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कैसे CBI से आगे निकल गई ED? जानें प्रवर्तन निदेशालय के पावरफुल बनने की कहानी
हर बड़े मामले का खुलासा अब CBI के बजाए ED कर रही है. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि आखिर ED सीबीआई से आगे कैसे निकल गई?
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
कुछ वक्त पहले तक सीबीआई यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन ही चर्चा में रहती थी, लेकिन अब हर तरफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की बात हो रही है. हर बड़े मामले का खुलासा अब CBI के बजाए ED कर रही है. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि आखिर अचानक क्या हुआ कि ED सीबीआई से आगे निकल गई?
इनके खिलाफ कार्रवाई
ED ने शिवसेना नेता संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया है. इससे पहले जांच एजेंसी पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर चुकी है. दोनों के खिलाफ शिक्षक भर्ती घोटाले में जांच चल रही है. इतना ही नहीं नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ कर रहा है और उनके बेटे राहुल गांधी से भी वह सवाल-जवाब कर चुका है.
विपक्ष के निशाने पर ED
जिस तरह से पहले सीबीआई को केंद्र सरकार का हथियार कहा जाता है, अब वही शब्द ED के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि मोदी सरकार ED के सहारे अपने दुश्मनों को ठिकाने लगा रही है. चलिए समझते हैं कि आखिर यूपीए काल में खामोश रहने वाले ED एकदम से फ्रंटफुट पर कैसे खेलने लगी? दरअसल, ED के मजबूत बनने की कहानी शुरू हुई, सीबीआई के खिलाफ राज्यों के अभियान से.
इस तरह सक्रिय हुई ED
केंद्र में सत्ता बदलने के बाद जब सीबीआई ने गैर-भाजपाई राज्यों में कार्रवाई शुरू की, तो विपक्ष भड़क गया. पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों ने CBI की एंट्री बैन कर दी. कहने का मतलब है कि बिना राज्य सरकार की अनुमति के CBI को राज्य में जांच-पड़ताल की इजाजत नहीं होगी. इसके बाद केंद्र सरकार ने आर्थिक अपराध की छानबीन से जुड़ी दूसरी जांच एजेंसी यानी ED को सक्रिय किया. बता दें कि ED वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है.
PMLA से मिलती है शक्ति
प्रवर्तन निदेशालय को शक्ति प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) से मिलती है. यह कानून 2002 में बना और 2005 में अमल में आया. इसके कुछ सालों बाद कानून में संशोधन हुआ, जिससे ED का दायरा बढ़ गया और उसे कुछ विशेषाधिकार मिले. कानून की अनुसूची का भाग-A ED को राजनीतिक घोटालों पर कार्रवाई का अधिकार देता है. PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय को जब्ती, मुकदमा शुरू करने, गिरफ्तारी, जांच और तलाशी का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने भी PMLA के तहत ED की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती से जुड़ी शक्तियों को कायम रखा है.
इन नेताओं की आई शामत
ED की कार्रवाई के चलते ही महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री अनिल देशमुख और नवाब मलिक को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 30 मई को गिरफ्तार किया था. यह कहना गलत नहीं होगा कि सीबीआई को लेकर राज्यों के रुख की वजह से ही ED के हाथ मजबूत हुए और अब वह एक के बाद एक कार्रवाई कर सबकी आंखों की किरकिरी बनी हुई है.
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