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कच्चे तेल पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, जानिए क्या होगा इसका असर
Narendra Modi: वर्तमान नियम के अनुसार देश में कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियां सिर्फ उन्हें ही तेल बेच पाती हैं, जिनका आवंटन सरकार ने किया है.
चंदन कुमार 1 year ago
नई दिल्ली: देश में कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियां अब बिना रोक-टोक के खुले बाजार में तेल बेच सकती हैं. केंद्र सरकार ने इसकी खुली छूट दे दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने इसकी मंजूरी दे दी. नई व्यवस्था 1 अक्टूबर, 2022 से लागू हो जाएगी.
सरकार के इस फैसले से किसे होगा फायदा
सरकार के इस बड़े फैसले से ONGC, Indian Oil और निजी तेल उत्पादक कंपनियों को काफी फायदा होगा.
अभी क्या है नियम
वर्तमान नियम के अनुसार देश में कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियां सिर्फ उन्हें ही तेल बेच पाती हैं, जिनका आवंटन सरकार ने किया है. वे अपनी मर्जी से किसी को भी तेल नहीं बेच सकतीं, लेकिन 1 अक्टूबर से वे ऐसा कर सकेंगी, जिसमें सरकार की दखलअंदाजी नहीं रहेगी.
...पर ऐसा नहीं कर पाएंगी कंपनियां
इस फैसले के संबंध में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, "सभी ई एंड पी कंपनियों को अब घरेलू बाजार में अपने तेल क्षेत्रों से कच्चा तेल बेचने की आजादी होगी. सरकारी राजस्व जैसे रॉयल्टी, उपकर, आदि की गणना सभी अनुबंधों में पहले की तरह एक समान आधार पर की जाती रहेगी. उन्हें निर्यात की अनुमति नहीं होगी." यानी तेल कंपनियां भारत में तो किसी को भी तेल बेच सकती हैं, पर वो भारत के बाहर निर्यात नहीं कर सकतीं. छूट देने के साथ-साथ सरकार ने ऐसा करने पर रोक लगाई है.
इस फैसले से क्या होगा फायदा
- ऐसा करने से आर्थिक गतिविधियों को और बढ़ावा मिलेगा.
- अपस्ट्रीम तेल और गैस क्षेत्र में निवेश करने का प्रोत्साहन मिलेगा.
- इन क्षेत्रों में भी ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्ट कर सकेंगे.
- उत्पादन बढ़ने के साथ विदेशों पर हमारी निर्भरता कम हो जाएगी.
वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने क्या कहा
मोदी सरकार के इस फैसले पर वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा, "मैं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कैबिनेट को इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए बधाई देता हूं. सरकार को इससे राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी. भारत में हाइड्रोकार्बन का विशाल भंडार है, जिससे हम सबसे कम तेल और गैस का उत्पादन कीमत पर कर सकते हैं. इससे ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप टैक्स और फी को युक्तिसंगत बनाने और खदानों के लंबे पट्टे पर सेल्फ-सर्टिफिकेशन के साथ-साथ भारत के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. यह निर्णय कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में उत्पादन करने के लिए आकर्षित करेगा. इसके साथ ही इस सेक्टर में विदेशी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा. वेदांता केयर्न ऑयल एंड गैस में हम 4 अरब डॉलर का निवेश करने और भारत के घरेलू हाइड्रोकार्बन उत्पादन में 50 प्रतिशत का योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ ने क्या कहा
केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचुर शाह ने मोदी सरकार के इस फैसले पर कहा, "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं. यह एक महत्वपूर्ण फैसला है जो देश में तेल और गैस की खोज, उत्पादन और मार्केटिंग को और प्रोत्साहित करेगा. इस फैसले से विदेशी निवेशक ज्यादा आकर्षित होंगे. इससे प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलेगा और उत्पादकों को हाई रेट्स भी मिलेंगे. निवेशकों को बेहतर रिटर्न्स भी मिलेंगे. सरकार का यह फैसला भारत की ऊर्जा आत्मानिर्भरता की यात्रा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."
क्या हुआ तुरंत असर
फैसला का असर ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के शेयरों में देखने को मिला. ONGC के शेयरों में 3 फीसदी की तेजी देखी गई. वहीं, Oil India के शेयरों में 4.50 फीसदी की तेजी दिखी. आज भी इन शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है.
भारत में कच्चे तेल का उत्पादन
पिछले कुछ वर्षों में कच्चे तेल की मांग में काफी बढ़ी है. भारत अभी भी 85% कच्चा तेल विदेशों से मंगवाता है. पिछले 8 सालों में घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में लगातार गिरावट हो रही थी. इसे ही देखते हुए सरकार ने ये बड़ा फैसला किया है, जिससे विदेशों पर हमारी निर्भरता कम हो सके.
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