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चीन-ताइवान में छिड़ी जंग तो मुश्किल में फंस जाएंगी कंपनियां, आप पर ऐसे होगा असर
अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन बौखलाया हुआ है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि वो कोई बड़ी करवाई कर सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
चीन क्या ताइवान पर हमला कर सकता है? इस सवाल का जवाब अधिकांश लोग शायद न में दें, क्योंकि ताइवान को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है. ऐसा ही जवाब उस समय भी सुनने को मिला था जब रूस और यूक्रेन के बीच टेंशन बढ़ रही थी. लेकिन हुआ इससे एकदम उलट. रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया और लड़ाई अब तक जारी है. कहने का मतलब है कि चीन और ताइवान के मुद्दे पर कुछ भी संभव है. ताइवान भले ही छोटा देश है, लेकिन यदि उस पर हमला हुआ तो दुनिया सहित भारतीय कंपनियों की टेंशन बढ़ जाएगी और इस ‘टेंशन’ का असर आप और हम यानी कि आम जनता पर भी पड़ेगा.
गहरा सकता है चिप संकट
अब इस टेंशन और असर की बात कर लेते हैं. अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी (US Speaker Nancy Pelosi) की ताइवान यात्रा से चीन बौखला गया है. ऐसे में इस बात की आशंका गहरा गई है कि कहीं ताइवान की खाड़ी में जंग की शुरुआत न हो जाए. यदि ये आशंका सही साबित होती है, तो ऑटो से लेकर स्मार्टफोन इंडस्ट्री तक बुरी तरह प्रभावित होगी. इसकी वजह है पहले से चल रहे सेमीकंडक्टर चिप संकट का और गहरा जाना. चिप की कमी की वजह से कार कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. अकेले मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में चिप की कमी के कारण 51,000 यूनिट्स के उत्पादन का नुकसान हुआ है.
ताइवान में सबसे बड़ी कंपनी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के वैश्विक रिवेन्यु में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 60% से अधिक थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चिप इंडस्ट्री में ताइवान कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नैन्सी पेलोसी ने अपनी छोटी ताइवान यात्रा में Taiwan Semiconductor Manufacturing Co. (TSMC) के चीफ से मुलाकात की. यह दुनिया की सबसे बड़ी चिपमेकर कंपनी है. इसका मार्केट कैप 426 बिलियन डॉलर है. भारत के साथ-साथ अमेरिका को भी इस कंपनी के साथ की ज़रूरत है, क्योंकि उसे भी कार, मोबाइल फोन, मेडिकल उपकरण और अपने फाइटर जेट्स के लिए बड़े पैमाने पर चिप चाहिए.
चिप इंडस्ट्री पर दबदबा
'ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग (TSMC) कंपनी की शुरुआत 1987 में हुई थी. कोरोना महामारी से पहले तक TSMC ग्लोबल मार्केट की 92 फीसदी डिमांड को पूरा कर रही थी. कोरोना से ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर काफी बुरा असर हुआ, लेकिन बावजूद सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर ताइवान का दबदबा बरकरा है. TSMC चीफ से नैन्सी पेलोसी की मुलाकात पहले से मजबूत रिश्ते को और मजबूत करने की कवायद है. अमेरिका TSMC के सबसे बड़ा मार्केट है. कंपनी की कुल सेल में यूएस का हिस्सा 64% है, जो दो साल पहले तक 60 प्रतिशत था. TSMC के क्लाइंट में Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं.
ऐसे बढ़ेगी मुसीबत
सेमीकंडक्टर चिप की ज़रूरत केवल ऑटोमोबाइल और मोबाइल से लेकर कई सेक्टर्स को पड़ती है. आजकल सभी गाड़ियां लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर बन रही हैं, जिनमें तमाम तरह के आधुनिक फीचर्स होते हैं. गाड़ियों की पावर स्टीयरिंग, ब्रेक सेंसर, एंटरटेनमेंट सिस्टम, एयरबैग और पार्किंग कैमरों में सेमीकंडक्टर चिप इस्तेमाल होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक वाहन में 1,000 से अधिक सेमीकंडक्टर चिप्स लगाईं जाती हैं. भारत की कोई भी कंपनी सेमीकंडक्टर चिप नहीं बनाती है, लिहाजा देश इस मामले में पूरी तरह से आयात पर निर्भर है. ऐसे में यदि ताइवान और चीन की जंग होती है, तो भारतीय कंपनियों को खासा नुकसान उठाना होगा. चिप की कमी के चलते वो ज्यादा प्रोडक्शन नहीं कर पाएंगी और इससे उन्हें घाटा उठाना पड़ेगा. इससे कारों का वोटिंग पीरियड बढ़ने के साथ-साथ नए मोबाइल सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम का इंतजार भी बढ़ सकता है.
सबसे ज्यादा रिवेन्यु
TSMC का काम करते रहना कितना महत्वपूर्ण है ये इस बात से समझा जा सकता है कि वह सैमसंग के साथ उन दो चुनिंदा कंपनियों में से एक है, जो सबस उन्नत 5-नैनोमीटर चिप बनाती हैं. एक रिपोर्ट बताती है कि सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में 2020 में रिवेन्यू के लिहाज से ताइवान की TSMC पहले पायदान पर और दूसरे नंबर पर ताइवान की ही UMC थी. तीसरे नंबर पर दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग, चौथे स्थान पर अमेरिकी कंपनी Global Foundries और पांचवें स्थान पर चीन की SMIC थी. अगर युद्ध होता है, तो निश्चित तौर पर TSMC का कामकाज प्रभावित होगा, जिसकी वजह से बाकी कंपनियों के लिए चिप्स की डिमांड को पूरा करना नामुमकिन हो जाएगा और भारत सहित पूरी दुनिया में चिप संकट और गहरा हो जाएगा.
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