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G-20 के बहाने टूरिज्म में लंबी छलांग लगाने को तैयार UP

यूपी ही नहीं, देश के दूसरे प्रदेशों को भी कड़ी मेहनत करनी चाहिए ताकि जी20 शिखर सम्मेलन उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सके.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

  • विवेक शुक्ला

1983 में गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन के नई दिल्ली में आयोजन के ठीक चार दशक बाद भारत फिर से एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी करने जा रहा है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं अगले साल 9-10 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी में होने जा रहे G-20 शिखर सम्मेलन की. भारत के पास दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक एक वर्ष के लिए G20 की अध्यक्षता रहेगी. इस दौरान, जी-20 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा, भारत कई अन्य देशों को पर्यवेक्षक के रूप में आमंत्रित कर सकता है. वीजा सुधारों और यात्रा में आसानी के साथ जी-20 की अपनी साल भर की अध्यक्षता के दौरान भारत खुद को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करेगा. अच्छी बात यह है कि इसके लिए सबसे ज्यादा तैयारी और उत्साह देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में दिख रही है. वहां की सरकार जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के प्रमुखों, मंत्रियों, प्रतिनिधियों, पत्रकारों और अन्य लोगों को आकर्षित करने के लिए दिन-रात काम कर रही है. गौरतलब है कि लखनऊ, वाराणसी, ग्रेटर नोएडा और आगरा सहित उत्तर प्रदेश के चार शहर जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चारों शहरों को आगंतुकों की मेजबानी के लिए पूरी तरह से तैयार करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं. कहने की जरूरत नहीं कि यूपी के शहरों में मेगा इवेंट की मेजबानी दुनिया के सामने 'ब्रांड यूपी' को पेश करने के अवसर के रूप में काम करेगी.

वाराणसी सबसे सम्मानित शहर
बेशक, वाराणसी हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों के लिए भारत का सबसे सम्मानित शहर है. हर हिंदू अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार वहां जाना चाहता है. दिलचस्प है कि सारनाथ, वाराणसी से 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में गंगा और वरुणा नदियों के संगम के पास स्थित है. यहीं पर गौतम बुद्ध ने सबसे पहले धर्म की शिक्षा दी और यहीं बौद्ध संघ अस्तित्व में आया. इसी तरह, जैनियों के तेइसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म यहीं हुआ था. जैन परंपरा के अनुसार, यह तीन और तीर्थंकरों सुपार्श्वनाथ, चंद्रप्रभा और श्रेयासननाथ का जन्मस्थान है. वे सभी जो भारत की यात्रा करना चाहते हैं, वे हमेशा आगरा के वास्तुशिल्प चमत्कार ताजमहल को देखने के लिए जाने के बारे में सोचते हैं. यह हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है, क्योंकि इसमें मुगल काल से संबंधित कई अन्य स्थान भी हैं, जिनमें महान मुगल सम्राट अकबर का मकबरा भी शामिल है. 

कोई कसर नहीं छोड़ेगी UP सरकार 
यदि आगरा और वाराणसी का अतीत बहुत समृद्ध है, तो तहजीब का शहर लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है और ग्रेटर नोएडा शैक्षिक संस्थानों और कॉर्पोरेट कार्यालयों के साथ एक आधुनिक शहर. यहां सैकड़ों विदेशी प्रवासी काम करते हैं. निश्चित रूप से यूपी के इन चार शहरों का चयन भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के जीवन, संस्कृति और इतिहास को प्रदर्शित करने के लिहाज से बेहतरीन है. इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस और कई अन्य प्रभावशाली नेता भारत में होंगे. जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार इस अंतरराष्ट्रीय समूह के प्रतिनिधियों को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ने जा रही है.

