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यूपी के इन तीन और शहरों में लागू हुआ कमिश्नरेट सिस्टम, जानिए इसके फायदे और नुकसान
तीनों कमिश्नरेट में आज ही कमिश्नर की तैनाती होगी. आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज पूरे जिले में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जाएगी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली/लखनऊः यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को प्रदेश के तीन और जिलों में कमिश्नरेट सिस्टम को लागू करने का ऐलान किया है. गाजियाबाद, आगरा और इलाहाबाद को कमिश्नरेट बनाए जाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है. तीनों कमिश्नरेट में आज ही कमिश्नर की तैनाती होगी. आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज पूरे जिले में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जाएगी. इससे पहले प्रदेश के चार शहरों लखनऊ, नोएडा, कानपुर और वाराणसी में कमिश्नरेट सिस्टम लागू है. अब ऐसे जिलों की संख्या 7 हो जाएगी.
सबसे पहले थे ये शहर
यूपी में 13 जनवरी 2020 को सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया था. 26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया था. अब आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में भी आज से ही कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया है. कमिश्नरेट सिस्टम के लागू हो जाने के बाद जिलाधिकारी के कई सारे अधिकार सीधे पुलिस के पास चले जाते हैं. एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रियल पावर भी पुलिस को मिल जाएगी. इससे पुलिस शांतिभंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक की कार्रवाई कर सकेगी.इनके लिए डीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी.
डीएम से छिन जाते हैं ये अधिकार
जिलाधिकारी से छिने ये अधिकार | कमिश्नर प्रणाली के बाद अब पुलिस को मिले ये अधिकार |
धारा 144 व कर्फ्यू | कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अब पुलिस खुद धारा 144 व कर्फ्यू लगा सकती है. |
धारा 151 (शांतिभंग) | शांति भंग के आशंका के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर 14 दिनों के लिए जेल भेज सकती है पुलिस. |
107/16 | निरोधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिला. |
गुंडा एक्ट व गैंगस्टर एक्ट, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम | पुलिस इन मामलों में अब सीधे कार्रवाई कर सकेगी. |
कारागार | कारागार से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार मिला. |
गिरोहबंद अपराध और समाज विरोधी अधिकार पर कार्रवाई | पुलिस इन मामलों में अब सीधे फैसले लेगी. |
एनएसए | राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिला. इसके अलावा 15 अन्य अधिनियम के तहत कार्रवाई का अधिकार भी पुलिस को मिल गए हैं. |
धरना प्रदर्शन | धरना प्रदर्शन की अनुमति देने न देने का अधिकार मिला. |
सरकारी गोपनीयता | सरकारी गोपनीयता भंग करने वालों पर कार्रवाई पुलिस ऐसे मामलों पर सीधे कार्रवाई करेगी. |
बनेगी पुलिस कोर्ट
पुलिस द्वारा कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद धारा-151 और 107/16 के तहत पांबन्द किए जाने के लिए एक पुलिस कोर्ट बनेगी, जिसमें पुलिस के कानून-व्यवस्था सम्बंधित मिले अधिकारों को अनुपालन कराने के लिए निर्णय होगा. बाकी अन्य आपराधिक मामलों के लिए न्यायिक न्यायालय ही सुनवाई करेगी.
अब ये अधिकार रहेंगे डीएम के पास
कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद आर्म्स एक्ट लाइसेंस देने/रद्द करने, आबकारी के सभी निर्णय, डेवलपमेंट करने का फैसला और जमीन सम्बंधित मामले, जो कि राजस्व का अधिकार जिलाधकारी के पास रहेंगे.
क्या है कमिश्नर प्रणाली
आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी, इसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने अपनाया। इस वक्त यह व्यवस्था 100 से अधिक महानगरों में सफलतापूर्वक लागू है. भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अलावा, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देता है.
कैसे होगा काम
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है. कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है. महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है, जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करता है, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है. सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये 2 से 4 थानों को देखते हैं.
कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर ये होंगे पुलिस के पद
पुलिस आयुक्त या कमिश्नर - सीपी
संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर –जेसीपी
डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी
सहायक आयुक्त- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर – पीआई
सब-इंस्पेक्टर – एसआई
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