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Highway Project में हो रही देरी से इन लिस्टेड कंपनियों को होगा नुकसान?

मानसून की अनियमितता और जमीन अधिग्रहण में होने वाली देरी की बदौलत हाईवे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में देरी हो रही है.

पवन कुमार मिश्रा 7 months ago

मानसून की अनियमितता की वजह से भारत में हाईवे की निर्माण प्रक्रिया धीमी पड़ती नजर आ रही है. MoRTH (रोड ट्रांसपोर्ट एवं हाईवे मंत्रालय) ने हाल ही में जानकारी देते हुए बताया है कि वित्त वर्ष  2023-24 में अगस्त के महीने तक मंत्रालय द्वारा लगभग 3,196 किलोमीटर के हाईवे का निर्माण किया गया है. 

मासिक रिपोर्ट में सामने आई ये बात
MoRTH द्वारा अगस्त के महीने के लिए जारी की गई मासिक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में अगस्त तक केवल 2706 किलोमीटर का निर्माण किया गया था. मंत्रालय ने यह भी बताया है कि वित्त वर्ष 23-24 में अगस्त तक 1,756 किलोमीटर के कॉन्ट्रैक्ट जारी किये गए थे जबकि पिछले साल इस अवधी तक 2,706 किलोमीटर के कॉन्ट्रैक्ट मंत्रालय द्वारा जारी किये गए थे. इससे हमें पता चलता है कि मंत्रालय द्वारा जारी किये जाने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या में कमी आई है. 

लक्ष्य से पीछे है MoRTH
इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 24 के दौरान मंत्रालय द्वारा कुल 12,500 किलोमीटर के लिए कॉन्ट्रैक्ट्स जारी करने का लक्ष्य तय किया गया था जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह लक्ष्य 12,375 किलोमीटर था. हाल ही में भारत सरकार ने जानकारी देते हुए बताया था कि आने वाले छह महीनों में 10,000 किलोमीटर की सड़कों के निर्माण के लिए सरकार द्वारा 3 ट्रिलियन रुपयों की कीमत वाले रोड प्रोजेक्ट्स की घोषणा की जायेगी. वर्तमान वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान MoRTH ने सिर्फ 3196 किलोमीटर की सड़क बनाई है. आपको बता दें कि इस पूरे साल के दौरान 13,800 किलोमीटर की सडकें बनाने का लक्ष्य तय किया गया था और अगर यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाता है तो यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा. 

क्या हैं देरी के कारण?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मानसून की अनिश्चितता और जमीन अधिग्रहण में सामने आ रही समस्याओं के चलते हाईवे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में देरी हो रही है. हाईवे या फिर सड़क निर्माण के प्रोजेक्ट्स में होने वाली देरी के चलते पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को खासतौर पर नुक्सान उठाना पड़ सकता है. दिलीप बिल्डकॉन (Dilip Buildcon), अशोक बिल्डकॉन (Ashok Buildcon), सद्भाव इन्फ्रा (Sadbhav Infra) और L&T (Larsen and Toubro) इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की जानी मानी लिस्टेड कंपनियां हैं. जैसा कि हमने ऊपर देखा कि हाईवे प्रोजेक्ट्स को पूरा होने में देरी हो रही है, ऐसे में यह सवाल लाजमी हो जाता है कि इन कंपनियों के शेयरों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? 

कंपनियों के लिए जरूरी है प्रोजेक्ट का समय पर पूरा होना
MCos ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (MCos Global Private Limited) के मैनेजिंग डायरेक्टर सुबाशीश कर कहतें हैं कि पालिक लिस्टेड कंपनियों के लिए हाईवे प्रोजेक्टों को समय से पूरा करना काफी ज्यादा जरूरी हो जाता है. प्रोजेक्ट में होने वाली देरी से लागत बढती है जिससे कंपनी के वित्त पर खिंचाव पड़ सकता है और कंपनी के प्रॉफिट में कमी आ सकती है. इससे शेयरहोल्डर्स के इन्वेस्टमेंट की वैल्यू में कमी आती है और साथ ही हाईवे प्रोजेक्ट्स में होने वाली देरी से कंपनी की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता पर भी प्रभाव पड़ता है. दूसरी तरफ SEBI के साथ रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट VLA अम्बाला भी सुबाशीश के विचारों से सहमत नजर आते हैं. वह कहते हैं कि हाईवे प्रोजेक्ट में होने वाली देरी से कंपनी के शेयरों पर नकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है और देरी होने से कंपनी की ओपरेशन कॉस्ट पर प्रभाव पड़ता है जिसकी बदौलत सीधे तौर पर कंपनी के प्रॉफिट और कमाई पर असर पड़ता है. 

इस तरह कंपनियों को होगा फायदा
इस विषय पर आगे बात करते हुए VLA अम्बाला कहते हैं कि कंपनी के प्रॉफिट पर पड़ने वाले प्रभाव की वजह से किसी भी कंपनी के इन्वेस्टर्स का भरोसा उस कंपनी पर कम होता है. इसके साथ ही कंपनी के शेयरों के कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है. इसके साथ ही वह यह भी कहते हैं कि सरकार द्वारा इस वित्त वर्ष के दौरान 85% प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के कदम उठाये जा रहे हैं और इन कदमों की बदौलत कंपनियों के स्टॉक में लोगों का विश्वास पुनर्स्थापित हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय व्हीकल स्क्रेपेज पॉलिसी को भी बेहतर रिस्पॉन्स मिल रहा है और उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी को मिल रहे सकारात्मक रिस्पॉन्स की बदौलत दिलीप बिल्डकॉन (Dilip Buildcon), अशोक बिल्डकॉन (Ashok Buildcon), सद्भाव इन्फ्रा (Sadbhav Infra) और L&T (Larsen and Toubro) जैसी इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की जानी मानी लिस्टेड कंपनियों को फायदा हो सकता है और इनके शेयरों को गति भी मिल सकती है. 
 

यह भी पढ़ें: मार्केट कैपिटल की दौड़ में HUL से पिछड़ा Infosys, शेयरों में आई 4% जितनी गिरावट!

 


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