योगी आदित्यनाथ ने दिए निर्देश
जाहिर तौर पर विश्व के नेता भारत के बारे में अधिक जानने के लिए देश के विभिन्न स्थानों का दौरा करेंगे. ज्यादा संभावना इस बात की है कि कुछ बड़े कद वाले नेता यूपी का दौरा करें. चर्चा और स्मृति में यह बात भी रहेगी कि मारे गए जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे का वाराणसी के साथ लंबा और गहरा रिश्ता था. उन्होंने 12 दिसंबर, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शहर का दौरा किया था और गंगा आरती में शामिल हुए थे. वे वाराणसी के लोगों और इस शहर के खास मूड-मिजाज से बेहद प्यार करते थे. वैसे भी, जापान और विभिन्न बौद्ध देशों से बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल वाराणसी आते हैं. वे इस दौरान सारनाथ भी जरूर जाते हैं. उत्तर प्रदेश के सभी शहर 'अतिथि देवो भव' की भारतीय भावना के अनुसार जी-20 प्रतिनिधियों की मेजबानी करेंगे. इसी के तहत प्रदेश में इस अवसर को भव्यता देने की तैयारी की जा रही है. यूपी का समृद्ध इतिहास रहा है, इसलिए इसकी प्राचीन कला, संस्कृति, इतिहास और पुरातात्विक विशेषताओं को संकलित कर जी-20 के मंच पर तमाम तैयारियों के साथ सुंदरता से प्रस्तुत किया जाना चाहिए. योगी आदित्यनाथ ने अपने अधिकारियों से कहा है कि 'नए भारत के नए उत्तर प्रदेश' की क्षमता से पूरी दुनिया को अवगत कराने के लिए हमें राज्य की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विशेषताओं को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना होगा.

देश में करेंगे दुनिया का स्वागत
जी-20 या ग्रुप ऑफ ट्वेंटी 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) से मिलकर बना एक अंतरसरकारी मंच है. जी-20 के सदस्य राष्ट्र अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका हैं. केंद्रीय पर्यटन सचिव अरविंद सिंह ने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता के दौरान खुद को एक 'प्रमुख पर्यटन गंतव्य' के रूप में स्थापित करने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा है, 'हम अपने देश में दुनिया का स्वागत करते हुए उचित दृढ़ता, समर्पण और अपनी सांस्कृतिक समृद्धि का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं. हम इसके लिए वीजा सुधार, यात्रा में आसानी, हवाई अड्डों पर यात्री-अनुकूल आप्रवासन सुविधाओं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुलेपन सहित आवश्यक हस्तक्षेप करने की योजना बना रहे हैं'.

पर्यटन में तेजी की अपार संभावना
यूपी ही नहीं, देश के दूसरे प्रदेशों को भी कड़ी मेहनत करनी चाहिए ताकि जी20 शिखर सम्मेलन उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सके. उन्हें इस तथ्य को समझना होगा कि इस तरह के शिखर सम्मेलन बार-बार नहीं होते. इसलिए उन्हें इस मौके को हाथोंहाथ लेना चाहिए. भारत में पर्यटन क्षेत्र में तेजी से बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं. इससे एक तरफ जहां विदेशी मुद्रा की आमद होती है, वहीं दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं. विदेशी पर्यटकों का आगमन देश की विदेशी मुद्रा आय का तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा है. पर्यटन क्षेत्र से विदेशी मुद्रा आय में 2011 से 2019 की अवधि में लगभग 9.4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि देखी गई. इस क्षेत्र के आगे बढ़ाने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार और समृद्ध हो सकता है. यह तथ्य उन परिस्थितियों में बेहद अहम है जब खासकर वैश्विक ऊर्जा और खाद्य कीमतें चढ़ रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि जी-20 सदस्य राष्ट्रों से भारत में सबसे अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं. 

सऊदी अरब ने खुद को बदला
निश्चित रूप से अगर यूपी और अन्य राज्य अपने पर्यटन स्थलों में सुधार और वहां अपेक्षित विकास कार्यों पर ध्यान देते हैं, तो भारत को आने वाले समय में इसका बहुत बड़ा लाभ मिलेगा. ऐसा कहा जाता है कि सऊदी अरब को मुख्य रूप से एक धार्मिक स्थल के रूप में देखा जाता था, लोग मुख्य रूप से मक्का और मदीना के लिए यहां आते थे. जी-20 की अध्यक्षता के बाद यह यूरोप और अन्य देशों के यात्रियों के लिए खुला. लिहाजा, अगले साल होने जा रहा जी-20 शिखर सम्मेलन भारत के लिए सही मायने में एक बड़ा और उपयोगी अवसर है. यह एक ऐसी घटना है जिसकी भारत के लोगों को तो प्रतीक्षा है ही, भारत सरकार भी इस दौरान शेष विश्व के सामने एक महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में अपनी शिनाख्त को मजबूत करने के लिए तत्पर है.


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