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क्रिकेट की दुनिया में चमकने के साथ ही गायब हो गए ये सितारे
1990 के आखिरी दौर में जिस क्रिकेटर ने पाकिस्तान बल्लेबाजों की नाक में सबसे ज्यादा दम किया था, वो देबाशीष मोहंती ही थे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
क्रिकेट की दुनिया में कई नाम ऐसे भी हैं, जो एकदम से चमके और फिर गायब हो गए. बेहतरीन खेल दिखाने के बावजूद उन्हें सही मुकाम नहीं मिल सका. कह सकते हैं कि उनकी खुशी महज कुछ समय की थी.
सदगोपन रमेश
इस कड़ी में पहला नाम है सदगोपन रमेश का. क्रीज पर खड़े-खड़े आंधी जैसी बॉल्स को मैदान से पार करने वाला ये खिलाड़ी, ज्यादा समय तक मैदान पर नहीं टिक सका. सदगोपन रमेश ने जनवरी 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया था. उनकी बैटिंग देखकर शोएब अख्तर और वसीम अकरम जैसे दिग्गज गेंदबाज भी घबरा जाते थे. हालांकि, इसके बावजूद उनका क्रिकेट करियर ज्यादा लंबा नहीं रहा. रमेश ने टीम इंडिया के लिए महज 19 टेस्ट खेले और मात्र 24 वनडे. उन्होंने करियर का पहला टेस्ट 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ और आखिरी 2001 में श्रीलंका के खिलाफ खेला. इसी तरह पहला वनडे 1999 में श्रीलंका और आखिरी 1999 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ.
विक्रम राठौड़
विक्रम राठौड़ का क्रिकेट करियर भी छोटा ही रहा. उन्होंने फर्स्ट क्लास मैचों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. पंजाब की तरफ से बैटिंग करते हुए उन्होंने कई दमदार परियां खेलीं और इसी वजह से उन्हें नेशनल टीम में जगह दी गई. हालांकि, यहां राठौड़ वैसा खेल नहीं दिखा सके. राठौड़ की तकनीक बेहतरीन थी, यदि उन्हें ज्यादा मौका मिलता तो शायद एक अच्छे ओपनर साबित हो सकते थे. विक्रम राठौड़ ने सिर्फ 6 टेस्ट और 7 ODI खेले. उन्होंने 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट करियर की शुरुआत की और आखिरी मैच एक साल बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला. इसी तरह, वनडे डेब्यू 1996 में पाकिस्तान के खिलाफ किया और आखिरी मैच 1997 में ज़िम्बाब्वे के अगेंस्ट.
देबाशीष मोहंती
1990 के आखिरी दौर में जिस क्रिकेटर ने पाकिस्तान बल्लेबाजों की नाक में सबसे ज्यादा दम किया था, वो देबाशीष मोहंती ही थे. पाकिस्तानी बल्लेबाज सईद अनवर ने खुद सचिन तेंदुलकर से कहा था कि उन्हें मोहंती को खेलने में परेशानी होती है. मोहंती की गेंद कब कहां स्विंग होगी, ये कोई नहीं जानता था. उनकी गेंदबाजी का एक्शन इतना फेमस हुआ था कि 1999 के वर्ल्ड कप का लोगो भी उसी आधार पर डिज़ाइन किया गया था. इतने सबके बावजूद देबाशीष मोहंती का करियर ज्यादा लंबा नहीं रहा. उन्होंने टीम इंडिया की ओर से केवल 45 वनडे और 2 टेस्ट खेले. उनके वनडे करियर की शुरुआत 1997 में पाकिस्तान के खिलाफ टोरंटो में हुई और आखिरी मैच श्रीलंका के खिलाफ 2001 में खेला.
सिराज बहुतुले
टीम इंडिया के पूर्व लेग स्पिन गेंदबाज सिराज बहुतुले का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर भी लंबा नहीं रहा. हालांकि, नेशनल टीम में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा, लेकिन ज्यादा मौके दिए जाते तो शायद वो बेहतर कर सकते थे, क्योंकि उनमें गेंद को ज़बरदस्त तरीके से घुमाने की क़ाबलियत थी. सिराज को केवल 2 टेस्ट और 8 वनडे में ही मौका दिया गया.
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