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Bharat में कहां मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाएगी Tesla और क्यों? यहां मिलेगा हर जवाब
सरकार ने हाल ही में नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी पेश की है, जिससे टेस्ला जैसी कंपनियों को फायदा मिलेगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
भारत की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी से उत्साहित एलन मस्क (Elon Musk) जल्द से जल्द टेस्ला (Tesla) की कारों को भारत की सड़कों पर फर्राटा भरते देखना चाहते हैं. इसी क्रम में टेस्ला की एक टीम इस महीने भारत आ सकती है. यह टीम भारत में 2 से 3 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के लिए जगह की तलाश करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टेस्ला मुख्यतौर पर तीन राज्यों पर फोकस कर रही है, जहां प्लांट लगाया जा सकता है.
हरियाणा से दूर रहेगी Tesla
Tesla इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे ऑटोमोटिव हब वाले राज्यों में लगा सकती है. वैसे हरियाणा में भी कुछ कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, लेकिन एलन मस्क की कंपनी टेस्ला का फोकस महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु पर ही रहने की उम्मीद है. इसकी प्रमुख वजह है इन राज्यों में मौजूद बंदरगाह, जहां से कारों का एक्सपोर्ट आसानी से हो सकेगा. एलन मस्क पिछले काफी समय से Tesla की भारत में एंट्री के प्रयास कर रहे हैं. बीच में कई मौके ऐसे भी आए, जब लगा कि मस्क का इंतजार लंबा हो जाएगा. लेकिन नई EV पॉलिसी के ऐलान के साथ ही यह साफ हो गया कि अब टेस्ला जैसे इंटरनेशनल प्लेयर आसानी से भारत का रुख कर सकते हैं.
क्या है नई EV पॉलिसी?
हमारी नई EV पॉलिसी में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत किया जा सकता है, यदि उनकी कीमत 35,000 डॉलर (लगभग 29 लाख रुपए) से ज्यादा नहीं है. मौजूदा व्यवस्था के तहत भारत में लाई जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों पर 70 से 100 प्रतिशत तक इंपोर्ट ड्यूटी लगती है. हालांकि, ये छूट केवल उन्हीं कंपनियों को मिलेगी जो भारत में प्लांट लगाएंगी और कम से कम 4150 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी. उन्हें बिजनेस शुरू करने के तीन साल के भीतर देश में अपनी मैन्युफैक्चरिंग शुरू करनी होगी. टेस्ला सहित कई EV निर्माता इस शर्त को पूरा करने के लिए आसानी से तैयार हो जाएंगे, क्योंकि उन्हें भारतीय बाजार में मौजूद संभावनाओं का आभास है.
हिस्सेदारी होगी प्रभावित
टाटा और महिंद्रा जैसी स्थानीय कंपनियां आयात शुल्क में कटौती के खिलाफ थीं. उन्हें डर था कि इससे भारतीय कंपनियों के हित प्रभावित होंगे. हालांकि, उनके विरोध का कोई खास फायदा नहीं हुआ. फिलहाल भारत के EV कारों के बाजार में टाटा मोटर्स का दबदबा है. महिंद्रा भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है. टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (TPEML) की देश के EV मार्केट में 73 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. पिछले वित्त वर्ष में कंपनी 53,000 से अधिक EV बेच चुकी है. वैसे, टाटा मोटर्स के पोर्टफोलियो में ईवी की हिस्सेदारी केवल 12 फीसदी है, लेकिन इसमें तेजी से विस्तार हो रहा है. टाटा और महिंद्रा दोनों ने EV पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए योजनाएं तैयार की हैं. फिलहाल, उनके सामने ज्यादा प्रतियोगिता नहीं है. लेकिन नई EV नीति का फायदा उठाने के लिए जब Tesla जैसी विदेशी कंपनियां भारत में कदम रखेंगी, तो निश्चित तौर पर उन्हें कड़ी टक्कर मिलेगी. उनकी बाजार हिस्सेदारी भी प्रभावित होगी.
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