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Google के इस नए बिलिंग सिस्टम पर सीसीआई की कड़ी नजर, जांच के आदेश
The Competition Commission of India ने गूगल (Google) के यूजर्स चॉइस बिलिंग सिस्टम (यूसीबी) के खिलाफ डायरेक्टर जनरल को पूरी जांच करके 60 दिनों के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (The Competition Commission of India) की गूगल के ऊपर कड़ी नजर है. सीसीआई ने एक आदेश पारित करते हुए है कि तकनीकी दिग्गज कंपनी गूगल के यूजर्स चॉइस बिलिंग सिस्टम (यूसीबी) को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 का उल्लंघन माना गया है. इसके तहत सीसीआई ने 15 मार्च को डायरेक्टर जनरल (डीजी) को जांच पूरी करके 60 दिनों में एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. सीसीआई ने कहा कि आयोग का प्रथम दृश्टया विचार है कि गूगल ने प्रतिस्पर्धा अधिनिम (Competetion Act) की धारा 4(2)(ए), 4(2)(बी) और 4(2)(सी) के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इसकी विस्तार से जांच जरूरी है.
ऐप डेवलपर्स पर अनुचित मूल्य लगाना नियमों का उल्लंघन
सीसीआई ने कहा है कि गूगल ने ऐप डेवलपर्स पर अनुचित मूल्य लगाकर नियमों का उल्लंघन किया है. इस तरह के शुल्क लगाने से ऐप पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. ऐप डेवलपर्स के पास अपने ऐप की पेशकश को बढ़ाने या उसे विकसित करने के लिए कम संसाधन हैं, जिससे ऐप बाजार की वृद्धि बाधित हो रही है. ऐप डेवलपर्स पर अनुचित सर्विस शुल्क थोपना, उन्हें बाजार से बाहर कर सकता है या परिचालन लागत में वृद्धि के कारण उन्हें बाजार में प्रवेश करने से रोक सकता है. ऐसे में ये डेवलपर्स बाजार तक पहुंचने से वंचित हो सकते हैं. गूगल के इस व्यवहार से ऐप डेवलपर्स को अपना व्यवसाय मॉडल और यूजर एनगेजमेंट मेथड चुनने की स्वतंत्रता भी कम मिलती है.
प्ले स्टोर से ऐप हटाने को लेकर भी विवाद
यह आदेश स्टार्टअप्स के एक समूह द्वारा दायर याचिका में पारित किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गूगल ने सीसीआई के पहले के आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें कंपनी से ऐप डेवलपर्स को ऐप खरीदने या गूगल प्ले पर इन -ऐप बिलिंग के लिए थर्ड पार्टी बिलिंग या भुगतान प्रसंस्करण सेवाओं का उपयोग करने से प्रतिबंधित नहीं करने के लिए कहा गया था. हाल ही में गूगल और कुछ भारतीय कंपनियों के बीच बिलिंग प्रणाली से संबंधित विवादों को लेकर अपने ऑनलाइन मार्ट प्ले स्टोर से कुछ ऐप्स हटाने को लेकर विवाद चल रहा है. हालांकि, इन ऐप्स को गूगल द्वारा 5 मार्च को 'अस्थायी रूप से' बहाल कर दिया गया था.
6 साल पहले शुरू हुआ था विवाद
गूगल और भारतीय स्टार्टअप्स के बीच यह विवाद करीब 6 साल पहले शुरू हुआ था. जब एंड्रॉइड और प्ले स्टोर इको सिस्टम में गूगल द्वारा अपने दबदबे का दुरुपयोग करने को लेकर सीसीआई के पास एक शिकायत दर्ज की गई थी. फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट गूगल की बिलिंग नीति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया. हालांकि, अदालत ने इन स्टार्टअप्स को गूगल के प्ले स्टोर से हटाए जाने से बचाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया.
स्टार्टअप कंपनियों ने ये लगाए आरोप
इन कंपनियों ने आरोप लगाया है कि नई नीति के तहत अगर कोई उपयोगकर्ता वैकल्पिक बिलिंग प्रणाली (जिसे उपयोगकर्ता पसंद बिलिंग प्रणाली भी कहा जाता है) के माध्यम से भुगतान करता है, तो लेनदेन पर अभी भी सेवा शुल्क लगाया जाएगा, लेकिन 4 प्रतिशत की दर से कटौती की जाएगी. इसका प्रभावी अर्थ यह है कि डेवलपर्स को इन-ऐप खरीदारी और सब्सक्रिप्शन के लिए गूगल को 6 से 26 प्रतिशत तक सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा, जो ऐप, सर्विस और गूगल प्ले पर आने वाले वार्षिक राजस्व पर निर्भर करता है.
क्या था पिछला आदेश
अक्टूबर 2022 में सीसीआई ने गूगल को कंपनी की ऐप भुगतान नीतियों को संशोधित करने के लिए कई सुधारात्मक उपायों के अलावा ऐप डेवलपर्स को ऐप खरीदने या गूगल प्ले पर इन-ऐप बिलिंग के लिए किसी भी थर्ड पार्टी बिलिंग या भुगतान प्रसंस्करण सेवाओं का उपयोग करने से प्रतिबंधित नहीं करने का निर्देश दिया था. गूगल पर अपनी प्ले स्टोर नीतियों का दुरुपयोग करने के लिए 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. गूगल वर्तमान में सीसीआई के 936.44 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ National Company Law Appellate Tribunal (एनसीएलएटी) में अपील डाली हुई है.
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