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वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कराड के बेबाक बोल, जानिए EXCLUSIVE बातचीत में क्या कहा?
"योजनाओं को फैलाया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा से लोगों को इसका फायदा मिल सके. मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि इन योजनाओं के तहत राज्यों में बहुत अच्छा काम किया जा रहा है."
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
उर्वी श्रीवास्तव, संपादकीय लीड, BW BFSI, BW Businessworld के साथ बातचीत में; वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कुछ ज्वलंत आर्थिक मुद्दों के बारे में बात करते हुए, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और लोगों पर पड़े इसके असर के बारे में बात की.
आप एक डॉक्टर हैं, आपने राजनीति में आने का फैसला क्यों किया?
मैं ग्रामीण पृष्ठभूमि से आता हूं, वह भी एक किसान परिवार से, इसलिए, मैं समाज की कठिनाइयों को समझता हूं. मैंने औरंगाबाद के एक मेडिकल कॉलेज से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की है. बाल रोग सर्जन के रूप में, मैं छोटे बच्चों का ऑपरेशन करता रहा हूं. मैं अपने परिवार के लिए अच्छा कर रहा था लेकिन मैं हमेशा समाज में योगदान देने के लिए इच्छुक था, इसलिए मैंने आखिरकार लॉयन क्लब में शामिल होने का फैसला किया. यह क्लब डॉ. शरद कुमार दीक्षित के साथ विभिन्न शिविरों का आयोजन रहा है. जो अमेरिका के प्लास्टिक सर्जन थे. सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने के कारण मुझे 1995 में पार्षद चुना गया. इसके बाद मैं औरंगाबाद का दो बार मेयर और डिप्टी मेयर बना. उसके बाद मुझे संसद सदस्य के रूप में काम करने का भी मौका मिला और हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से अब मैं उनकी परिषद में हूं.
आपके 2021 के शपथ ग्रहण समारोह के बाद से, ऐसे कौन से कदम रहे हैं जो सरकार द्वारा समाज की बेहतरी के लिए उठाए गए हैं?
मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि मैंने 7 जुलाई 2021 को शपथ लिया था, हमारे प्रधान मंत्री ने मुझे वित्तीय समावेशन, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल लेनदेन पर काम करने के लिए कहा था. बीते एक साल के दौरान मैंने देश के 14 अलग-अलग राज्यों का दौरा किया है और सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय समावेशन योजनाओं पर बड़े पैमाने पर काम किया. 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), और अटल पेंशन योजना (APY), कुछ उल्लेखनीय सामाजिक सुरक्षा योजनाएं हैं. वित्तीय समावेशन के लिए, मुद्रा योजना, प्रधान मंत्री स्वानिधि योजना, और प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम कुछ उल्लेखनीय योजनाएं हैं, मैंने इन योनजानों की पहुंच का बढ़ाने के लिए काम किया. इसका उद्देश्य योजनाओं की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करना और यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें. मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि इन योजनाओं के तहत राज्यों में बहुत अच्छा काम किया जा रहा है.
इन योजनाओं से आम आदमी को कैसे फायदा मिल रहा है, क्या आप कुछ तथ्य और आंकड़े साझा कर सकते हैं?
PMJDY के तहत कोई भी व्यक्ति जीरो बैलेंस के साथ खाता खोल सकता है. इस फायदे का साथ 45 करोड़ 95 लाख लोगों ने इस योजना के तहत खाता खुलवाया है. इसके अलावा, PMSBY के तहत, जो एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, 29 करोड़ इससे लाभान्वित हो रहे हैं. PMJJBY ने अब तक 13 करोड़ लोगों की भागीदारी देखी है.
नए व्यवसायी जिनके पास आनुषंगिक नहीं है, वे मुद्रा योजना का लाभ उठा सकते हैं. यदि हम बीते दो सालो के दौरान महामारी को देखें, जिसने अर्थव्यवस्था को धीमा किया, तो आत्मनिर्भर पैकेज ने 4.5 लाख करोड़ रुपये दिए, जिससे कई छोटे और भविष्य के व्यवसायों को लाभ हुआ.
भारत के वित्तीय क्षेत्र के विकास में बाधा डालने वाले मुद्दे क्या हैं?
