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क्या सब्सिडी कम होने से घटी है इलेक्ट्रिक 2 व्हीलर्स की बिक्री? जानें क्या कहते हैं आंकड़े
EV टू-व्हीलर पहले से ही काफी महंगे हैं, इसलिए कंपनियां दाम बढ़ाने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहतीं. इसके बजाए वे लागत कम करने के तरीके तलाश रही हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) को बढ़ावा देने के लिए सरकार सब्सिडी देती आई है. हाल ही में इस सब्सिडी में कटौती की गई थी. इसके बाद यह माना जा रहा था कि इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स की बिक्री में गिरावट देखने को मिलेगी. क्योंकि सब्सिडी में कटौती का भार कंपनियां आम आदमी पर डालेंगी. स्कूटर महंगे होने से उनके खरीदारों की संख्या में भी कमी आएगी. कुछ समय के लिए बाकायदा ऐसा लगा भी कि सरकार के फैसले का असर EV की सेल पर पड़ा है, लेकिन जल्द ही सबकुछ सामान्य हो गया.
ज्यादा लंबा नहीं रहा असर
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो सब्सिडी कम होने का असर ज्यादा वक्त तक नहीं रहा. हर महीने औसतन 70,000 दोपहिया ईवी बिक रहे हैं. जून में सरकार ने सब्सिडी में कटौती का ऐलान किया था. तब इसका असर इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स की बिक्री पर पड़ा और सेल घटकर 45,000 तक पहुंच गई. हालांकि, इसके बाद से कंपनियों के सेल्स फिगर बेहतर होते गए. फेस्टिवल सीजन में इलेक्ट्रिक स्कूटरों की बिक्री सब्सिडी खत्म होने के पूर्व के स्तर पर आ गई. अक्तूबर में 75,000 और नवंबर में 82,000 दोपहिया EV बेचे गए.
अब इतनी हो गई सब्सिडी
सब्सिडी की बात करें, तो इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स पर पहले अधिकतम 60,000 रुपए तक सब्सिडी मिल रही थी. जून में इसे घटाकर 21,500 कर दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स में एथर एनर्जी के मुख्य बिजनेस अधिकारी रवनीत फोकेला के हवाले से बताया गया है कि सब्सिडी कम होने का असर दिखाई दिया, लेकिन इसकी अवधि ज्यादा नहीं रही. अब दोपहिया ईवी वाहनों की बिक्री उसी स्तर पर आ गई है, जो सब्सिडी से पहले थी. बता दें कि भारत में EV खासकर दो-पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों का क्रेज काफी बढ़ रहा है. अधिकांश ऑटो कंपनियों ने अब EV पर फोकस शुरू कर दिया है.
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इस योजना पर चल रहा काम
कुछ वक्त पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि कंपनियां सब्सिडी कम होने के बाद के हालातों से निपटने के लिए एक दूसरी योजना पर काम कर रही हैं. दरअसल. EV टू-व्हीलर पहले से ही काफी महंगे हैं, इसलिए कंपनियां दाम बढ़ाने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहतीं. इसके बजाए वे लागत कम करने के तरीके तलाश रही हैं. कंपनियां बैटरी को छोटा करने पर विचार कर रही हैं. एक इलेक्ट्रिक Two-Wheeler की लागत में तकरीबन 40 से 50% हिस्सा बैटरी का होता है. ऐसे में बैटरी का साइज घटाने से कंपनियों की लागत भी कम होगी. एक अनुमान के मुताबिक, बैटरी के आकार में कमी से लागत में कम से कम 20 से 25 प्रतिशत कमी हो सकती है.
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