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मुफ्त की योजनाओं पर किन राज्यों ने किया सबसे ज्यादा खर्च, RBI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
रिपोर्ट में कई ऐसे चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं, जिसमें आय कम होने पर भी राज्य ने सब्सिडी देने में किसी तरह की कोताही नहीं की है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्यों की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है जिसमें मुफ्त की रेवड़ियां बांटने वाले यानी की सब्सिडी देने वाले राज्यों की एक लिस्ट जारी की गई है. इस लिस्ट को प्रत्येक राज्य के बजट के आधार पर केंद्रीय बैंक ने तैयार किया है. रिपोर्ट में कई ऐसे चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं, जिसमें आय कम होने पर भी राज्य ने सब्सिडी देने में किसी तरह की कोताही नहीं की है. इससे राज्यों का बजट काफी गड़बड़ा गया है.
मुफ्त की योजनाओं पर इन राज्यों ने किया सबसे ज्यादा खर्च
अपनी टैक्स आय से सब्सिडी देने वालों में पंजाब (45.4%) और आंध्रप्रदेश (30.3%) पहले और दूसरे स्थान पर रहे हैं. वहीं मध्य प्रदेश 28.8 फीसदी के साथ तीसरे पायदान पर रहा है. झारखंड का नंबर इसके बाद आता है, जिसने 26.7 फीसदी सब्सिडी पर खर्च किया. लिस्ट में इसके बाद पश्चिम बंगाल (23.8%), राजस्थान (8.6%) और बिहार (2.7%) का नाम है. सबसे कम सब्सिडी देने वाले राज्यों में केरल है, जिसने केवल 0.1 फीसदी ही सब्सिडी के तौर पर खर्च किया है.
क्या होती हैं मुफ्त की रेवड़ियां
आरबीआई के अनुसार मुफ्त की रेवड़ियां वे योजनाएं हैं, जिनसे इकोनॉमी को कोई फायदा नहीं होता. फ्री बिजली-पानी, बस यात्रा, कर्जमाफी जैसी योजनाएं रिपोर्ट में मुफ्त की रेवड़ियां मानी गई हैं. रिपोर्ट कहती है कि ये प्रदेश के बैंकिंग सिस्टम को खोखला बना रहीं हैं. ये निजी निवेश के प्रोत्साहन को कम करती हैं.
27 हजार करोड़ की सब्सिडी दी आंध्र प्रदेश ने
रिपोर्ट में राशि के आधार पर आंध्रप्रदेश 27,541 करोड़ की सब्सिडी देकर देश में अव्वल है. 21 हजार करोड़ के साथ मप्र दूसरा और 17,000 करोड़ की सब्सिडी देने वाला पंजाब तीसरे स्थान पर है. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कर्ज के भारी बोझ से दबे हैं. कर्ज के अलावा इन राज्यों का आमदनी और खर्च का प्रबंधन भी ठीक नहीं है. यानी ये राज्य ऐसी जगहों पर खर्च नहीं कर रहे हैं. जहां से आमदनी के स्रोत पैदा हों. यही वजह है कि इन राज्यों में भविष्य में कर्ज की स्थिति और भयावह हो सकती है. आरबीआई ने इन राज्यों को जरूरत से ज्यादा सब्सिडी का बोझ घटाने की सलाह दी है.
वित्तीय घाटा भी बढ़ा रहा है चिंता
इन राज्यों का वित्तीय घाटा भी चिंताएं बढ़ा रहा है. 10 साल पहले मप्र के जीएसडीपी(राज्य घरेलू उत्पाद) में खुद के टैक्स की अर्जित राजस्व की हिस्सेदारी 8% होती थी. अब यह घटकर 6% ही रह गई है. बिजली कंपनियों को बेलआउट करने पर मप्र सरकार पर 49,112 करोड़ रुपये का लंबी अवधि का कर्ज बढ़ा है. वहीं राजस्थान की बात करें तो गहलोत सरकार ने सत्ता में आते ही सहकारी बैंकों के किसानों का किसान कर्जमाफी के नाम पर 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए. सीएम अशोक गहलोत ने बजट में 50 यूनिट तक फ्री बिजली का ऐलान किया. इससे राज्य के सरकारी खजाने पर करीब 6 हजार करोड़ का भार पड़ा है. गहलोत सरकार अब 1.33 करोड़ महिलाओं को फ्री मोबाइल बांटने जा रही है. बजट ढाई हजार करोड़ से बढ़ाकर 12,500 करोड़ रुपये करने की खबर है.
भारत पर 70 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज
पंजाब पर 3 लाख करोड़ का कर्ज है. पंजाब की पूरी आबादी ही करीब 3 करोड़ है. इसका मतलब हुआ कि हर नागरिक पर करोड़ों का कर्ज है. कर्नाटक पर 6 लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज है. सभी भारतीय राज्यों पर संयुक्त रूप से 70 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. पीएम मोदी ने किसी पार्टी का नाम लिए बिना बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान कहा था ‘हमारे देश में रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है. ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है. इस रेवड़ी कल्चर से देश के लोगों को बहुत सावधान रहना है.’
सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है मामला
चुनाव के दौरान फ्री की चीजें या सुविधाएं देने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. वोट लुभावन वादे और मतदाताओं को, जनता को मुफ्त सर्विस या चीजें देना ‘रेवड़ी बांटना’ कहलाता है और इस ‘रेवड़ी कल्चर’ के मुद्दे को उच्चतम न्यायालय में उठाया है याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने. चुनाव से पहले फ्री देने के वादों पर रोक लगाने की याचिका पर 26 जुलाई को बहस हुई, सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से कुछ सवाल-जवाब भी हुए. भारत के मुख्य न्यायाधीश CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि ये 'एक बहुत ही गंभीर मुद्दा' है. सीजेआई ने केंद्र सरकार से ऐसी बातों को कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने को कहा. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अगस्त को है. अगर सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई फैसला देती है, तो देश के सभी राज्यों को इसका पालन करना होगा और मुफ्त की रेवड़ियां बांटने पर रोक लगानी होगी.
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