ऐसे कई सिस्टमैटिक मुद्दे हैं जो भारत के वित्तीय क्षेत्र के विकास में बाधक थे. बड़ी संख्या में लोग औपचारिक बैंकिंग क्षेत्र का हिस्सा नहीं थे और सामान्य तौर पर शिक्षित लोगों को वित्त क्षेत्र का सतही ज्ञान था. 2014 के बाद से, प्रधानमंत्री के संरक्षण में, वित्तीय क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं. हमारे द्वारा किए गए प्रत्येक सुधार को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया गया. सबसे पहले, हमने समाज के बिना बैंक वाले व्यक्तियों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई और बैंकिंग शुरू की. दूसरा, हमें नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) और उनके आसपास के खातों से निपटना था. 2018 में NPA खाता 14.58 प्रतिशत था, जो काफी कम होकर 7.4 प्रतिशत पर आ गया है.
2014 से पहले, NPA खातों को मान्यता भी नहीं दी जाती थी, और अगर वो होते भी थे तो उनका पुनर्गठन कर दिया गया. मैं इस बात पर भी जोर देना चाहूंगा कि साल 2013-14 में बैंक धोखाधड़ी के मामले 1.32 प्रतिशत थे जो 2021-22 में घटकर 0.047 प्रतिशत पर आ गए. हम सरकार द्वारा उठाए गए सुधारों और कदमों के कारण वित्तीय क्षेत्र में चुनौतियों में तेजी से कमी देख सकते हैं.
NPA की समस्या को हल करने के अलावा सरकार आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए और क्या कर रही है?
हम युद्धस्तर पर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं. ग्रामीण हो या शहरी क्षेत्र, हम वित्तीय साक्षरता और जागरूकता के आसपास शिविर का आयोजन कर रहे हैं. इन शिविरों को देश भर में NABARD जैसे संगठनों द्वारा फाइनेंस किया जाता है.
प्रौद्योगिकी के बढ़ते इस्तेमाल पर भी काफी ध्यान दिया जा रहा है, उदाहरण के लिए, UPI का इस्तेमाल. सरकार द्वारा डिजिटल लेनदेन को बहुत बढ़ावा दिया गया है. 2017-18 को देखें तो 2071 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ है, जो 2021-22 में बढ़कर 8,190 करोड़ हो गया है, जो कि 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. मैं इस बात पर भी प्रकाश डालना चाहूंगा कि डिजिटल लेनदेन जरूरी है क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार कम है.
इस साल के बजट पर नजर डालें तो प्रधानमंत्री के तत्वावधान में पूंजीगत व्यय के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह सरकार के लिए मूल्यवान संपत्ति बनाता है. मैं प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के बारे में भी बताना चाहूंगा, जिसके लिए एक परियोजना के संचालन के लिए बड़े पैमाने पर अंतर विभागीय समन्वय की आवश्यकता होती है जो यह सुनिश्चित करेगी कि हर परियोजना पूरी हो और बीच में ही नहीं छोड़ी जाए.
कुछ ताजा आर्थिक मुद्दों की बात करें तो रुपया 80 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया, भारत सरकार इस मुद्दे का हल निकालने के लिए क्या कर रही है?
हम रोज पढ़ रहे हैं कि रुपये की कीमत गिर रही है, इस पर मैं कहना चाहूंगा कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व बैंक ने डॉलर पर ब्याज दर बढ़ा दी है. हालांकि इसका विनिमय दर पर प्रभाव पड़ता है, मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि पाउंड, यूरो या येन जैसी अन्य मुद्राओं के मुकाबले रुपया पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. फिर भी सरकार इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठा रही है. विदेशी जमा और विदेशी पूंजी प्रवाह को और अधिक कुशल बनाया गया है. इसके साथ ही सरकार वित्त में भी सख्त अनुशासन का पालन कर रही है और केंद्रीय बजट के अनुमानों से आगे नहीं बढ़ रही है.
हाल ही में जीएसटी दरों को लेकर जो ऐलान हुए, उसने एक सार्वजनिक बहस छेड़ दी है, इस पर आपका क्या कहना है?
GST लोगों के लिए काफी फायदेमंद रही है, पहले 16 से 18 टैक्स लगते थे, अब एक ही है. हमारे पास एक GST परिषद है, जिसमें हर राज्य के वित्त मंत्री हैं. जब भी कोई GST दर लागू होती है तो वह GST परिषद में आम सहमति से होती है. पहले जो उत्पाद पंजीकृत ब्रांडों के तहत बेचे जाते थे उन पर कर लगाया जाता था. इससे कई मामले सामने आए जहां बड़ी बड़ी कंपनियों ने करों की चोरी की. इससे सरकार को राजस्व में नुकसान हुआ. इससे बचने के लिए परिषद ने उन उत्पादों पर कर लगाने का निर्णय लिया जो लेबल और पैक किए गए हैं. इसने उत्पादों की सूची में हल्का सा बदलाव किया, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह खुले में बिकने वाले उत्पादों और उनके विक्रेताओं को प्रभावित नहीं करता है.
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