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जब ‘खुर्शीद’ में चला शायरी का दौर, देर तक सुनाई देता रहा तालियों का शोर
प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक, लेखिका, संगीतकार और गायक फ़ौजिया अर्शी ने एक भव्य उर्दू समारोह का आयोजन किया, जिसका नाम है 'खुर्शीद'.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
मीना कुमारी की याद में उर्दू का भव्य समारोह आयोजित हुआ. इस समारोह की आयोजक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक, लेखिका, संगीतकार और गायक प्रोफेसर फ़ौजिया अर्शी को दिवंगत कादर खान और दिवंगत ओम पुरी ने फिल्म जगत की सबसे पढ़ी-लिखी समझदार और कलात्मक खूबियों से भरपूर महिलाओं की शान कहा था. फ़ौजिया अर्शी ने इस भव्य समारोह का नाम ‘ख़ुर्शीद’ रखा, जिसका अर्थ होता है ‘चमकता सूरज’.
न फ़्लैश लाइट, न मोबाइल का शोर
यह ऐसा समारोह था जिसमें सुनने वाले फिल्म जगत के तमाम अभिनेता, अभिनेत्री और निर्देशक थे, लेकिन पहली बार इनमें कोई नकलीपन, फोन और औपचारिकता नहीं थी, क्योंकि यह समारोह प्रेस, फ़्लैश लाइट और कैमरों से दूर मोबाइल विहीन था. सभी का यही कहना था कि उन्हें अब तक ऐसे भव्य समारोह के आनंद का पता ही नहीं था. इसके लिए सभी ने प्रोफेसर फ़ौजिया अर्शी को शुभकामनाएं दीं. इस समारोह के आयोजन में अभिनेता सचिन पिलगांवकर का योगदान भी बहुत महत्वपूर्ण रहा, जिन्होंने फिल्म जगत से जुड़े सभी अभिनेता और अभिनेत्री को समारोह में आमंत्रित करने में जी जान लगा दी.
मुस्कुराती नजर आईं जया बच्चन
‘ख़ुर्शीद’ के इस पहले भव्य समारोह में मशहूर अभिनेत्री और सांसद जया बच्चन का नाम उल्लेखनीय है, जो ठीक समय पर समारोह में आईं और देर से आने वाले फिल्म जगत के लोगों को ग़ुस्से से देखती रहीं. उन्होंने एक पत्रकार और पूर्व सांसद से कहा कि लोग समय पर क्यों नहीं आते. पूर्व सांसद ने उन्हें कहा कि आप तो इसी संस्कृति के बीच की हैं, आपको इसका कारण कौन बताएगा. कहते हैं जया बच्चन को सार्वजनिक समारोह में और संसद की बैठकों में किसी ने मुस्कुराते नहीं देखा, लेकिन इस समारोह में जया 6 बार हंसी और ख़ूब तालियां बजाईं. फ़ौजिया अर्शी का कहना था कि वे उन्हें जया भादुरी ही कहेंगी क्योंकि उनका अपना अलग वजूद है. जबकि सचिन पिलगांवकर चाहते थे कि उन्हें जया बच्चन कहा जाए, क्योंकि इसके साथ अमिताभ बच्चन का भी ज़िक्र हो जाता है.
राज बब्बर भी रहे मौजूद
समारोह में राज बब्बर भी मौजूद रहे और उन्होंने वादा कि वे ‘ख़ुर्शीद’ के हर समारोह में अवश्य आएंगे. दिव्या दत्ता जो स्वयं एक कवित्री हैं, उन्होंने फ़ौजिया अर्शी से कहा कि वे ‘ख़ुर्शीद’ के हर समारोह में बिना बुलाए भी आ जाएंगी. जब फ़ौजिया अर्शी ने मीना कुमारी की ग़ज़ल गाई तो सभी को आश्चर्य हुआ कि बिना किसी वाद्य यंत्र के पूरे सुर में प्रोफ़ेसर अर्शी ने इसे गा दिया. सुदेश भोसले प्रोफेसर अर्शी की गाई हुई लाइनों को दोहराते हुए देखे गए, उन्होंने समारोह के बाद फ़ौजिया अर्शी की तारीफ भी की. इस दौरान प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक मिताली भूपेंद्र सिंह ने फ़ौजिया को आशीर्वाद दिया है. मिताली अपने साथी और पति भूपेंद्र सिंह के स्वर्गवास के बाद पहली बार अपने घर से निकली थीं. ऐसा लगा जैसे यह समारोह उन्हें जिंदगी की ख़ूबसूरत दुनिया में दोबारा लेकर आया है.
सचिन पिलगांवकर को लेकर खुलासा
इस भव्य समारोह में एक रहस्य और खुला कि अभिनेता सचिन पिलगांवकर स्वयं एक बड़े शायर हैं, जो बात अब तक उनके दोस्तों के बीच थी वह इस समारोह के द्वारा दुनिया के सामने आ गई. जया बच्चन को आश्चर्य हुआ कि सचिन इतने अच्छे शायर हैं. समारोह में गोविंद निहलानी, रूमी जाफ़री, सोनू निगम, रितेश देशमुख, दिव्या दत्ता, सतीश शाह, पेंटल, सुमित राघवन, अनूप सोनी, जूही बब्बर, सुप्रिया पिलगांवकर, श्रेया पिलगांवकर, इनाम-उल हक़, इस्माइल दरबार, अली असग़र, राजेश्वरी सचदेव, सुदेश भोसले, भारती आचरेकर, नासिर ख़ान, शाहबाज़ ख़ान, संदीप महावीर, सलीम आरिफ़, देविका पंडित, डॉ. टंडन, वीके शर्मा पूर्व-ईडी आरबीआई और वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय उपस्थित रहे.
नया जमाने के शायरों ने बांधा समां
उबैद आज़म आज़मी, इस्माइल 'राज़', विजय तिवारी, ए. एम तुराज़, वैभव जोशी, अहमद वसी, और सचिन 'शफ़क़' जैसे नए ज़माने के शायरों की शायरी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.सभी शायरों ने इस मुशायरे में जिस तरह दिल लगाकर शिरक़त की, उससे वहां उपस्थित सभी मेहमानों को अहसास हुआ कि जब शायर, मुशायरा और सुनने वाले जमा हों, तो फिर एक जादू होता है, जो ‘ख़ुर्शीद’ के इस पहले मुशायरे में हुआ.
इन्हें किया गया सम्मानित
इस समारोह में 5000 लड़कियों की शादी करवाने वाले श्री महेश. सावनी और प्रतिदिन 2000 लोगों को भोजन कराने वाले समाजसेवी और उद्योगपति शैलेश भट्ट का सम्मान किया गया. यह फिल्म उद्योग के लिए एक नया अनुभव देने वाला, अपनी तरह का अनूठा कार्यक्रम रहा, जिसने सभी लोगों को हृदय से आनंदित किया. इस भव्य समारोह को आयोजित करने में केनटैब ऐजुकेशन एंड वेलफ़्यर सोसाइटी और डीएमएल स्टूडीयोज़ की मुख्य भूमिका रही.
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