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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा 400 किमी लंबा अटल एक्सप्रेसवे, इतने करोड़ की आएगी लागत
राजस्थान के कोटा से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे धौलपुर, श्योपुर, मुरैना, भिंड से होते हुए यूपी के इटावा में एनएच 2 (दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग) पर मिल रहा था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः देश के तीन बड़े राज्यों- राजस्थान, मध्यप्रदेश और यूपी को एक सिरे से जोड़ने वाला चंबल एक्सप्रेसवे (अटल प्रोग्रेसवे) अब बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा. पहले इसका रूट व अलाइनमेंट अलग था, वहीं इसमें भी बदलाव किया गया है. पहले के प्लान के अनुसार इसको चंबल नदी के किनारे से गुजारा जाना था, लेकिन अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) इसमें बदलाव कर रहा है. पहले जहां चंबल की घड़ियाल सेंचुरी और करीब 403 हेक्टेयर का घना जंगल आ रहा था, इसलिए अब प्रोग्रेस-वे को चंबल नदी से तीन किमी दूर खिसका दिया गया है. अब यह एक्सप्रेसवे यूपी के इटावा जिले में स्थित बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से लिंक किया जाएगा.
ब्लू प्रिंट में किया गया बदलाव
राजस्थान के कोटा से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे धौलपुर, श्योपुर, मुरैना, भिंड से होते हुए यूपी के इटावा में एनएच 2 (दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग) पर मिल रहा था. लेकिन नए अलाइनमेंट में इसको अब औरेया-इटावा की सीमा पर स्थित बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा. यहीं से पास में लखनऊ एक्सप्रेसवे भी गुजर रहा है, जिससे यात्रियों को कोटा से बुंदेलखंड अथवा लखनऊ जाने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. इसके लिए एक्सप्रेसवे के ब्लूप्रिंट में भी बदलाव किया गया है.
अटल प्रोग्रेसवे की लागत में इजाफा
अलाइनमेंट और रूट में बदलाव होने से इस प्रोग्रेसवे की लागत 1800 करोड़ रुपये बढ़कर 8800 करोड़ हो जाएगी, लेकिन मध्यप्रदेश में पहले जो लंबाई 312 किमी थी वो घटकर 307 किमी रह जाएगी. पहले इस प्रोजेक्ट की लागत 7 हजार करोड़ रुपये आ रही थी. अब यह प्रोग्रेस-वे श्योपुर, मुरैना, भिंड के 162 गांवों से नहीं, बल्कि 204 गांवों से गुजरेगा. अब 32 किमी बीहड़ तो 7 किमी ही इको सेंसेटिव जोन से गुजरेगा रास्ता. वहीं जहां पहले जानवरों के लिए प्रोग्रेस-वे पर 402 करोड़ के कॉरिडोर बनने थे, अब 85 करोड़ के बनेंगे.
यूपी के हिस्से में आएगा 47 किमी का हिस्सा
इटावा के सांसद सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया ने बताया कि यह एक्सप्रेसवे जनपद के नगरिया सरावा गांव से जुड़ेगा. यहां पर इसे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किलोमीटर 285 से जोड़ा जाएगा. पहले यह एक्सप्रेसवे भरथना तहसील में जाकर खत्म हो रहा था. अब करीब 18 किलोमीटर दायर इसका बढ़ाया गया है. उन्होंने बताया कि कोटा राजस्थान से चलकर करीब 400 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे बनेगा. उत्तर प्रदेश में यह करीब 47 किलोमीटर लंबा होगा. 12 मीटर चौड़ा यह एक्सप्रेसवे फिलहाल फोरलेन होगा. भविष्य में इसे सिक्स लेन करने की योजना है. इस संबंध में अभी हाल ही में केंद्रीय परिवहन एवं भूतल मंत्री नितिन गडकरी ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है. अगले कुछ महीनों में इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.
सांसद ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की कल्पना के अनुसार स्वर्णिम चतुर्भुज योजना जिस प्रकार साकार हुई, इसी प्रकार अब एक्सप्रेस वे का सपना साकार हो रहा है. इटावा में तीन एक्सप्रेस वे बनने से क्षेत्र व राज्य का तेजी से विकास तेजी से होगा.
एमपी के चार पिछड़े जिलों में बनेंगे इंडस्ट्रियल नोड्स
इस एक्सप्रेसवे के जरिए मध्यप्रदेश के चार पिछड़े जिलों में इंडस्ट्रियल नोड्स भी बनेंगे. प्रदेश के श्योपुर, मुरैना और भिंड जिले से यह एक्सप्रेसवे गुजरने वाला है. प्रदेश की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीआइडीसी) ने भी कमर कस ली है. एमपीआइडीसी ग्वालियर, भिंड, मुरैना और श्योपुर में इण्डस्ट्रियल नोड्स खोलने जा रही है. इसके लिए केंद्र चिन्हित किए जाएंगे. एमपीआइडीसी ने इसके लिए चारों जिलों के कलेक्टर को भी पत्र भी लिखा है. इसकी साइट कलेक्शन का काम कंस्लटेंट कंपनी एर्नेस्ट एंड यंग के जरिए कराया जा रहा है.
इन गांवों को किया है शामिल
यहां एक साइट पर चार से पांच गांव की जमीन के इंडस्ट्रियल नोड्स बना दिए गए हैं. कुल सात में शामिल गांवों को इसमें रखा गया है. साइट एक में भिंड के घिंरोगी, मुरैना के बड़वारी, बसतपुर और मावई, साइट दो में ग्वालियर के गिरगांव, शेखपुरा, खेरिया मिर्धा, बरेठा और गुठीना, साइट 3 में ग्वालियर के बड़ागांव, सिंघपुरा, उदयपुर, मुरार, मेहरा और मोहनपुर, साइट 4 में श्योपुर के घूघस, जिमरछा, छावर, नंदवाना, बावड़ीपुरा, गोदोली, अटार, जाबरोल, जाटोली, टेंटरा और पचेर, साइट 5 में मुरैना के गूंज, खिंरेटा, किसरोली, और मलवसई, साइट 6 में श्योपुर के पाचौ, नितनवास, बरोठा और केमाराखुर्द सहित साइट 7 में मुरैना के बड़वारी, बसतपुर और मावई गांव को शामिल किया गया है.
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