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आज AI हम सभी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है: ऋचा सिंह
ऋचा सिंह ने कई अहम मसलों पर अपनी बात कहते हुए कहा कि अगर एआई मेरे काम के 30 मिनट को बचाता है तो मैं उसे क्यों नहीं करना चाहूंगी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
BW Businessworld के मार्केटिंग वर्ल्ड के मुंबई में हो रहे इवेंट में बिजनेस वर्ल्ड के चेयरमैन, एडिटर इन चीफ और समाचार4मीडिया के संस्थापक डॉ. अनुराग बत्रा ने सीईओ सेशन में नैचुरल डायमेंड काउंसिल की मैनेजिंग डॉयरेक्टर इंडिया एंड मीडिल ईस्ट ऋचा सिंह से कई अहम विषयों पर बात की. ऋचा सिंह ने दो दशक में इस क्षेत्र में आए बदलावों से लेकर एआई की भूमिका को लेकर अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि एआई आज सभी की जिंदगी का अहम हिंस्सा बन चुका है. पेश है डॉ. अनुराग बत्रा की ऋचा सिंह से हुई दिलचस्प बातचीत के कुछ अंश-
डॉ. अनुराग बत्रा: मैं सबसे पहले आपसे पूछना चाहूंगा कि आप बीते लंबे समय से मार्केटिंग के क्षेत्र में काम कर रही हैं. आपने कई ब्रैंडस के साथ काम करने के दौरान पिछले दो दशक में मार्केटिंग में किस तरह का बदलाव देखा है?
ऋचा सिंह: मैने अपनी पहला कैंपेन एसीटेट पर बनाई थी. उसके लिए हमें एक स्टूडियो में भी जाना पड़ा था. उस वक्त डिजिटल रेवोल्यूशन मेरे लिए बड़ा सरप्राइज करने वाला था. यही नहीं मैंने अपनी पहली सैलरी से सबसे बड़ा निवेश अपने मोबाइल फोन पर किया था. डॉ बत्रा ने अपने संबोधन में यहां पर काइंडनेस का जिक्र किया था, उन्होंने कहा कि एक कंज्यूमर की पल्स को समझ पाने का हुनर हर किसी के पास नहीं होता है.
डेटा क्रंचिंग आज की तारीख में एक साइंस बन चुका है. डॉ. बत्रा ने यहां पर 9 घंटे सोने की बात कही थी लेकिन मुझे याद नहीं है कि मैं प्रेग्नेंसी के बाद से अब तक 9 घंटे सो पाई होंगी. अगर मुझे पांच घंटे की भी नींद मिल जाती है तो वो मेरे लिए पर्याप्त होती है. आज रिसर्च बहुत आसान हो गई है. पिछले दो दशक में हुए बदलाव के बारे में अगर आप पूछेंगे तो मैं यही कहूंगा कि मार्केटिंग की अप्रोच का तरीका बदल गया है लेकिन आपके अंदर का पैशन आज भी वैसा ही है.
डॉ. अनुराग बत्रा: मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि पिछले दो दशक में विज्ञापन में पोट्रीयल ऑफ वुमन में क्या बदलाव आया है? क्या हम आज भी इस मामले में स्टीरियो टाइप बने हुए हैं.
ऋचा सिंह: मै अभी भी सोचती हूं कि एडवरटाइजिंग में अभी भी बहुत कुछ स्टीरियो टाइप चल रहा है. अब वो भले ही महिलाओं के ड्रेस अप का मामला हो या महिलाओं की बात करने का तरीका हो, लेकिन मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आज न्यू एज की अच्छी कंपनियां महिलाओं को एक सशक्त महिला के तौर पर दिखा रही हैं. अब वो सिर्फ उन महिलाओं की बात नहीं है जो काम कर रही हैं अब वो घर पर रहने वाली महिलाओं की बात हो. मैं मानती हूं कि घर पर रहकर परिवार की जिम्मेदारी को संभालना अपने आप में सबसे कठिन काम है. कई फिल्में भी ऐसी आई हैं जिन्होंने महिलाओं के एमपॉवरमेंट को दिखाया है. लेकिन मुझे लगता है कि हमे अभी एक लंबा सफर तय करना है.
डॉ. अनुराग बत्रा: बिजनेस लीडर को गाइड करने में आप एआई की भूमिका को कैसे देखते हैं? क्या आप मानते हैं कि ये एक तरह से एआई इंडस्ट्री को गाइड करने की भूमिका में है या इंडस्ट्री के साथ एक कलीग तौर पर काम करने को तैयार है.
ऋचा सिंह: मैं मानती हूं कि एआई अब हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है. मैं मानता हूं कि हर मार्केटियर जो कि समय की कमी की समस्या से जूझता है एआई उस समय को बचाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. अगर आज मुझे किसी तरह का डेटा एनालिसिस करना हो तो आज वो तीन सेकेंड में हो जाता है. उसने मेरा 30 मिनट का समय बचा दिया है. अब मैं उस टाइम में ज्यादा एनालिसिस कर सकती हूं, अब आपके ज्यादा और कुछ सोचने के लिए और ज्यादा समय है.आज बहुत से लोग कहते हैं कि कॉपी राइटिंग में कोई करियर नहीं है, लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि ये पूरी तरह से गलत है. अच्छा लिखने वालों की आज भी कैंपेन में जरूरत होती है.
डॉ. अनुराग बत्रा: अगर आप ऑटो सेक्टर की बात करें तो वो आज बहुत सी कारें बेच रहे हैं. इसमें सिडान कारों की संख्या ज्यादा मौजूद है. आज भारत के बाजार में गोल्ड डायमंड से लेकर कई दूसरी चीजों की बड़ी डिमांड देखी जा सकती है. या ये भी कह सकते हैं कि आज भारत के बाजार का प्रीमियराइजेशन हो रहा है. आप इसे लेकर क्या कहना चाहेंगे?
ऋचा सिंह: आज आप किसी भी 23 साल के युवा से पूछिए तो वो यही कहेगा कि मुझे कार नहीं खरीदनी है मैं ट्रैवल करना चाहूंगा. आज सभी की पसंद FNB है. अब वो भले ही खाना खा रहे हैं या कोई दूसरा काम कर रहे हैं. मेरा मानना है कि आज हर इंडियन की एक आशा बड़ी होती है, वो भले ही 100 रुपये कमाए या 1000 रुपये कमाए लेकिन उसकी तमन्ना बहुत बड़ी होती है. हम लोग जब बड़े हो रहे थे तो हमें कहा गया था कि आपको कुछ बड़ा करना है. आज मैं जो कुछ करना चाहती हूं मैं वो कर सकती हूं.
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