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Toyota के विक्रम किर्लोस्कर के निधन से क्यों दुखी होंगे रतन टाटा?
टोयोटा किर्लोस्कर के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर का निधन हो गया है. वह 64 वर्ष के थे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
- विवेक शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार
टोयोटा मोटर्स के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर की अकाल मौत से रतन टाटा अवश्य उदास होंगे. दोनों अच्छे मित्र होने के साथ-साथ संबंधी भी थे. रतन टाटा के भाई नोएल टाटा के पुत्र नेविल का विवाह विक्रम किर्लोस्कर की पुत्री गीतांजलि से हुआ था. विक्रम किर्लो
सादगी भरी थी लाइफस्टाइल
विक्रम की बुधवार को हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. वे 64 साल के थे. उनकी सरपरस्ती में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स (टीकेएम) अलग-अलग प्रकार के वाहनों का उत्पादन कर रही थी. उन्हीं की पहल तथा प्रयासों से टोय़ोटा ने किर्लोस्कर ग्रुप के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया था. अरबों की चल-चल संपत्ति होने पर भी विक्रम की लाइफस्टाइल सादगी से भरी थी. वे अपने घर के निर्माण में मोटा खर्च नहीं करते थे. मीडिया से दूरी रखने वाले विक्रम अपने काम से काम रखते थे. वे उद्योगपतियो के संगठन सीआईआई के अध्यक्ष भी रहे. उनका किसी सियासी दल से भी कोई सीधा संबंध नहीं. वे अपने पीछे पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए हैं.
सभी को प्रेरित करते रहे
विक्रम किर्लोस्कर पर्दे के पीछे रहने वाले उद्योपतियों में से थे. वे आनंद महिंद्रा या हर्ष गोयनका की तरह ट्वीटर पर सक्रिय नहीं रहते थे. उन्होंने ऑटो सेक्टर में नवोन्मेष और उत्कृष्टता की संस्कृति को संस्थागत स्वरूप देना सिखाया. विक्रम के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व के चलते किर्लोस्कर ग्रुप को शानदार समूह के रूप में खड़ा किया. वे अपने सीईओ और मैनेजरों को हमेशा कुछ हटकर करने के लिए प्रेरित करते रहते थे. वे अपने अफसरों के सदैव साथ खड़े रहते थे. वे असफलता में भी कभी उनका साथ नहीं छोड़ते थे. इसलिए उनके मैनेजर भी बेहतरीन नतीजे लाकर देते.
किताबें पढ़ने के शौकीन थे विक्रम
विक्रम अपने जीवन के हर पल को सार्थक बनाने में जुटे रहते थे. बेशक मानव जीवन क्षण भंगुर है, फिर भी उसे इंसान को अपने सतकर्मों से ही सार्थक बनाने का अवसर ईश्वर प्रदान करते हैं. अंधकार का साम्राज्य चाहे कितना भी बड़ा हो पर एक कोने में पड़ा हुआ छोटा सा दीपक अपने जीवन के अंत समय तक अंधेरे से मुकाबला तो करता ही रहता है. अब देखिए कि फूलों का जीवन कितना छोटा सा होता है पर वो अपने सुगंध देने के धर्म का निर्वाह तो करते ही रहते हैं. विभिन्न विषयों की किताबें पढ़ने के शौकीन विक्रम ने अपने जीवन को फूलों और दीपक जैसा जाने-अनजाने में बना ही लिया था. वे सदैव पहले से भी बेहतर कर्म करते ही रहना चाहते थे. उनका जीवन बेदाग रहा. वे अपनी कंपनी को नई दिशा देते हुए कल्याणकारी योजनाओं के लिए मोटी राशि समाज कल्याण के कार्यों के लिए दान में देते रहे.
किर्लोस्कर समूह के बारे में
विक्रम किर्लोस्कर का संबंध भारत के सबसे बड़े इंजीनियरी एवं निर्माण उद्योग समूह से था. वर्तमान समय में यह लगभग 70 देशों को अपने उत्पाद निर्यात करता है. इस समूह की कुल बिक्री 3.5 बिलियन अमेरिकी डालर से भी अधिक है. इस समूह की पहली कम्पनी (किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड) 1888 में आरम्भ हुई थी. इस समूह की कुछ प्रमुख कंपनियां हैं-किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड, किर्लोस्कर आयल इंजिन्स तथा किर्लोस्कर फेरस इंडस्ट्रीज.
तब छापों का हुआ था विरोध
बिजनेस की दुनिया से वाकिफ पुराने लोगों को याद होगा कि जब वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री थे तब किर्लोस्कर ग्रुप पर भी इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा था, लेकिन कुछ भी आपत्तिजनक नहीं निकला था. समूचे महाराष्ट्र में इन छापों का विरोध हुआ था. कारण ये था कि किर्लोस्कर समूह की छवि साफ-सुथरी रही है. महाराष्ट्र और मराठी इस ग्रुप पर नाज करते हैं. उस परंपरा को विक्रम किर्लोस्कर आगे लेकर चल रहे थे.
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