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BW IBLF:अगर आदमी को जीवन में फिक्र न हो तो वो कुछ नहीं कर सकता है- मुजफ्फर अली
ये बहुत मुश्किल काम है कि अपनी जिंदगी को कलमबद्ध करना.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः BW Businessworld की तरफ से आयोजित भारत के सबसे बड़े Non Fiction Book Festival IBLF में शिरकत करने आए प्रख्यात फिल्मकार और लेखक मुजफ्फर अली ने कहा कि अगर आदमी के जीवन में फिक्र हट जाए तो वो कुछ नहीं कर सकता है. गौरव डागांवकर, सीईओ और को-फाउंडर, Hooprai&Songfest India के साथ बातचीत के एक सेशन में अली ने अपनी जीवन की यात्रा जो लखनऊ से शुरू होकर अलीगढ़, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई तक गई थी, उसके बारे में तफ्सील से बातचीत की.
किताब क्यों लिखी इसके बारे में पूछने पर अली ने बताया कि, बहुत से लोगों ने मुझसे कहा कि आप कुछ किताब क्यों नहीं लिखते हैं. ये बहुत मुश्किल काम है कि अपनी जिंदगी को कलमबद्ध करना. किताब की शक्ल में इसको मुझे उतारने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. किताब की शुरुआत लखनऊ से शुरू होती है. एक लड़का बचपन में सपने की तरह और फिर बड़ा होकर एक ग्लोबल विजन की तरह शहर को देखता है.
प्रश्नः आपकी किताब में अलीगढ़ का जिक्र है. क्यों ये शहर आपकी जिंदगी में इतना अहम किरदार निभाता है? कविता, शायरी को कहने में कैसे इस शहर ने आपकी मदद की?
मैं साइंस पढ़ने के लिए अलीगढ़ गया था क्योंकि मेरे वालिद ने कहा था कि अगर साइंस नहीं पढ़ोगे तो बेकार हो जाओगे. मैं साइंस पढ़ने के लिए अलीगढ़ गया और वहां मैंने जियोलॉजी को सब्जेक्ट के तौर पर ले लिया. जियोलॉजी में ब्लॉक्स बनाना, पत्थर तोड़ना जैसे काम शामिल होते थे. पढ़ाई के दौरान मुझे साइंस की ब्यूटी के बारे में पता चला. शब्द, गीत, गीत की समझ, कैसे गीत जीवन पर सवाल बोलते हैं, तो अलीगढ़ में मेरे को किताब के नाम जिक्र की जगह पर फिक्र होने लगी. तब मुझे पता चला कि अगर फिक्र आदमी में नहीं है तो वो कुछ नहीं कर सकता. अलीगढ़ ने मुझे दुनिया को समझने का एक मौका दिया, जो मैं हमेशा अपने साथ लेकर के चलता हूं.
प्रश्नः आप अलीगढ़ के बाद कोलकाता गए जहां आपने थियटर के साथ में विज्ञापन बनाने शुरू कर दिए और फिर मुंबई में काफी वक्त बिताया. बिजनेस प्वाइंट ऑफ व्यू के हिसाब से आप दोनों शहरों में कितना अंतर पाते हैं?
कलकत्ता और बॉम्बे तब उस वक्त में देश के दो बड़े व्यापारिक शहर थे. इन दोनों शहरों में उत्पाद बनते थे, व्यापार होता था और वो उत्पाद मार्केट में जाते थे. जब मैं कलकत्ता पहुंचा, उस जमाने में मैं ये सोचकर वहां गया था कि मुझे बॉक्स वाली नौकरी नहीं करनी है, बल्कि वो करना है जो मेरे दिल और दिमाग के काफी करीब है. मैं फिर विज्ञापन में चला गया क्योंकि वहां शायरी और कविता की हवा आती रहेगी. विज्ञापन बनाते हुए पता चला कि कोई भी बिजनेस बिना इसके नहीं चल सकता है. इस तरह मैं बैलेंस करके चल रहा था.
IBLF के फाउंडर डॉ. अनुराग बत्रा ने क्या कहा?
IBLF के चौथे संस्करण के बारे में बात करते हुए, इसके (IBLF) फाउंडर और BW Businessworld और exchange4media Group के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा, "यह एक ऐसी जगह है जहां बिजनेस और ज्ञान एक-दूसरे से मिलते हैं. शहर में आयोजित हो रहा इंडिया बिजनेस लिटरेचर फेस्टिवल अपनी तरह का पहला ऐसा फेस्टिवल है, जहां विचारों के आदान-प्रदान होता है और नई प्रतिभाओं की खोज होती है. Non Fiction राइटिंग को बढ़ावा देने के मकसद से हम इस फेस्टिवल को दिल्ली से शुरू करते हुए इस बार 21 शहरों में ले जा रहे हैं."
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