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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने लगाई छलांग, जानिए कितना हुआ इजाफा
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई इस बढ़ोतरी के बाद पिछले लंबे समय से चली आ रही गिरावट का दौर भी खत्म हो गया है. ये गिरावट चार सप्ताह से चली आ रही थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
पिछले चार हफ्ते से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही कमी का सिलसिला शुक्रवार को टूट गया. शुक्रवार को जैसे ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सांख्यिकी विभाग ने आंकड़े जारी किए वैसे ही पिछले लंबे समय से चला आ रहा गिरावट का दौर खत्म हो गया. रिजर्व बैंक के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पांच सप्ताह में पहली बार बढ़ा है और 3 मार्च को समाप्त सप्ताह के अंत में ये 562.40 अरब डॉलर रहा.
कितनी हुई भंडार में बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले सप्ताह के अंत में भंडार में 1.46 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी. इससे पहले पिछले चार हफ्तों में कुल 15.8 अरब डॉलर की गिरावट के बाद 24 फरवरी को समाप्त सप्ताह में भंडार में 560.94 अरब डॉलर था. इससे पहले 10 फरवरी को जो सप्ताह खत्म हुआ था उसमें विदेशी मुद्रा भंडार 566.94 अरब डॉलर रहा था. वहीं 3 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह में 575.27 अरब डॉलर रहा था. उस हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में 1.49 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी. इतनी लंबी गिरावट के बाद पहली बार बढ़ोतरी देखने को मिली है.
रुपये की विनियम दर का पड़ता है असर
दरअसल रिजर्व बैंक डॉलर के मुकाबले रुपये के विनिमय को रोकने के लिए कई प्रकार के कदम उठाता है. रिजर्व बैंक उसमें हाजिर और वायदा बाजार में हस्तक्षेप करता है. यही नहीं विदेशी मुद्रा भंडार में बदलाव कई बार वैल्यूएशन गेन और लॉस से भी होता है. इससे पहले पिछले हफ्ते, डॉलर के मुकाबले रुपये में 0.9% की वृद्धि हुई, लगभग दो महीनों में इसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि दर्ज की गई है और एक महीने में पहली बार रुपया 82 से अधिक मजबूत हुआ. इसने उस सप्ताह 81.92 से 82.95 की सीमा के बीच में कारोबार किया. चालू सप्ताह के लिए, शुक्रवार को रुपया थोड़ा बदलाव के साथ 82.04 पर बंद हुआ था.
अक्टूबर 2021 में हुई थी बड़ी बढ़ोतरी
भले ही मौजूदा दौर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 575 अरब डॉलर पर आ गया हो लेकिन 2021 के अक्टूबर में ये अपने एतिहासिक स्तर पर पहुंच गया था. तब विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के एतिहासिक मार्क पर पहुंच गया था. लेकिन उसके बाद विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती रही है.
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