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हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रहा इजाफा, कितना जरूरी है इस भंडार का भरे रहना?
विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है. इसे देश की हेल्थ का मीटर कहा जाए तो गलत नहीं होगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) के मोर्चे पर भारत को लगातार अच्छी खबर सुनने को मिल रही है. हमारे इस भंडार में पांच अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में 2.98 अरब डॉलर से अधिक का इजाफा हुआ है. इसके साथ ही यह बढ़कर 648.56 अरब डॉलर के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर जा पहुंचा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, पिछले कारोबारी सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.95 अरब डॉलर बढ़कर 645.58 अरब डॉलर हो गया. इससे पहले, सितंबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 अरब डॉलर के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
गोल्ड रिजर्व में भी इजाफा
इसी तरह, विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाले फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में भी इस दौरान बढ़ोत्तरी हुई है. यह 54.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 571.17 अरब डॉलर हो गया है. RBI ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve) भी 2.39 अरब डॉलर बढ़कर 54.56 अरब डॉलर हो गया. ऐसे ही, विशेष आहरण अधिकार (SDR) 2.4 करोड़ डॉलर चढ़कर 18.17 अरब डॉलर पहुंच गया. रिजर्व बैंक के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी IMF के पास भारत की आरक्षित जमा भी 90 लाख डॉलर बढ़कर 4.669 अरब डॉलर हो गई.
देश की हेल्थ का मीटर
अब जब बात विदेशी मुद्रा भंडार की निकली है, तो यह भी समझ लेते हैं कि आखिर ये क्या होता है और इस भंडार का भरे रहना क्यों जरूरी है. विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त संख्या में होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है. इसे देश की हेल्थ का मीटर कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसमें विदेशी करेंसीज, गोल्ड रिजर्व, SDR, IMF के पास जमा राशि और ट्रेजरी बिल्स आदि आते हैं और इन्हें केंद्रीय बैंक या अन्य मौद्रिक संस्थाएं संभालती हैं. इन संस्थाओं का काम पेमेंट बैलेंस की निगरानी करना, मुद्रा की विदेशी विनिमय दर पर नज़र रखना और वित्तीय बाजार स्थिरता बनाए रखना है. विदेशी मुद्रा भंडार में दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों की ओर से जारी की जाने वाली मुद्राएं शामिल होती हैं. अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा भाग US डॉलर के रूप में होता है.
इसलिए है महत्वपूर्ण
किसी भी देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी महत्वपूर्ण होता है और इसका इस्तेमाल देश की देनदारियों को पूरा करने के साथ ही कई कामों में किया जाता है. वैसे, दुनिया के अधिकतर देश अपना विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर में रखना पसंद करते हैं, क्योंकि अधिकांश व्यापार डॉलर में ही होता है. लेकिन इसमें सीमित संख्या में ब्रिटिश पाउंड, यूरो और जापानी येन भी हो सकते हैं. विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे पहला उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि रुपया तेजी से नीचे गिरता है या पूरी तरह से दिवालिया हो जाता है तो RBI के पास बैकअप फंड मौजूद हो. इसके साथ ही गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर को बेच सकता है. यदि किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छी स्थिति में है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी निखरती है, क्योंकि उस स्थिति में व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं.
भरे भंडार के कई फायदे
विदेशी मुद्रा भंडार कम होने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है. इससे देश के लिए आयात बिल का भुगतान करना मुश्किल हो जाता है. इस भंडार के भरे रहने से संकट के समय भी देश एक आरामदायक स्थिति का अनुभव कर सकता है. सरकार और आरबीआई किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में सक्षम हो जाते हैं. RBI देश के विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन या मैनेजर के रूप में कार्य करता है. उसे कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार करना होता है. रिजव बैंक रुपए की स्थिति को मजबूत रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश का 64% विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में ट्रेजरी बिल आदि के रूप में होता है और यह मुख्य रूप से अमेरिका में रखा होता है.
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