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विंस्टन चर्चिल: भारत की आजादी का वो दुश्मन, जिसकी ‘चाहत’ नहीं हुई पूरी
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल उन लोगों में शुमार थे, जिन्होंने भारत और यहां के लोगों से हमेशा नफरत की.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
भारत को आजाद होते देखना अंग्रेजों की मज़बूरी थी. वह कभी नहीं चाहते थे कि भारत एक स्वतंत्र देश के रूप में अपनी पहचान बनाए, लेकिन देश में आजादी को लेकर चल रहे आंदोलन, ब्रिटिश राज से मुक्ति के लिए हर जोखिम उठाने को तैयार हुजूम उसकी चाहत पर भारी पड़ गया और अंग्रेजों को मज़बूरी में भारत छोड़ना पड़ा. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल उन लोगों में शुमार थे, जिन्होंने भारत और यहां के लोगों से हमेशा नफरत की. उन्होंने यहां तक कहा था कि भारत महज एक भौगालिक क्षेत्र है, देश नहीं और आजाद भारत कभी एकजुट नहीं रह पाएगा. क्योंकि यहां ज्यादा ही विविधता है, 22 भाषाएं और अलग-अलग धर्म हैं, संस्कृतियां हैं.
चर्चिल की नाकाम कोशिश
विंस्टन चर्चिल भारत पर शासन करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते थे. एकबार ब्रिटिश संसद में भारत की आजादी पर चर्चा के दौरान उन्होंने यहां तक कह डाला था कि मैं ब्रिटेन का प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बना हूं कि भारत को स्वाधीनता देकर ब्रिटिश साम्राज्य का दिवाला निकाल दूं. भारत हमारा गुलाम रहा है, इसके निवासियों को आजादी के सपने देखने का कोई अधिकार नहीं है. दूसरे शब्दों में कहें तो चर्चिल ने पूरी कोशिश की कि भारत कभी आजाद न होने पाए. जब वह इसमें सफल नहीं हुए तो एक राष्ट्र के तौर पर भारत की क्षमता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया.
एकजुट बना रहा भारत
चर्चिल चाहते थे कि किसी तरह अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ भारत एक राष्ट्र के रूप में नाकाम हो जाए, ताकि उनकी कही बातें सही साबित हों, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. भारत न केवल एकजुट रहा, बल्कि मजबूती के साथ आगे बढ़ा. उसने सेकुलर राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई. जिस तरह हर व्यक्ति की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं, वैसे ही एक देश के रूप में भारत को भी कई उतार-चढ़ावों से गुजरना पड़ा. देश का विभाजन, बाबरी मस्जिद विवाद, ऑपरेशन ब्लू स्टार, गुजरात दंगे, लेकिन किन देशों में ऐसा नहीं होता और कौनसा देश भारत जितनी विविधता का दावा कर सकता है?
पूरी दुनिया मानती है लोहा
आज भारत वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ रहा है. यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत इकलौता ऐसा एशियाई देश है, जो चीन को रोक सकता है. विंस्टन चर्चिल को लगता था कि विविधता भारत को एकजुट नहीं रख पाएगी, लेकिन भारत आज भी एकजुट है. वो सोवियत संघ, यूगोस्लाविया, इथियोपिया और पाकिस्तान जैसे टूटा नहीं. आजादी के समय भारत की प्रति व्यक्ति आय 2.89 डॉलर थी, जो आज 1980 डॉलर पहुंच गई है. भारत आज दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. पूरी दुनिया उसका लोहा मानती है और इसमें चर्चिल का ब्रिटेन भी शामिल है. आजादी के इन 75 सालों में भारत ने हर उस 'चर्चिल' को गलत साबित किया है, जिसे लगता था कि भारत मजबूती के साथ आगे नहीं बढ़ पाएगा. शक्तिशाली देशों की जमात में वह सबसे पीछे खड़ा नजर आएगा.
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