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जानिए बाजार और निवेश को लेकर BSE के पूर्व प्रमुख की कुछ महत्‍वपूर्ण टिप्‍स

सबसे बड़ी बात ये है कि हम परसेपशन से पैसा डालते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए, हमें स्‍टडी करके पैसा डालना चाहिए.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

पिछले कुछ समय में बाजार में कई तरह की नई डेवलपमेंट हुई है. एक ओर जहां पहले के मुकाबले आज ज्‍यादा कंपनियां अपना IPO ला रही है वहीं दूसरी ओर कई नए सेक्‍टर भी डेवलप हुए हैं. यही नहीं दुनिया भर में इस वक्‍त एक तरह की ग्‍लोबल मंदी के संकेत दिखाई दे रहे हैं. क्‍या वास्‍तव में ये चिंता का विषय है, अगर मंदी आती है तो भारत के कोराबरियों को किस तरह से काम करना चाहिए.  इस मंदी का सामना कैसे कर सकते हैं.  इन्‍हीं बुनियादी सवालों को लेकर आज BW हिंदी के एडिटर अभिषेक मेहरोत्रा ने बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज के पूर्व प्रमुख सेतुरत्‍नम रवि से उन्‍होंने विशेष बातचीत की है. आइए जानते हैं कि आखिर उन्‍होंने इस पर क्‍या कहा- 


सवाल - सर हम देख रहे हैं कि पिछले कुछ महीनों में कई बड़ी  कंपनियों और स्‍टार्टअप ने ले ऑफ किया है.  आपको क्‍या लगता है कि क्‍या ये मंदी की  शुरूवात  हो रही है, या इसका कोई और कारण है. 
जवाब - देखिए जब कभी भी कोई स्‍टार्टअप शुरु होता है तो उसको फायदे में आने में चार से पांच साल का समय लग ही जाता है. चाहे वो कोई भी स्‍टार्टअप हो, तो ये सब वैल्‍युएशन है.  उनका जो बिजनेस मॉडल है वो बहुत तेजी से बदल रहा है. जितने भी स्‍टार्टअप है उन्‍हें एनवायरमेंट को भी देखना पड़ता है.  ऐसे में क्‍या होगा कि जो लोग 5-7 साल टिक जाते हैं उन्‍हें फायदा होगा. 

सवाल - इकोनोमिक ग्रोथ के बीच के हम लोग देख रहे हैं कि IPO कल्‍चर भी बढ रहा है.  पहले कुछ कंपनियां IPO लाती थी लेकिन अब बहुत सी कंपनियां ला रही है.  क्‍या इसे इकोनॉमी के लिए अच्‍छा संकेत माना जा सकता है.
जवाब - सबसे पहले आप ये समझिए के आखिर IPO आता क्‍यों है,  IPO इसलिए आता है क्‍योंकि वो एक सेंकेंड सोर्स ऑफ इनकम है.  ये बैंक लोन के सिवाय ये एक तरह का इक्विटी पार्ट है. ये बात सच है कि बहुत सारे IPO आ गए और कई ओवर वैल्‍यूड आ गए.  उनका प्राइसिंग सही तरीके से नहीं हुआ, जिसके कारण निवेशक को नुकसान हुआ.  ये IPO कल्‍चर बहुत ज्‍यादा है मुझे लगता है कि ये बहुत ज्‍यादा है और इस तरह की परमिशन बड़ी सावधानी से देनी चाहिए.  इसकी निवेशक को भी जानकारी होनी चाहिए कि आखिर वो कहां पैसा डाल रहा है.  सबसे बड़ी बात ये है कि हम परसेपशन से पैसा डालते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए.  हमें स्‍टडी करके पैसा डालना चाहिए.


सवाल- आप भारत में EV सेक्टर की ग्रोथ को कैसे देखते हैं.  इस सेक्टर को सरकार भी प्रमोट कर रही है और बहुत तेजी से यह सेक्टर आगे बढ़ रहा है। इसे लेकर अपकी क्‍या राय है
जवाब-  देखिए EV का कानसेप्‍ट पिछले 2 साल से निकल कर सामने आया है इसमें बहुत सारी कंपनियां काम कर रही हैं लेकिन ये भी एक तथ्‍य है कि इसमें लगने वाले जो 70 पर्सेंट कंपोनेंट हैं, बैटरी हैं, कंट्रोल पैनल है उनकी जो मोटर है और जो सब कुछ है लेकिन उसमें से 70 पर्सेंट बाहर से आ रहा है. आप इस सेक्टर में देख रहे हैं कि हम इंपोर्ट पर भरोसा कर रहे हैं. इस सेक्‍टर को अगले 3 से 5 साल लगेंगे अपने आप मैन्युफैक्चरिंग और खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर बनने में इसलिए इन चीजों में समय लगता है इंडिया में EV का स्पेस है उसकी ग्रोथ का भी स्पेस है और इंडियन मार्केट बहुत बड़ा है और यह मुझे लगता है कि कामयाब होंगे.


सवाल-  2 महीने बाद बजट आने जा रहा है आप इसे कैसे देख रहे हैं
जवाब - अगर अब बजट की दो-तीन साल का ट्रेंड देखें सरकार रूरल इकोनामी पर बहुत ज्यादा फोकस कर रही है और इस बार भी मुझे लगता है कि सरकार रूरल इकोनामी पर ज्यादा फोकस करेगी. दूसरा जो फोकस सरकार का होना चाहिए वह डिसइनवेस्टमेंट यानी कि विनिवेश पर होना चाहिए. लेकिन मुझे लगता है कि यह सरकार का सेकंड लास्ट बजट है सरकार का तो मुझे लगता है कि रूरल इकोनामी पर ही सरकार इस बार भी  फोकस करेगी. अगला स्टैंड देखें तो सरकार ने पिछले बजट में लॉजिस्टिक टूरिज्म और इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस रहा था और इस बार भी कुछ ऐसा ही नजर आएगा.


