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जनता के समर्थन वाले आवेदन पर संसद में चर्चा की मांग वाली याचिका पर SC ने क्या कहा?
SC में आए अनुच्छेद 32 के इस्तेमाल वाली इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वो बेहद दिलचस्प है, इस याचिका में जनता के समर्थन वाले विषय पर संसद में चर्चा कराए जाने की मांग की गई थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
देश की सर्वोच्च अदालत में मामले तो कई आते हैं लेकिन कई बार कोर्ट के सामने ऐसी याचिकाएं भी आ जाती हैं जो सुनने भर से बड़ी अविश्वसनीय लगती हैं. ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया जिसमें याचिकाकर्ता ने कोर्ट से ये अनुमति मांगी कि अगर किसी विषय पर जनता का समर्थन हो तो देश के नागरिक याचिका लेकर सीधे देश की संसद में जा सकें. इस याचिका को कई लोगों के समर्थन पत्र के साथ कोर्ट में लगाया गया था. लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जो भी कहा वो बेहद दिलचस्प है.
आखिर क्या है पूरा मामला
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शुक्रवार को एक रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. इस याचिका में नागरिकों को सीधे संसद में याचिका दायर करने की अनुमति देने की मांग की गई थी. इस याचिका के लिए याचिकाकर्ता ने पर्याप्त समर्थन हासिल करने के बाद तैयार किया था. इस मामले में याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत कार्यवाही शुरू की जिसमें उसने एक ऐसी व्यवस्था बनाने की मांग की थी जिसके तहत नागरिक किसी भी महत्वपूर्ण विषय के लिए याचिका तैयार कर सकते हैं और नागरिक उनके लिए लोकप्रिय समर्थन प्राप्त कर सकते हैं. इस याचिका में भी ये कहा गया था कि यदि कोई याचिका उसके लिए जो भी सीमा तय की जाएगी अगर वो उसे पार कर जाती है तो इसे संसद में चर्चा और बहस के लिए अनिवार्य रूप से लिया जाना चाहिए जिससे उस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो सके.
इस पर अदालत ने क्या कहा
इस पूरे मामले पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने ऐसी राहत मांगी है जो विशेष रूप से संसद के क्षेत्र में है और इसलिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस पर निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है. इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने अदालत की सहायता की और कहा कि याचिकाओं की प्राप्ति के लिए एक प्रक्रिया पहले से मौजूद है, जिन पर याचिकाओं की समिति द्वारा विचार किया जाता है.
आखिर क्या है अनुच्छेद 32
अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) यह एक मौलिक अधिकार है, जो भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिये सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने का अधिकार देता है.
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