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इलेक्ट्रिक कारों का जमकर हो रहा प्रोमोशन, पर क्या यह 'जहरीली सच्चाई' जानते हैं?
इलेक्ट्रिक कारें शायद उतनी ईको-फ्रेंडली नहीं हैं, जितनी हमें नजर आती हैं. कम से कम एक रिपोर्ट तो यही बताती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
इलेक्ट्रिक कार का मतलब है डबल फायदा. पहला, पेट्रोल के चढ़ते दामों से मुक्ति मिलेगी और जेब में कुछ पैसा भी बचेगा. दूसरा, इलेक्ट्रिक कारें पर्यावरण के लिए भी बेहतर रहेंगी. इन दोनों ही बातों में सच्चाई है, लेकिन शायद उतनी नहीं जितनी हमें नजर आती है. कम से कम दूसरे मामले में तो ऐसा ही है.
उत्पन्न होता है इतना कचरा
सोसायटी ऑफ रेयर अर्थ की मानें तो एक इलेक्ट्रिक कार बनाने में इस्तेमाल होने वाला 57 किलो कच्चा माल जमीन से निकालने में 4,275 किलो एसिड कचरा और 57 किलो रेडियो एक्टिव अवशेष पैदा होता है. इतना ही नहीं, इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल (EV) बनाने में 9 टन कार्बन निकलता है, जो पेट्रोल वाली गाड़ी की तुलना में 3.4 टन ज्यादा है.
पानी भी ज्यादा खर्च
EV तैयार करने की प्रक्रिया में करीब 13,500 लीटर पानी लगता है, जबकि पेट्रोल कार में यह करीब 4 हजार लीटर है. रविवार को दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के अनुसार अगर EV को कोयले से बनी बिजली से चार्ज करें, तो डेढ़ लाख किमी चलने पर पेट्रोल कार के मुकाबले 20% ही कम कार्बन निकलेगा. बता दें कि भारत में 70% बिजली कोयले से ही बन रही है. ऑस्ट्रेलिया में हुए एक शोध से पता चलता है कि 3300 टन लीथियम कचरे में से 2% ही रिसाइकिल हो पाता है और 98% प्रदूषण फैलाता है.
3 गुना ज्यादा जहरीला
रिपोर्ट में एरिजोना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाई मैक्फर्सन के हवाले से बताया गया है कि लीथियम बहुत आसानी से इलेक्ट्रॉन छोड़ता है. इसी वजह से EV की बैटरी में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसे भले ही ग्रीन फ्यूल कहा जाता हो, लेकिन इसे जमीन से निकालने से पर्यावरण 3 गुना ज्यादा जहरीला होता है. उनके अनुसार, लीथियम की 98.3% बैटरियां इस्तेमाल के बाद गड्ढों में गाड़ दी जाती हैं. पानी के संपर्क में आने से रिएक्शन होता है और आग लग जाती है.
पर्याप्त संसाधन ही नहीं होंगे
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया में करीब 200 करोड़ वाहन हैं. इनमें 1 करोड़ के आसपास ही इलेक्ट्रिक हैं. ऐसे में यदि सभी को EV में बदला जाए, तो उन्हें बनाने में जो एसिड कचरा निकलेगा, उसके निपटान के लिए पर्याप्त साधन ही नहीं होंगे. एक अनुमान के मुताबिक, पेट्रोल कार प्रति किमी 125 ग्राम और कोयले से तैयार बिजली से चार्ज होने वाला इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रति किमी 91 ग्राम कार्बन उत्पन्न करता है. वहीं, इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन के अनुसार, यूरोप में EV 69% कम कार्बन करते हैं,क्योंकि यहां 60% तक बिजली अक्षय ऊर्जा से बनती है.
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