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BW Class: RBI पॉलिसी में 'बैंक रेट' क्या होता है? जानिए आसान भाषा में
किसी भी तरह की दरें अब बैंक रेट से लिंक नहीं हैं. उसके घटने या बढ़ने का कोई असर ब्याज दरों पर नहीं पड़ता है. सारी दरें अब रेपो रेट से लिंक्ड हैं,
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी में कई तरह के टर्म होते हैं जो पॉलिसी को समझने के लिए जरूरी होते हैं. हमारी इस सीरीज में हमने अबतक रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR, SLR, MSF को समझा है, अब हम समझते हैं कि बैंक रेट क्या होता है.
क्या होता है बैंक रेट
रिजर्व बैंक अपनी मॉनिटरी पॉलिसी सीधा बैंक रेट से तय करता था, यानी Key Policy Rate पहले बैंक रेट होता था. जो कि अभी रेपो रेट हो गया है. मतलब आजकल रिजर्व बैंक रेपो रेट के जरिए मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है, पहले उसकी जगह पर बैंक रेट हुआ करता था. यानी अब Key Policy Rate रेपो रेट है. जब रिजर्व बैंक को महंगाई को काबू करना होता है तो वो रेपो रेट को बढ़ाता या घटाता है. उसी हिसाब से सारे बैंक भी अपनी लोन की दरों में बदलाव करते हैं.
मान लीजिए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को बढ़ाया है तो बैंक भी लोन की दरों को बढ़ाएंगे, इससे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और तमाम तरह के दूसरे लोन भी महंगे होंगे. जब लोन महंगा होता है तो लोग लोन भी कम लेते हैं. लोन की डिमांड कम होने से महंगाई काबू में आ जाती है. इस तरह से रेपो रेट के जरिए महंगाई को नियंत्रित किया जाता है.
बैंक रेट-रेपो रेट से कैसे लिंक है
किसी भी तरह की दरें अब बैंक रेट से लिंक नहीं हैं. उसके घटने या बढ़ने का कोई असर ब्याज दरों पर नहीं पड़ता है. सारी दरें अब रेपो रेट से लिंक्ड हैं, यहां तक की बैंक रेट भी रेपो रेट से ही लिंक्ड है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब बैंक रेट की जगह रेपो रेट ने ले ली है तो इसका महत्व क्या रह गया है. बैंक रेट का इस्तेमाल दो चीजों में किया जाता है
1- हमने आपको बताया था कि बैंकों को अपना CRR, SLR मेनटेन करना होता है, अगर कोई बैंक इन दोनों को मेनटेन नहीं करता है तो उन पर रिजर्व बैंक पेनाल्टी लगाता है, ये पेनाल्टी रेट बैंक रेट से ही तय होता है. अब ये कैसे पता चले कि बैंक रेट कैसे तय होता है. दरअसल बैंक रेट तय होता रेपो रेट से यानी रेपो रेट + X%, आज की तारीख में रेपो रेट 5.4% है, जबकि बैंक रेट 5.65% है. यानी X% समय समय पर बदलता रहता है, जैसे अभी ये 0.25 परसेंट है लेकिन कभी ये 1 परसेंट भी था. आज की तारीख में MSF रेट और बैंक रेट बराबर हैं, यानी 5.65%.
2- बैंक रेट डिस्काउंट रेट की तरह भी काम करता है. जैसे बैंकों के पास उनके बिल्स ऑफ एक्सचेंज होते हैं या कमर्शियल पेपर्स होते हैं, बैंक रिजर्व बैंक के पास जाकर उनको डिस्काउंट करवा सकता है.
तो बैंक रेट की उपयोगिता पहले बहुत थी, लेकिन अब उतनी ज्यादा नहीं है. सिर्फ इन्हीं दो कामों के लिए ही बैंक रेट का इस्तेमाल होता है.
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