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पीते नहीं हैं सिगरेट फिर भी फेफड़े हो रहे हैं खराब, स्टडी में आया सामने
पुरूषो में इस बीमारी से होने वाली मौतों में ये सबसे बड़ा कारण है. जबकि महिलाओं में ये नंबर सात से नंबर तीन पर आ गया है. कैंसर के कुल मरीजों में दस प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो 50 साल से कम थे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
ये तो सभी जानते हैं कि स्मोकिंग के बाद कैंसर की बीमारी होती है, लेकिन हाल ही में मेदांता हॉस्पीटल में हुई एक स्टडी में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जानकारी ये निकलकर सामने आई है कि नॉन स्मोकिंग करने वाले लोगों को भी कैंसर की बीमारी बड़ी संख्या में हो रही है. इस स्टडी में निकलकर सामने आया है कि 70 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो 50 साल से कम उम्र के हैं, जबकि 100 प्रतिशत लोग 30 साल से कम उम्र के हैं. ये स्टडी पिछले 10 सालों में हुई है.
स्टडी में क्या निकलकर आया
मेदांता अस्पताल में 300 मरीजों पर हुई इस स्टडी में निकलकर सामने आया कि इस बीमारी के ज्यादातर मरीज जो सामने आए हैं वो स्मोकिंग करते ही नहीं हैं. इनमें ज्यादा यंगर एज के लोग हैं. अरविंद कुमार की टीम ने इन मरीजों पर मार्च 2012 से नवंबर 2022 तक अध्ययन किया है, जिसमें उन्होंने देखा कि ऐसे मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
किन-किन तथ्यों का रखा गया रिकॉर्ड
अरविंद कुमार की टीम ने अपने दस साल तक किए इस अध्ययन में 304 मरीजों की जांच की, जिसमें उन्होंने उनके स्मोकिंग स्टेट्स, बीमारी के पहचाने जाने पर उसका स्टेट्स, और लंग्स कैंसर का टाइप जैसे तथ्यों की पहचान की गई. लंग्स कैंसर एक ऐसा कैंसर है जिसमें मरने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होती है. इस बीमारी का एडवांस उपचार होने के बाद भी आज इससे मरने वाले लोगों की संख्या में मामूली कमी आई है. ॅभ्व् के मुताबिक आज भी भारत में लंग्स कैंसर के कारण मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. मौजूदा समय में भारत में 63000 ऐसे लोग हैं जिन्हें लंग्स कैंसर की शिकायत है. स्टडी में ये भी निकलकर सामने आया कि ये महिला और पुरूष में तेजी से हो रहा है.
चौंकाने वाले तथ्य
इस पूरी स्टडी में चौंकाने वाली बात जो सामने आई है उसे बताते हुए अरविंद कुमार कहते हैं कि मैं ये जानकर हैरान हूं कि युवाओं में ये ज्यादा सामने आ रहा है. जिसमें ज्यादातर नॉन स्मोकर और महिलएं शामिल हैं. जबकि पारंपरिक रूप से मैंने देखा है कि जो लोग स्मोक करतें हैं उनमें ये बीमारी ज्यादा होती है. अरविंद कुमार कहते हैं कि अब इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि हमारे आसपास होने वाला एयर पल्यूशन इसमे बडी भूमिका निभाता है.
महिलाओं में ज्यादा मामले आए हैं सामने
अरविंद कुमार की ये स्टडी बताती है कि महिलाओं में इस तरह के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं. जो कि कुल मरीजों का 30 प्रतिशत है. जबकि पिछली स्टडी में ये फीगर बहुत कम था. वो कहते हैं कि ज्यादातर मरीजों की इस बीमारी के बारे में तब पता चलता है जब वो एडवांस स्टेज में आ चुके होते हैं. जबकि पूरा ईलाज संभव नहीं हो पाता है. जबकि कई मामलों में इसकी सही तरीके से पहचान नहीं हो पाती है और उनका ईलाज टीबी समझकर शुरु हो जाता है.
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