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#IBLF: क्रिप्टोकरेंसी सबसे बड़ा फ्रॉड है : रॉबिन बनर्जी
अगर आपके पास एक डॉलर है तो आप बैंक में जाकर उससे 82 रुपये हासिल कर सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका कोई पता नहीं है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
Business World के इंडियन बिजनेस लिटरेचर फेस्टिवल (IBLF) के गुड़गांव में हो रहे समिट में ‘कॉरपोरेट फ्रॉड’ जैसी किताब लिखने वाले लेखक व क्रैप्रीहेंस इंडिया के प्रमुख रॉबिन बनर्जी ने कॉरपोरेट फ्रॉड को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज क्रिप्टोकरेंसी सबसे बड़ा फ्रॉड है. न तो इसकी डिमांड का पता है और न ही सप्लाई का पता है. इसे कौन रेग्यूलेट कर रहा है ये भी किसी को नहीं पता है.
रैनबैक्सी ने किया फ्रॉड
रॉबिन बनर्जी ने बताया कि हमारे देश में किस तरह से कॉरपोरेट फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है. ये हमें हमारी फॉर्मा कंपनियों से देखने को मिलता है. उन्होंने रैनबैक्सी के रिसर्च मैनेजेर दिनेश ठाकुर की कहानी सुनाते हुए कहा कि जब उनकी शिकायत पर एफडीए ने जांच की तो पाया कि रैनबैक्सी दुनिया के कई देशों में जो दवा बेच रही थी. वो दवा थी ही नहीं. क्या कोई इस पर विश्वास कर सकता है. क्या भारत में कोई विश्वास कर सकता है. उस दवा को कैंसर से लेकर दूसरी बीमारियों के लोग इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस घटना ने दुनिया में भारतीय झंडे की शान को कम करने का काम किया.
आखिर क्यों फ्रॉड है क्रिप्टोकरेंसी
रॉबिन बनर्जी ने कहा कि आप किसी भी करेंसी को तब वैलिड मानते हैं जब उसकी एक वैल्यू होती है. कार्यक्रम में आई ऑडियेंस से सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि क्या आप मुझे बता सकते हैं कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से आप कुछ शापिंग कर सकते हैं. बिटकॉइन से आप कुछ भी खरीद सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये एक ऐसी करेंसी हैं जिसकी वैल्यू आज इतनी उपर है तो कल इतनी नीचे आ जाती है. कोई वैल्यू का पता नहीं है.
कई कंपनियों की बैलेंसशीट फ्रॉड होती है
कॉरपोरेट फ्रॉड नाम की किताब लिखने वाले रॉबिन बनर्जी ने कहा कि कई कंपनियों की बैलेंस शीट फ्रॉड होती है. उनके जो एकाउंट्स दिखाए जाते हैं तो वास्तव में फ्रॉड होते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश में एक समय ऐसा भी था, जब नीरव मोदी जैसा आदमी 7 साल 14000 करोड़ से भी ज्यादा का फ्रॉड करता है. लेकिन उसे कोई कुछ नहीं कहता है. उन्होंने लिखा कि उनकी किताब में उन्होंने कई नामी कंपनियों के फ्रॉड के बारे में जानकारी दी है, जिसमें फार्मा सेक्टर से लेकर दूसरे सेक्टर की अलग अलग कंपनियां हैं.
किंगफिशर और इंडिगो दोनों एक साथ शुरू हुई
रॉबिन सचदेवा ने कॉरपोरेट फ्रॉड को लेकर अपनी बात कहते हुए कहा कि क्या आप जानते हैं कि 2012 में हमारे देश में दो एयरलाइन कंपनियां लॉन्च हुई थी, जिसमें एक थी किंगफिशर और दूसरी थी इंडिगो. लेकिन अगले कुछ सालों में किंगफिशर कंपनी विजय माल्या के फ्रॉड के साथ डूब गई. जबकि इंडिगो को वर्ष 2012 में जबर्दस्त मुनाफा हुआ. उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों को कहना चाहूंगा कि यहां देखने वाली बात ये है कि दो कंपनियां एक साथ शुरू होती हैं लेकिन एक कुछ सालों में डूब जाती है और दूसरी डूब जाती है.
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