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पिछले दो दशकों में लीगल सेक्टर में बड़े बदलाव हुए हैं: जस्टिस रेखा पल्ली
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि आज छोटे से लेकर बड़ी कंपनी तक अपने वहां जनरल काउंसिल नियुक्त करती है, आज इस पेशे के लिए कई अवसर खुल गए हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
BW Legal के The GC CONCLAVE 2023 में बोलते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में जज रेखा पल्ली ने कई अहम बातें कहीं. उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में जनरन कांउसिल की भूमिका में बहुत बड़ा बदलाव आया है. पहले बिजनेस हाउसेस वकीलों से ही राय लिया करते थे, लेकिन आज हर बिजनेस हाउस एक जनरल काउंसिल को अपने वहां अपाइंट करता है क्योंकि वो चाहता है कि उसे बिना किसी देरी के सलाह मिले. आज के दौर में जनरल काउंसिल की भूमिका बेहद अहम हो गई है. उन्होंने ये भी कहा कि इन लोगों की समस्याओं के लिए एक संस्था का होना बेहद जरूरी है जैसे वकीलों के हितों के लिए बार कांउसिल काम करती है ऐसे ही कोई संस्था इनके हितों को लेकर भी होनी चाहिए.
पहले केवल कोर्ट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि मेरे लिए इस कार्यक्रम में शामिल होना बड़ी खुशी की बात है जहां उन लोगों को अवॉर्ड दिया जा रहा है, जिन्होंने इस क्षेत्र में बेहतरीन योगदान दिया है. जनरल काउंसिल जो कि आज के लीगल प्रोफेशन में हर तरह से बेहद महत्वूपर्ण हो चुके हैं. जब हमने 1986 में इस प्रोफेशन को ज्वॉइन किया था उस वक्त कोर्ट जाने या घर बैठने के अलावा कोई दूसरा विकल्प आपके पास नहीं होता था. लेकिन आज आपके पास बहुत सारे विकल्प हैं. उस वक्त बिजनेस हाउसेस ने भी नहीं सोचा था कि उन्हें किसी भी तरह से जनरल काउंसिल की जरूरत होगी. उन्हें अगर किसी भी केस में राय की जरूरत होती थी तो वो वकीलों के पास जाते थे. जब मैं युवा थी तो लोग मुझे अदालत में बहस नहीं करने देते थे. उनका मानना था कि ये उनके लिए नहीं बना है. उस वक्त हमारे लिए केवल केस के पेपर को ड्राफ्ट करना काम होता था. लेकिन पिछले दो दशक में अगर हम देखें तो बहुत कुछ बदल गया है.
पिछले दो दशको में हुए हैं बड़े बदलाव
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि आज हम देख रहे हैं PSU हों, प्राइवेट सेक्टर हों या दूसरी कंपनियां हों सभी अपने लिए एक काउंसिल चाहते हैं. वो नहीं चाहते हैं कि उन्हें किसी भी तरह की ओपिनियन के लिए किसी भी तरह का अपॉइंटमेंट लेना पड़े या वेट करना पड़े. वो चाहते हैं कि वो उनके लिए ही काम करे. लेकिन पिछले दो दशकों में पूरा सीन बदल गया है. आज एक छोटे से छोटी कंपनी भी अपने वहां जनरल काउंसिल को रखती है. आज कई तरह के वकील हैं कोई एक्साइज पॉलिसी को जानता है, कोई क्रिमिनल है कोई रियल स्टेट है, अलग-अलग क्षेत्रों का अनुभव रखते हैं. हर कोई चाहता कोई उनके ऑफिस में हो. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार उनकी मदद करे.
कभी भी आप देखिए तो किसी भी ड्राफ्ट या उसके क्लॉज या उसकी भाषा सामान्य होती है लेकिन कौमा, फुलस्टॉप उसका मतलब बदल देते हैं. अगर आप उसे सही से ड्राफ्ट करते हैं तो आप उसका रिजल्ट पाते हैं. तो मैं कहना चाहूंगी कि अब वो समय नहीं है जब आप ये समझ लें किे आप सीनियर हैं तो आप ऑर्डर ले लेंगे बल्कि आपको सही ड्राफ्ट सबमिट करना होगा. हां सीनियर काउंसिल ध्यान खींच सकता है लेकिन रिजल्ट कुछ नहीं होगा. सिर्फ मेरी कोर्ट में नहीं बल्कि मेरे साथ कई और साथी ऐसे हैं जिनके वहां ऐसा हो रहा. ऐसे में जनरल काउंसिल की भूमिका और बढ़ जाती है. क्योंकि एक वकील को वही पढ़ना होता है जो आप उसे लिखकर देते हैं.
जनरल काउंसिल के लिए भी होनी चाहिए कोई संस्था
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि हर बिजनेस हर ट्रेड में आज जनरल काउंसिल काम कर रहे हैं. लेकिन मुझे लगता है कि आप लोगों की कोई ऐसी संस्था नहीं है जो आपकी समस्याओं को लेकर काम करे. सबसे दिलचस्प बात ये है कि अगर वकीलों की समस्या होती है तो उसके लिए बार काउंसिल काम करती है लेकिन आपकी परेशानियों के लिए कोई काम नहीं करता है. आपकी भी कोई संस्था होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे में बीडब्ल्यू लीगल वर्ल्ड और दूसरी संस्थाओं को आगे आकर इनकी मदद करनी चाहिए. आप लोगों को आकर अपनी समस्याओं को सामने रखना चाहिए. आप भले ही कोर्ट न जाकर रिस्पेक्ट न पाते हों लेकिन आप इस तरह के अवॉर्ड से ये रिस्पेक्ट पा सकते हैं. मुझे लगता है कि इससे आपको पहचान मिलने में मदद मिलेगी.
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