन सौंपा था. दोनों कंपनियों के इस जॉइंट वेंचर ने सरकार को एक संशोधित आवेदन भेजा था, जिसमें इंडियन सेमीकंडक्टर मिशन के दिशा-निर्देशों के तहत कंपनी को इंसेंटिव प्रदान करने की बात कही गई थी.
कई मुद्दों पर थे मतभेद
फॉक्सकॉन ने 19.5 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर जॉइंट वेंचर से बाहर होने का कोई ठोस कारण नहीं बताया है, लेकिन इसे दोनों कंपनियों के बीच पिछले एक साल से चल रहे गतिरोध का परिणाम माना जा रहा है. वेदांता और फॉक्सकॉन के बीच कई मुद्दों को लेकर खींचतान चल रही थी. बताया जाता है कि टेक पार्टनर के चयन को लेकर भी दोनों में मतभेद थे. इसके अलावा, वेदांता पर कर्ज का बोझ और अनिल अग्रवाल की परेशानियों को लेकर लगातार सामने आ रही खबरों के चलते भी फॉक्सकॉन इस जॉइंट वेंचर पर आगे बढ़ने को लेकर कशमकश में थी. बीच में खबर आई थी कि ताइवान की इस कंपनी ने सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए कुछ दूसरे बिजनेस घरानों से बातचीत शुरू कर दी है.
अब आगे क्या?
वेदांता और फॉक्सकॉन के इस जॉइंट वेंचर के टूटने से सवाल उठता है कि क्या सेमीकंडक्टर प्लांट का सपना पूरा नहीं होगा? वेदांता और फॉक्सकॉन ने अपनी राह अलग जरूर की है, लेकिन इस प्रोजेक्ट से पीछे हटने का उनका कोई इरादा नहीं है. अनिल अग्रवाल की वेदांता ने साफ कर दिया है कि वो इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ेगी. हालांकि, फॉक्सकॉन ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि कंपनी किसी दूसरी भारतीय कंपनी के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर प्लांट पर काम कर सकती है. कुछ वक्त पहले खबर भी आई थी कि उसने भारत के दो दिग्गज कारोबारी घराने से प्लांट की योजना पर शुरुआती बातचीत की है.
क्या मिली थी सलाह?
कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि फॉक्सकॉन और वेदांता के बीच कई मतभेद सामने आने के बाद फॉक्सकॉन को वेदांता से रिश्ता तोड़ने की सलाह दी गई थी. ताइवान की इस कंपनी से कहा गया था कि उसे किसी दूसरे बिजनेस घराने के साथ प्लांट लगाने पर विचार करना चाहिए. हालांकि, उस समय वेदांता ग्रुप ने दावा किया था कि फॉक्सकॉन के साथ उसका जॉइंट वेंचर कायम है और सेमीकंडक्टर प्लांट बनाने की योजना खत्म नहीं हुई है. अब जब फॉक्सकॉन ने जॉइंट वेंचर से बाहर निकलने का फैसला ले लिया है, तो वो खबरें सच साबित होती दिखाई दे रही हैं.
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