सवाल- अगले 2 साल देश में चुनाव होने जा रहे हैं, जिसमें लोकसभा के साथ- साथ कई राज्‍यों में भी चुनाव होने हैं. उसके बाद कई राज्यों के भी चुनाव होने है. एक विषय जो लगातार इस बीच उठा है वह यह है कि फ्रीबीज को लेकर चर्चा हो रही है आपकी इसे लेकर क्या राय है
जवाब -  देखिए मैं वैसे पॉलिटिक्स में तो नहीं हूं मैं इसके बारे में नहीं जानता. लेकिन मैं इतना समझता हूं कि किसी चीज को फ्री करेंगे, जिसका महत्व नहीं होता है तो उसका नुकसान ही होता है. इससे एक तरह का वर्क कल्चर भी खराब होता है. सरकार दे लेकिन जरूरतमंद आदमी को दें, जिसको जरूरत है सिर्फ उसी को दें और सुप्रीम कोर्ट और दूसरी जगह पर इस को लेकर चर्चा भी हो रही है मुझे लगता है कि लोग धीरे-धीरे इसको लेकर एहसास करेंगे और यह कल्चर जो है धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा


सवाल- आप क्योंकि बीएससी के चेयरमैन रहे हैं जो कि एक तरह का हाईली स्ट्रेसफुल जॉब है आप आज के प्रोफेशनल्स को स्ट्रेस को लेकर क्या सलाह देना चाहेंगे
जवाब- देखिए सबसे इंपॉर्टेंट है कि आदमी को अपने काम को करते रहना चाहिए. अपने आप पर भरोसा करना चाहिए करियर की जर्नी किसी के लिए भी आसान नहीं होती है. कोई भी प्रोफेशनल होता है उसके लिए पहले 5-10 साल बड़े मेहनत वाले होते हैं और बहुत मेहनत करनी पड़ती है टाइम लगता है किसी भी चीज को जमाने में मैं तीन चीजों में विश्वास रखता हूं,  अपने उद्देश्य में क्लेरिटी रखें आपको जो काम करना है आप उसमें अच्छी जानकारी रखें.  जानकारी ही ताकत है और तीसरी चीज है अपनी हेल्प इन तीनों चीजों का कॉन्बिनेशन बनाकर से ही गुड प्रोफेशनल बनता है.

सवाल - पहले हमने देखा था कि केवल सीमित लोग ही इन्वेस्ट किया करते थे लेकिन अब लगभग हर प्रोफेशनल इन्वेस्ट किया करता है आपकी एक आम आदमी के लिए जो निवेश की तैयारी कर रहा है उसके लिए क्‍या सलाह होगी.
जवाब- देखिए अगर कोई आदमी इन्वेस्ट कर रहा है तो उसे जानकारी के साथ ही इन्वेस्ट करना चाहिए. ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आपने पैसा एक ही जगह डाल दिया, तीसरा लोन लेकर कभी भी निवेश नहीं करना चाहिए, कर्जा लेकर कभी भी इन्वेस्टमेंट मत करें. अगर आपने शेविंग से किया तो भी ऊपर नीचे हो सकता है लेकिन अगर आपने कर्जा किया तो कर्जा बढ़ता जाएगा और निवेश घटता जाएगा.  मेरा मानना है कि सबसे ज्यादा इन्वेस्टर एजुकेशन दूसरों से इंपोर्टेड नॉलेज नहीं होना चाहिए खुद पढ़ना चाहिए और जो मार्केट में mis-selling हो रही है उनके भरोसे नहीं रहना चाहिए. खुद अपनी ऑन रिसर्च करके ही लेना चाहिए तभी आप कामयाब हो पाएंगे रिसर्च के साथ ही निवेश करें. 


सवाल- ग्लोबल मंदी की स्थिति दिखाई दे रही है ऐसे में भारतीय कारोबारियों के लिए आपकी क्या सलाह है कि उन्हें किस तरह से इसका सामना करना चाहिए
जवाब- मेरी सलाह ये है कि जिस फील्ड में भी आप काम कर रहे हैं उसमें पूरी क्षमता के साथ काम करें और कॉस्ट कटिंग हर आदमी को कम करनी चाहिए.  इसे मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आपको सैलरी में कॉस्ट कटिंग करने की नहीं लेकिन बहुत सारे ऐसे खर्चे हैं जिसे हम सेव कर सकते हैं. पुलिंग ऑफ कार एक अपने आप में सेविंग का तरीका है जहां ट्रेवल ना करने की जरूरत हो वहां ट्रेवल ना करें,  हर तरह की कॉस्ट एफिशिएंस को हम लोगों को लाना चाहिए अगर होगा तो फिर 1 या 2 साल का मंदी का दौर आएगा और इस बार डीप मंदी का दौर आएगा. इसलिए सभी लोगों को अपना पैसा बचा कर के लोन पर ज्यादा भरोसा ना करके कैश इन हैंड पर ज्यादा भरोसा करें ज्यादा कर जाना नहीं अपनी क्षमता को बढ़ाएं
 


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