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ENBA Awards: राजदीप सरदेसाई से समझें क्या है TV Journalism की तीन ‘C’ वाली समस्या?
राजदीप सरदेसाई ने कहा कि ज्यादातर सोशल मीडिया ट्रेंड्स टेलीविजन से ही आते हैं और टेलीविजन पत्रकारिता इस वक्त ICU में है.
पवन कुमार मिश्रा 8 months ago
टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग से संबंधित समस्याओं के बारे में चर्चा करने और टेलीविजन पत्रकारिता (TV Jounalism) के प्रतिष्ठित चेहरों को सम्मानित करने के लिए आज देश की राजधानी दिल्ली में E4M द्वारा ‘न्यूज नेक्स्ट कांफ्रेंस’ (News Next 2023) के 12वें एडिशन का आयोजन किया गया था. इस मौके पर इंडिया टुडे ग्रुप (India Today Group) के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) ने टेलीविजन पत्रकारिता की तीन ‘C’ वाली समस्या के बारे में बात की.
ICU में है टेलीविजन पत्रकारिता?
E4M द्वारा आयोजित की गई न्यूज नेक्स्ट कांफ्रेंस में टेलीविजन पत्रकारिता की समस्याओं से संबंधित अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) ने कहा कि इस वक्त जमाना हिंदी का है. पत्रकारिता के क्षेत्र में हिंदी की ताकत बढ़ रही है. इस वक्त ज्यादातर लोगों का मानना है कि टेलीविजन पत्रकारिता खत्म हो चुकी है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सच है? आज भी ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चलने वाले ट्रेंड्स टेलीविजन से ही आते हैं. लेकिन साथ ही राजदीप सरदेसाई ने यह भी कहा कि टेलीविजन पत्रकारिता इस वक्त ICU में जरूर है.
क्या हैं टेलीविजन पत्रकारिता की समस्या?
टेलीविजन पत्रकारिता की समस्याओं के बारे में बात करते हुए राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) ने कहा कि मुझे लगता है कि टेलीविजन प्रमुख रूप से इस वक्त तीन समस्याओं का सामना कर रहा है. राजदीप सरदेसाई ने इन्हीं तीन समस्याओं को तीन ‘C’ कहा है और उनका मानना है टेलीविजन पत्रकारिता की ये तीन समस्याएं कॉमर्स, कंटेंट और अंतरात्मा से संबंधित हैं. इस विषय पर आगे बात करते हुए राजदीप कहते हैं कि ज्यादातर टेलीविजन न्यूज चैनलों के बिजनेस मॉडल अब टूट चुके हैं और इस वक्त देश में लगभग 397 टेलीविजन न्यूज चैनल मौजूद हैं जिसकी वजह से टेलीविजन चैनलों के कॉमर्स से संबंधित समस्या उत्पन्न हो गई है.
क्या है टेलीविजन पत्रकारिता में कंटेंट की समस्या?
टेलीविजन पत्रकारिता की कंटेंट से संबंधित समस्या के बारे में बात करते हुए राजदीप सरदेसाई कहते हैं कि इस वक्त बड़े-बड़े वित्तीय संस्थानों और काफी अमीर लोगों के द्वारा न्यूज चैनलों का कंटेंट तय किया जाने लगा है. कोशिश की जाती है कि कम लागत और ज्यादा रेटिंग प्राप्त करने वाले कंटेंट को बढ़त दी जाए. कभी न्यूज का काम सूचना देना हुआ करता था लेकिन अब न्यूज चैनल इंफोटेनमेंट का साधन भी बनते जा रहे हैं. लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि टेलीविजन पत्रकारिता का अब प्रभाव नहीं रह गया है. टेलीविजन न्यूज चैनल दुनिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं.
अंतरात्मा और टेलीविजन पत्रकारिता?
अपने संबोधन के समापन की तरफ बढ़ते हुए राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) कहते हैं कि हमें कभी-कभी ठहराव की जरूरत होती है और यह सवाल पूछने की जरूरत होती है कि हम आखिर पत्रकार क्यों बने? क्या हम नफरत फैलाने केलिए या धर्म आधारित पत्रकारिता करने के लिए पत्रकार बने हैं? इसके साथ ही राजदीप सरदेसाई कहते हैं कि TRP का सिस्टम अब पूरी तरह खराब हो चुका है और इसीलिए हमें अब न्यूज को सिर्फ अच्छी TRP के नजरिये से नहीं देखना चाहिए.
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