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मजबूत BSNL के पक्ष में क्यों हैं मुकेश अंबानी? ये है इस सवाल का जवाब
मुकेश अंबानी ने कहा था कि मैं बीएसएनएल को मजबूत करने के प्रयासों के लिए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और सरकार को बधाई देना चाहता हूं
रोहित चिंतापली 1 year ago
देश में 5G सर्विस की लॉन्च के समय रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को लेकर जो कुछ कहा अब उसके मायने तलाशे जा रहे हैं. कई लोगों के लिए BSNL को मजबूत बनाने की सरकार की योजना की तारीफ करना चौंकाने वाला रहा, क्योंकि मजबूत BSNL प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों की हिस्सेदारी में सेंध लगा सकती है, जिसमें अंबानी की रिलायंस जिओ भी शामिल है. इंडियन मोबाइल कांग्रेस में 5G की लॉन्चिंग के वक्त मुकेश अंबानी ने कहा था, 'मैं बीएसएनएल को मजबूत करने के प्रयासों के लिए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और सरकार को बधाई देना चाहता हूं. मजबूत BSNL इस रणनीतिक क्षेत्र में एक सरकारी इकाई की संतुलित उपस्थिति लाएगा.
पिछड़ती गई कंपनी
किसी जमाने में टेलीकॉम इंडस्ट्री में BSNL का दबदबा था, लेकिन धीरे-धीरे ये सरकारी कंपनी प्राइवेट प्लेयर्स से पिछड़ती चली गई. TRAI के डाटा के अनुसार, जून, 2020 तक इस क्षेत्र में बीएसएनएल का वायरलेस सब्सक्राइब बेस शेयर मात्र 9.72 प्रतिशत था, जबकि रिलायंस Jio का 36, एयरटेल का 31% और वोडाफोन आईडिया (Vi) का 22 फीसदी. 2011 में जब बीएसएनएल अभी से बेहतर स्थिति में थी, तब उसकी हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी और रिलायंस की 16 फीसदी. तब से अब तक दोनों के बीच का ये फासला काफी बढ़ गया है.
ये होगा फायदा
5G के आने से पहले भी भारतीय दूरसंचार बाजार में पिछले कई सालों से Jio और Airtel का एकछत्र राज रहा है.Vi तीसरे स्थान पर है, हालांकि फिलहाल उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है. इस परिदृश्य में, मजबूत BSNL सैद्धांतिक रूप से एक अच्छा विचार हो सकता है, क्योंकि इससे दूरसंचार क्षेत्र में मौजूदा एकाधिकार में संतुलन आएगा. शायद मुकेश अंबानी भी BSNL को मजबूत बनाने में सरकार के प्रयासों की तारीफ करके यही कहना चाह रहे थे. वैसे, बीएसएनएल का फिर से मजबूत होना आम उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद रहेगा. टेलीकॉम इंडस्ट्री में एक और दमदार प्लेयर की मौजूदगी बाकी कंपनियों को अपने टैरिफ में मनमानी वृद्धि करने से रोकेगी. इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेहतर कनेक्टिविटी मिल सकेगी.
कम हुआ है घाटा
बीएसएनएल के लिए भले ही बीता कुछ समय अच्छा नहीं रहा, लेकिन से जुड़े कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं. मसलन, 2020-21 में, BSNL EBITDA पॉजिटिव बन गई और इसका घाटा 2020-21 में घटकर 7,441 करोड़ रुपए हो गया, जो 2019-20 में 15,500 करोड़ था. कंपनी को FY22 में 17,000 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व की उम्मीद है. गौरतलब है कि सरकार बीएसएनएल को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रही है. इसी के मद्देनजर जुलाई में केंद्र सरकार ने 1.64 लाख करोड़ रुपए के पैकेज को स्वीकृति दी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया था. पैकेज में से 44000 करोड़ रुपए नकदी के तौर पर कंपनी को उपलब्ध कराया जाएगा. जबकि शेष बची 1.20 लाख करोड़ रुपए की राशि अगले चार वर्षों के दौरान मुहैया कराई जाएगी.
बढ़ाना होगा सब्सक्राइबर बेस
बीएसएनएल को यदि बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करनी है, तो उसे अपना सब्सक्राइबर बेस बढ़ाना होगा और ऐसा ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस करके किया जा सकता है. क्योंकि प्राइवेट कंपनियां इस मामले में अभी पीछे हैं. बता दें कि 5G की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार की योजना 500 दिनों में 25000 दूरसंचार टावर लगाने की है और इसके लिए 36,000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं.
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