होम / पर्सनल फाइनेंस / जानिए फिक्स डिपॉजिट से क्यों बेहतर है डेट म्यूचुअल फंड?
जानिए फिक्स डिपॉजिट से क्यों बेहतर है डेट म्यूचुअल फंड?
FD, कम रिटर्न और सीमित विकल्पों के कारण लॉन्ग टर्म निवेश विकल्प के रूप में कम लोकप्रिय हो रहे हैं. जबकि डेट म्यूचुअल फंड (डीएमएफ) FD के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
फिक्स डिपॉजिट पैसा जमा करने का वो तरीका है जिसे हम बीते कई दशकों से सुनते आ रहे हैं. ये वो तरीका है जिसे अपने माता-पिता से भी सुना करते थे और आज भी कई लोग इसमें अपना पैसा लगा रहे हैं. लेकिन आज निवेश का बाजार इतनी तेजी से खुला है कि अब हमारे सामने कई विकल्प आ गए हैं. इन तरीकों के बीच फिक्स डिपॉजिट अब उतने लोकप्रिय नहीं रहे जितने कि पहले हुआ करते थे. आज लोग डेट म्यूचुअल फंड में ज्यादा पैसा लगा रहे हैं. इसके कई कारण हैं. आज अपनी इस स्टोरी में हम आपको यही विस्तार से बताने जा रहे हैं.
डेट MF और बैंक एफडी में कौन है बेहतर
डेट म्यूचुअल फंड (डीएमएफ) में जहां आपको जल्दी निकासी का विकल्प मिलता है वहीं इसमें बैंक एफडी की तुलना में थोड़ा अधिक रिटर्न भी मिलता है. जबकि फिक्स डिपॉजिट में बैंक आपके द्वारा तय की गई अवधि के लिए पहले से निर्धारित ब्याज दर देते हैं.
आखिर क्या हैं डेट म्यूचुअल फंड के फायदे
1- किसी भी म्यूचुअल फंड की तरह, एक डेट म्यूचुअल फंड (डीएमएफ) को बाजार में निवेश तो किया जाता है. लेकिन इन्हें ऐसी जगह निवेश किया जाता है जहां पैसा डूबने की संभावना बिल्कुल नहीं होती है. इन्हें खरीदना और बेचना बेहद आसान होता है. सबसे बेहतर ये है कि इसमें एफडी के मुकाबले ब्याज भी ज्यादा मिलता है.
2-डेट म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर पैसे हाई सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए उसे निवेश करता है. इसमें ज्यादा निवेश AAA कैटेगिरी वाली सिक्योरिटी में किया जाता है. जानकार कहते हैं कि यही सुविधा इन डेट फंड को ज्यादा बेहतर बनाते हैं.
3- इन फंड का एक फायदा ये भी है कि डीएमएफ को कोई भी व्यक्ति बहुत कम लॉक इन पीरियड के बाद निकाल सकता है. जबकि बैंक एफडी में जल्दी निकासी के मामले में दंडात्मक दर का सामना करना पड़ता है.
4- टैक्स नियमों के किए गए बदलावों के साथ डेट म्यूचुअल फंड अब भले ही एफडी जैसी स्थिति में आ गए हों, लेकिन पहले इनके ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता था. इनमें वो भी सुविधा हुआ करती थी.
5) एक ध्यान में रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण पहलू ये भी है कि डेट म्यूचुअल फंड ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील होते हैं और रिटर्न ब्याज दरों के विपरीत आनुपातिक होता है. इसका मतलब है कि अगर ब्याज दरों में इजाफा होता है तो रिटर्न बढ़ता है जबकि जब ब्याज कम होता है तो रिटर्न कम होते हैं.
6- केन्द्र सरकार ने लॉन्ग टर्म डेट म्यूचुअल फंड पर 1 अप्रैल 2023 से टैक्स छूट को खत्म कर दिया है. लॉन्ग टर्म डेट म्यूचुअल फंड के लिए कर लाभ को सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया. अगर आप अगर तीन साल से कम समय के लिए डेट म्यूचुअल फंड में पैसा रखते हैं तो उस पर आपके टैक्स स्लैब के अनुसार ब्याज लगेगा.
जबकि अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए रखते हैं तो ऐसे में निवेशक के टैक्स स्लैब दरों पर कर लगाया जाता है, न कि इंडेक्सेशन लाभ के साथ पिछले 20% और इसके बिना 10% पर लगेगा. यदि निवेशक उच्चतम टैक्स ब्रैकेट के अधीन है, तो यह दर 35.8% तक हो जाता है. इसमें सरचार्ज और सेस भी शामिल है. जानकार की इस सलाह के बीच आप जब भी निवेश करें तो अपने प्रामाणिक निवेश एक्सपर्ट की राय जरूर लें.
कौन ले रहा है एक फिल्म के लिए 78 करोड़ की फीस?
टैग्स