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क्या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) से पेंडिंग केसों का डिसपोजल हो सकता है : डॉ. ललित भसीन
BW Legal के इवेंट में डॉ. ललित भसीन ने मुख्य तौर पर दो विषयों पर अपनी बात को सामने रखा. इसमें पहला है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और दूसरा है ईज ऑफ डूइंग.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
BW Legal Leader Conclave और 40Under40 अवॉर्ड में अपनी बात रखते हुए भसीन एंड पॉर्टन फर्म के मैनेजिंग पॉर्टनर डॉ. ललित भसीन ने कहा कि लीगल अवेयनेस को बढ़ाने के मामले में पॉयनरियर डॉ. अनुराग बत्रा का मैं स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि इसे मैंने देखा है, इसे मैंने महसूस किया है और मैंने इसमें भाग लिया है. पिछले कुछ सालों में मैंने देखा है कि कई लोगों ने उसे गलत तरीके से लिया है जो मैंने कहा है. उन्होंने कहा कि मैंने जो कहा है वो ये है कि इस इवेंट को 30under30 और 40under40 होना चाहिए था. क्योंकि 40under40 में एक वकील काफी मैच्योर हो जाता है. उसके पास एक अच्छा अनुभव होता है. क्योंकि वो लोग जिस किसी भी क्षेत्र में प्रैक्टिस करते हैं उसमें एक अच्छा अनुभव प्राप्त कर लेते हैं. मेरा विचार ये है कि मैं आज यहां पर जो भी कहूंगा उससे आप सीखेंगे नहीं बल्कि मुझे लगता है कि वापसी मैं मुझे आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. आज मैं आप लोगों के साथ कुछ इश्यू पर बात करना चाहता हूं और ये उम्मीद रखता हूं कि मुझे आपसे कुछ सीखने को मिलेगा. तो मैं यहां कुछ सिखाने नहीं बल्कि सीखने आया हूं. हां लेकिन यहां अगर कुछ लॉ स्टूडेंट हैं उन्हें यहां बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. क्योंकि आज हम यहां जिन इश्यू पर बात करेंगें वो आपको तब काम आएंगे जब आप अपनी प्रैक्टिस शुरू करेंगे.
तकनीक का इस्तेमाल
डॉ. ललित भसीन ने कहा कि हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में बात करते हैं, लेकिन मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता हूं क्योंकि मैं इंसान की इंटेलीजेंस में विश्वास रखने वाले लोगों में शामिल हूं. ह्यूमन इंटेलीजेंस का इंसान के दिमाग से एक अटूट संबंध होता है. हमारे लिए समझने की बात ये है कि आखिर ये लॉ प्रैक्टिस को किस तरह से प्रभावित करने वाला है. देश की अर्थव्यवस्था को किस तरह से प्रभावति करने वाला है. एक दीक्षांत समारोह में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने जो कहा कि हमें अपने फाइलिंग वर्क के ज्यादातर हिस्से को डिजिटाइज करने की जरुरत है.
केस फाइल करने के तरीके से लेकर दूसरे कामों को डिजिटाइज करने की जरूरत है, जिससे हम लिटिगेशन की कॉस्ट को कम किया जा सके. उसके बाद मैंने चीफ जस्टिस से पूछा कि लॉर्ड शिप ईज ऑफ फाइलिंग से तो हम लिटिगेशन करने वालों को फायदा तो दे देंगे लेकिन डिस्पोजल का क्या होगा. क्या पिटिशन का डिस्पोजल आर्टिफिशियल तरीके से होगा? आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से डिस्पोजल नहीं हो सकता है. ये उसमें सपोर्टिव तकनीक की भूमिका निभा सकता है. ये एक निर्णायक की भूमिका को नहीं निभा सकता है. हर केस की अपनी एक अलग तरह की भूमिका होती है. हर केस एक अलग तरह के फैक्ट्स पर निर्भर करता है.
इतने करोड़ केस हैं पेंडिंग
डॉ. ललित भसीन ने कहा कि आज हमारी अदालतों में 5 करोड़ केस पेंडिंग पड़े हुए हैं, इसी तरह से 80 हजार केस सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग पड़े हुए हैं. 61 लाख केस हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं. 4 करोड़ केस लोअर कोर्ट में पेंडिंग हैं. क्या टेक्नोलॉजी हमें इसमें अहम भूमिका निभाने वाली है. मंदिर मस्जिद डिस्प्यूट लेकर कॉस्टिटयूशन से जुड़े मामले हमारे लिए अहम हो सकते हैं लेकिन उस आम लोगों के केस का क्या होगा जो कई सालों से पेंडिंग हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत के आम आदमी को न्याय मिलेगा. हमारे संविधान की पहली प्रस्तावना कहती है कि भारत के हम लोगों को न्याय मिलेगा. सवाल ये उठता है कि क्या हमें वो न्याय मिल रहा है. इसका जवाब है नहीं. लोगों को न्यायिक न्याय नहीं मिल रहा है.
क्या देश में हो रही है ईज ऑफ डूइंग?
डॉ. ललित भसीन ने कहा कि आज हमारी सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर काम कर रही है. लेकिन जो अभी कॉलेज में पढ़ रहे हैं. उनसे तो नहीं लेकिन जो लोग अभी काम कर रहे हैं, वो इस बात को समझ रहे होंगें कि और मैं उनसे जानना चाहता हूं कि आखिर वो अपने अनुभव से बताएं कि क्या ऐसा हो रहा है. आप लोग इस मामले में अपना अनुभव बताइएगा. आज हमारे देश में तेजी से कानून बनाए जा रहे हैं. उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद यंग लीगल प्रोफेशनल से जानना चाहा कि आखिर उनकी इस पर क्या राय है?
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