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मजबूरी या जरूरत! विवाद के बावजूद भारतीय बाजार छोड़ने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पाया Canada?

खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच विवाद चल रहा है. G-20 समिट के बाद से दोनों देशों के रिश्ते काफी तल्ख हो गए हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago

भारत और कनाडा (India-Canada Tension) के रिश्ते में जब से 'वो' यानी खालिस्तान की एंट्री हुई है, हालात तेजी से बदले हैं. खासकर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. संबंधों में तल्खी की शुरुआत कनाडा की तरफ से हुई और अब भारत उसे किसी भी सूरत में बख्शने के मूड में नहीं है. भारत सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं. आमतौर पर जब दो मुल्कों में तनाव होता है, तो सबसे पहले एक-दूसरे की आर्थिक नब्ज दबाने की कोशिश होती है, लेकिन यहां ऐसा देखने को नहीं मिला है. कनाडा भारतीय राजनयिक को वापस भेज चुका है, भारत के साथ ट्रेड मिशन को स्थगित कर चुका है, मगर उसने अब तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है जो भारत के साथ उसके व्यापार को सीधे तौर पर प्रभावित करे और न ही उसने भारतीय बाजार में किए गए निवेश को निकाला है.  

कनाडा की कंपनियां शामिल नहीं
भारत और कनाडा के रिश्ते बेहतर रहे हैं, इस वजह से दिनों देशों के बीच अच्छा-खासा व्यापार होता रहा है. कनाडा की कंपनियों ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, तो भारतीय कंपनियां भी कनाडा की अर्थव्यवस्था में योगदान देती आई हैं. कनाडा पेंशन फंड (Canada Pension Funds) का भारतीय शेयर बाजार में भारी निवेश है. उसने फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) से लेकर ब्यूटी ब्रैंड नायका (Nykaa) तक में इन्वेस्टमेंट किया हुआ है. ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि विवाद के चलते कनाडा पेंशन प्लान इनवेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB) बिकवाली कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सितंबर महीने में भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों से मोटा पैसा निकाला है. इस दौरान, करीब 12000 करोड़ रुपए की निकासी हुई, लेकिन इसमें कनाडा शामिल नहीं है. 

मजबूरी के साथ जरूरत भी  
कनाडा की कंपनियों ने इंडियन स्टॉक मार्केट में अपना निवेश बरकरार रखा है. मार्केट से विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही बिकवाली के बावजूद CPPIB ने पैसा निकालने का फैसला नहीं लिया है. इसे कनाडा की मजबूरी भी कह सकते हैं और जरूरत भी. यदि कनाडा की कंपनियां भारतीय बाजार से पैसा निकालतीं, तो यह संदेश जाता कि कनाडा भारत को आर्थिक चोट पहुंचाने के लिहाज से ऐसा कर रहा है और बात बनने के बजाए बिगड़ जाती. इसके जवाब में यदि भारत और उसकी कंपनियां कनाडा के बाजार से अपने हाथ खींचने लगतीं, तो उसके लिए भारी मुश्किल खड़ी हो जाती. क्योंकि कनाडा की अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों का अच्छा-खास योगदान है. करीब 30 भारतीय कंपनियों ने कनाडा में 6.6 अरब डॉलर से ज्‍यादा का निवेश किया हुआ है. ये कंपनियां हजारों लोगों को नौकरी भी दे रही हैं. इसलिए कनाडा चाहकर भी भारत में निवेश किया पैसा फिलहाल नहीं निकाल सकता.

मिलता रहा है अच्छा रिटर्न 
इसके अलावा, कनाडा की कंपनियों को भारत में अच्छा रिटर्न मिलता है. इसलिए यहां अपना निवेश कायम रखना उनके लिए जरूरी है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि कनाडाई पेंशन फंड को इंडियन मार्केट से अच्छा रिटर्न मिल रहा है. बता दें कि पेंशन प्लान इनवेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB) के पास कोटक महिंद्रा बैंक में 2.68 प्रतिशत, जोमैटो में 2.3%, नायका में 1.47%, इंडस टावर्स में 2.18% और डेल्हीवरी में 6% हिस्सेदारी है. इसके अलावा, CPPIB ने देश की कई अनलिस्टेड कंपनियों में भी निवेश किया हुआ है. वहीं, दोनों देशों के बीच व्यापार की बात करें, तो फाइनेंशियल ईयर 2023 में भारत ने कनाडा को 4.11 अरब डॉलर (करीब 34 हजार करोड़ रुपए) का सामान निर्यात किया था. जबकि उसका आयात 4.17 अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपए) का था. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान दोनों देशों के बीच 7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 8.16 अरब डॉलर पहुंच गया.


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