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अब 1 जुलाई से जज साहब नहीं कहेंगे कि IPC की धारा….के तहत सुनाई जाती है सजा
देश की संसद ने IPC, CRPC और इंडियन एविडेंस एक्ट में बड़े बदलाव किए हैं. जहां इनमें कई कानूनों को जोड़ा गया है वहीं कई धाराओं को हटाया भी गया है.
ललित नारायण कांडपाल 2 months ago
आज तक अदालतों से लेकर फिल्मों में तक भारतीय कानून की धाराओं का जब भी जिक्र होता था तो कहा जाता था कि आईपीसी की धारा के तहत मुकदमा और सजा सुनाई जाती है. लेकिन 1 जुलाई से केन्द्र सरकार के द्वारा तीनों कानूनों में किए गए बदलाव लागू होने जा रहे हैं. आज से ये भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा. केन्द्र सरकार की ओर से शनिवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
क्या कह रहे हैं नोटिफिकेशन?
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जो तीन नोटिफिकेशन जारी किए हैं उनके अनुसार, नए कानून 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे. ये कानून भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. इन तीनों कानूनों का मकसद पुरानी दंड संहिता से लेकर आपराधिक प्रक्रिया औार साक्ष्य अधिनियम में बदलाव लाना है, जिन्हें हाल ही में संसद ने लंबी चर्चा के बाद पास किया है. इन कानूनों में जो बदलाव किए गए हैं उनमें आतंकवाद की परिभाषा देने, राजद्रोह को खत्म करने और अपराध नामक एक नया सेक्शन पेश किया गया है.
तीनों कानूनों की सबसे अहम बात
1- भारतीय न्याय संहिता 2023-ये आईपीसी की जगह लेने वाली है और इसमें कई सारे बदलाव किए गए हैं जैसे राजद्रोह को हटा दिया गया है. इसमें जो सबसे बड़ा बदलाव किया गया है वो ये है कि नाबालिग से बलात्कार करने और मौब लिचिंग पर मौत की सजा का प्रावधान कर दिया गया है. अब तक आईपीसी में 511 धाराएं थी लेकिन बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जबकि 41 अपराध ऐसे हैं जिनमें कारावास की अवधि बढ़ाई गई है. 82 अपराध ऐसे हैं जिनमें जुर्माना बढ़ाया गया है, जबकि 25 अपराधों में जरुरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है.
2- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- इसे आज तक CRPC के नाम से जाना जाता था. CRPC में 484 धाराएं थी, अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. इसमें 177 धाराओं मे बदलाव किया गया है, जबकि 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 14 को बदल दिया गया है.
3- भारतीय साक्ष्य संहिता- इसे पहले इंडियन एविडेंट एक्ट कहा जाता था. लेकिन अब इसे भारतीय साक्ष्य संहिता कहा जाएगा. इसमें पहले 167 धाराएं थी, लेकिन अब इसमें 170 धाराएं होंगी. 24 धाराओं में बदलाव किया गया है. दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं जबकि 6 धाराएं खत्म की गई हैं.
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