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सपनों की कार के लिए ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी जेब, हाई तकनीक बढ़ाएगी बजट
कारों के दामों में 15 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है. इससे ज्यादा दाम बढ़ भी नहीं सकते क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो इसका सेल पर असर पड़ सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
अगर आप आने वाले साल में नई कार घर लाने की सोच रहे हैं तो आपको इसके लिए थोड़ी ज्यादा जेब ढ़ीली करनी पड़ सकती है. अगले साल आने वाले कई तकनीकी फीचर के आने के बाद माना जा रहा है कि गाड़ियों के दामों में इजाफा हो सकता है. ऐसे में आपको सपनों की कार के लिए ज्यादा जेब ढ़ीली करनी पड़ सकती है.
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट विनीत गुप्ता कहते हैं अगर हम अंतरराष्ट्रीय बाजार को देखें तो पिछले कुछ समय से हर सेक्टर को महंगाई से जूझना पड़ रहा है. अब वो लेबर की बात करें या रॉ मटीरियल की तो हर जगह महंगाई का आलम है. वो कहते हैं कि इसके अतिरिक्त कार के कई फीचर जोकि सेमीकंडक्टर चिप पर निर्भर करते हैं वो जर्मनी से आते हैं. वहां जो कंपनियां उस चिप को बनाती हैं उनके पास पहले ही ओवर ऑर्डर चल रहे हैं. वो भी एक बड़ी वजह है. इसके अतिरिक्त गाड़ियों में जो एयरबैग लगने हैं उससे लेकर कार में 360 डिग्री कैमरा या दूसरी चीजें हैं वो सभी मिलकर कार के दामों में 15 प्रतिशत तक का इजाफा कर सकते हैं. इससे ज्यादा दाम बढ़ भी नहीं सकते क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो इसका सेल पर असर पड़ सकता है.
वहीं एक दूसरे ऑटोमाबाइल एक्सपर्ट जगजीत सिंह कहते हैं कि मुझे लगता है कि ईवी सेक्शन की गाडि़यों के दामों में इजाफा हो सकता है. क्योंकि इनके पार्टस को हम बाहर से इंपोर्ट करते हैं. ज्यादा असर इसी सेक्शन की कारों के दामों पर पड़ सकता है. बाकी कारों के दामों में ज्यादा से ज्यादा 8 से 10 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है. बाकी इनके दामों का बढ़ना सरकार के बजट पर निर्भर करता है. अगर सरकार बजट में कोई नया टैक्स लगाती है तो इसके दामों में इजाफा हो सकता है.
किन-किन कंपनियों के दामों में इजाफा हो सकता है
कार बनाने वाली सभी बड़ी कंपनियों के दामों में इजाफा हो सकता है. अब वो होंडा हो या देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति हो या जीप इंडिया हो या टाटा सभी दाम बढ़ा सकते हैं. ईवी के दामों में भी इजाफा होने की उम्मीद है. लगभग 30,000 रुपये तक दामों में इजाफा हो सकता है.
बिजली की वायरिंग भी है इजाफे की एक वजह
कारों में लगने वाली बिजली की वायर का निर्माण दुनिया के कुछ ही देश करते हैं, जिनमें यूक्रेन जैसा देश शामिल है. लेकिन यूक्रेन के रूस के साथ चल रहे युद्ध के कारण इन तारों की सप्लाई पर और दुनिया भर में कारों के उत्पादन पर इसका बुरा असर पड़ा है. इसकी डिमांड ज्यादा है जबकि सप्लाई उतनी ज्यादा नहीं हो पा रही है. ऐसे में इस पर भी असर पड़ सकता है.
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