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Digital Personal Data Protection Bill से कितनी बदल जाएगी आपकी दुनिया?
इस बिल का उद्देश्य कंपनियों को यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करने, स्टोर करने और यूज करने के लिए जवाबदेह बनाना है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
डिजिटल निजी डेटा संरक्षण बिल (Digital Personal Data Protection Bill 2023) लोकसभा में पास हो गया है. विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सरकार इस बिल को पास करवाने में सफल रही. विपक्ष को इस बिल में कई तरह की खामियां नजर आती हैं. साथ ही उसका तर्क है कि यह निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. इस बिल में RTI कानून की धारा 8(1)(J) में संशोधन का भी प्रस्ताव है, जिसके लिए विपक्ष तैयार नहीं है. उसका कहना है कि इससे RTI कानून कमजोर होगा. हालांकि, सरकार का कहना है कि यह बिल देश के 140 करोड़ लोगों के डिजिटल निजी डेटा की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.
बनेगा डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड
केंद्रीय संचार और सूचना तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं. 4G, 5G और भारतनेट के माध्यम से छोटे-छोटे गांव तक डिजिटल सुविधा पहुंच गई है. उन्होंने बिल की खास बातें बताते हुए कहा कि डेटा का गलत इस्तेमाल होने की सूरत में कंपनियों पर न्यूनतम 50 करोड़ और अधिकतम 250 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. डेटा का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए कानूनी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है. इस पर निगरानी के लिए एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड की स्थापना भी की जाएगी, जो विवाद की स्थिति में फैसला करेगा.
लेनी होगी पैरेंट्स की मंजूरी
बिल के मुताबिक, यदि कोई कंपनी किसी व्यक्ति का पर्सनल डेटा चाहती है, तो उसे उस यूजर को पूर्व में सूचित करना होगा कि वो ऐसा क्यों कर रही है. डेटा इकट्ठा करने वाली कंपनियों पर ही इसे सुरक्षित बनाए रखने की जवाबदेही भी होगी. डेटा तभी तक स्टोर किया जा सकेगा, जब तक जरूरी हो. इसके बाद डेटा डिलीट करना होगा. इतना ही नहीं उसे सर्वर से भी हटाना होगा. बता दें कि देश में सोशल मीडिया और गेमिंग कंपनियां बड़े पैमाने पर बच्चों का डेटा स्टोर कर रही हैं. बिल अमल में आने के बाद कंपनियों को इसके लिए पैरंट्स से मंजूरी लेनी होगी. डेटा ट्रांसफर और उसकी प्रोसेसिंग के कमर्शियल इस्तेमाल पर कई तरह की रोक होगी.
आपको मिल जाएगा ये अधिकार
यह कानून लागू होने के बाद यूजर को अपने पर्सनल डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी मांगने का अधिकार होगा. कंपनियों को यह बताना होगा कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा कहां इस्तेमाल किया जाएगा. पर्सनल डेटा से मतलब उस डेटा से है, जो आप किसी कंपनी को उसकी सेवा इस्तेमाल करने के लिए उपलब्ध कराते हैं. इसमें आपके द्वारा कंपनियों को दी जाने वाली अनुमतियां भी शामिल हैं. उदाहरण के तौर पर कोई ऐप इंस्टॉल करते समय आपसे कई प्रकार की परमिशन मांगी जाती हैं. जिसमें कैमरा, गैलरी, कॉन्टैक्ट, GPS आदि तक एक्सेस शामिल होता है. इसके बाद कंपनियां आपके डेटा को अपने हिसाब से एक्सेस कर सकती हैं. ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां यूजर्स के पर्सनल डेटा को बेच दिया गया. डिजिटल निजी डेटा संरक्षण बिल के कानून बनने के बाद आप यह जान सकेंगे कि कंपनियां आपका कौनसा डेटा ले रही हैं और उसके क्या इस्तेमाल कर रही हैं.
अभी नहीं है ऐसा कोई कानून
इस बिल का उद्देश्य कंपनियों को यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करने, स्टोर करने और यूज करने के लिए जवाबदेह बनाना है. फिलहाल देश में ऐसा कोई कानून नहीं है. जबकि मोबाइल और इंटरनेट के चलन के बाद से प्राइवेसी की सुरक्षा गंभीर मुद्दा बन गई है. वहीं, कई देशों में डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून तैयार किए जा चुके हैं. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की थी. इसके बाद अप्रैल 2023 में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार है और संसद के मानसून सत्र में इसे पेश किया जाएगा.
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