होम / एक्सप्लेनर / कैसे Auditors का रिस्क से बचना, कंपनियों के लिए बन रहा है रिस्की?
कैसे Auditors का रिस्क से बचना, कंपनियों के लिए बन रहा है रिस्की?
जहां पिछले हफ्ते PwC ने Paytm के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दिया था, वहीं कल Deloitte ने अडानी ग्रुप के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया है.
पवन कुमार मिश्रा 9 months ago
ऑडिटर्स (Auditors) किसी भी कंपनी की अच्छी फाइनेंशियल हेल्थ को सुनिश्चित करने में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इतना ही नहीं, एक ऑडिटर यह भी सुनिश्चित करता है कि कंपनी द्वारा भारतीय सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का पूर्ण रूप से पालन किया जाए. इसके साथ ही कंपनी के वित्तीय नतीजों और ऑडिट रिपोर्ट्स के लिए भी ऑडिटर्स ही जिम्मेदार होते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय के दौरान मशहूर ऑडिटर्स द्वारा बड़ी कंपनियों का साथ छोड़ने के मामले सामने आ रहे हैं.
Paytm-PwC और Adani-Deloitte
हाल ही में सामने आए दो प्रमुख मुद्दों के बारे में बात कर लेते हैं. पिछले हफ्ते जाने माने ऑडिटर, Price Waterhouse Chartered (PwC) ने मशहूर फिनटेक कंपनी और डिजिटल मोबाइल पेमेंट प्लेटफॉर्म Paytm के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था. Paytm द्वारा यह जानकारी एक रेगुलेटरी फाइलिंग में साझा की गई थी. ठीक इसी तरह हमें कल भी एक मामला देखने को मिला है जिसमें जाने-माने ऑडिटर ने कंपनी के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया. हम अडानी और Deloitte के बारे में बात कर रहे हैं.
अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट
भारतीय अरबपति गौतम अडानी की अध्यक्षता वाले अडानी ग्रुप पर अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग (Hindenburg) द्वारा टैक्स हेवन्स (Tax Havens) का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. इसके साथ ही हिंडनबर्ग द्वारा रिलीज की गई रिपोर्ट में कंपनी से संबंधित कुछ ट्रांजेक्शनों पर भी सवाल उठाए गए हैं और माना जा रहा है कि Deloitte ने इन्हीं कुछ कारणों के चलते अडानी ग्रुप के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया है. Deloitte द्वारा उठाए गए इस कदम की बदौलत आज अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट भी देखने को मिली है.
क्यों बढ़ रहे हैं ऑडिटर्स के इस्तीफे?
भारत में पिछले कुछ समय के दौरान स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. जितनी तेजी से भारत में बिजनेस बढ़ रहे हैं, नियमों को लेकर सरकारी संस्थाएं भी उतनी ही सख्ती बरत रही हैं. ऑडिटर्स के बढ़ते इस्तीफों के पीछे यह भी एक प्रमुख कारण है. Ravi & Rajan कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर और फाउंडर S Ravi ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि अकाउंटिंग कंपनियां रिस्क नहीं लेना चाहती हैं. एक कंपनी से इस्तीफा देने के बाद भी ऑडिटर्स की कुछ जिम्मेदारियां होती हैं और उन्हें वो जिम्मेदारियां निभानी ही पड़ती हैं. लेकिन इस वक्त बहुत सी संस्थाओं के द्वारा ऑडिटर्स की भी जांच की जा रही है और ऑडिटर्स ये रिस्क नहीं लेना चाहते.
ऑडिटर्स के इस्तीफे से मिलता है ये संदेश
हम सभी ने पिछले कुछ समय के दौरान देखा है कि ऑडिटर्स द्वारा कंपनी से इस्तीफा देने के बाद, कंपनी के शेयरों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. आखिर ऑडिटर्स के इस्तीफे से मार्केट में क्या संदेश जाता है? इस बारे में बात करते हुए S. Ravi कहते हैं कि जब भी एक ऑडिटर किसी कंपनी को छोड़ता है तो उस कंपनी के बारे में लोग यही सोचते हैं कि कंपनी ने कुछ तो गलत किया है जिसकी वजह से ऑडिटर ने इस्तीफा दे दिया. लोग ऐसा इसलिए भी सोचते हैं क्योंकि कंपनी और ऑडिटर का रिश्ता बहुत ही खास होता है और एक ऑडिटर को कंपनी की बहुत गहरी जानकारी होती है. बहुत हद तक लोग सही भी होते हैं, क्योंकि जब कंपनी के द्वारा नियमों को अनदेखा किया जाता है तभी रिस्क न लेने का डर ऑडिटर के मन में पैदा होता है.
किसी का रिस्क, किसी को खतरा
ऑडिटर्स के डर के बारे में बात करते हुए S Ravi कहते हैं कि कोई भी ऑडिटर नहीं चाहता कि वह कभी भी अपने बिजनेस से दूर हटे. दरअसल यही वजह है कि ऑडिटर्स रिस्क लेने से डरने लगे हैं क्योंकि अगर ऑडिटर्स पर सवाल उठते हैं तो उन्हें अपने बिजनेस, अपने काम से हाथ धोना पड़ेगा. जहां एक तरफ ऑडिटर्स रिस्क लेने से डरते हैं और वह रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके द्वारा लिया गे ये रिस्क शॉर्ट-टर्म में कंपनियों के लिए एक रिस्क बन जाता है.
यह भी पढ़ें: ‘Go Air’ ढूंढ रहा है इमरजेंसी फंडिंग, क्या है पूरा मामला?
टैग्स