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शराब कारोबारियों पर क्यों दिखाई दरियादिली? दिल्ली सरकार ने दी ये दलील 

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में मिली खामियों के आधार पर उपराज्यपाल ने शराब नीति को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके बाद सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री के आवास सहित कई ठिकानों पर छापेमारी की.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

शराब नीति को दिल्ली सरकार और उसके मंत्री बुरी तरह फंस गए हैं. एक तरफ जहां सीबीआई मामले की जांच कर रही है. वहीं, विपक्ष आम आदमी पार्टी की 'ईमानदारी' पर सवाल उठा रहा है. इस बीच, दिल्ली सरकार के सूत्रों ने शराब नीति को लेकर लगाए जा रहे आरोपों का बिंदुवार जवाब दिया है. सूत्रों का कहना है कि सरकार ने किसी को भी अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया और जो छूट दी गई, वह कोर्ट के निर्देश पर दी गई है.

इसलिए माफ किया शुल्क
इस मामले को लेकर बवाल तब शुरू हुआ जब मुख्य सचिव की रिपोर्ट में मिली खामियों के आधार पर उपराज्यपाल ने शराब नीति को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके बाद सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री के आवास सहित कई ठिकानों पर छापेमारी की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव की रिपोर्ट में उल्लेखित 144.35 करोड़ रुपए की छूट देने के आरोप पूरी तरह से गलत हैं. उन्होंने कहा कि लाइसेंस शुल्क इसलिए माफ किया गया, क्योंकि लाइसेंसधारियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि लाइसेंस के निविदा दस्तावेज में मुआवजे के लिए ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं था.

राजस्व का नहीं हुआ नुकसान
सूत्रों ने बताया कि लाइसेंसधारियों ने 17 नवंबर से शराब की दुकानें खुलने के तुरंत बाद लगे लॉकडाउन के चलते लाइसेंस शुल्क में छूट की मांग की थी, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था. इसके बाद लाइसेंसधारी 6 जनवरी को अदालत पहुंच गए. कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर मामले के निपटारे का निर्देश दिया, उसके बाद आबकारी विभाग की गणना के आधार पर प्रत्येक लाइसेंसधारी को लाइसेंस शुल्क में छूट दी गई. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एयरपोर्ट जोन में बयाना राशि (EMD) के रूप में 30 करोड़ रुपए वापस करने पर सरकार को कोई राजस्व नुकसान नहीं हुआ. लाइसेंसधारी हवाईअड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रहे. इसके चलते बोलीदाता की ईएमडी सरकार द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार वापस कर दी गई और इस मुद्दे को भी आबकारी मंत्री के समक्ष रखा गया था.

दरों में छूट का किया बचाव
इसके अलावा, सरकार के सूत्रों ने शराब की दरों में छूट पर बचाव किया. उन्होंने कहा कि जब बाजार में छूट को लेकर गड़बड़ी पैदा होने की आशंका सामने आई तो छूट को 25% तक सीमित कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि भुगतान में चूक के मामले में कोर्ट के आदेश के कारण खुदरा लाइसेंसधारियों को दंडात्मक कार्रवाई से छूट दी गई थी. सूत्रों ने उपराज्यपाल (LG) की पूर्व स्वीकृति के बिना नई नीति में पुराने शासन में ड्राई डे दिनों की संख्या को 21 से घटाकर तीन करने के फैसले का भी बचाव किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, (2019 के बाद) से प्रत्येक वर्ष के लिए ड्राई डे की संख्या को प्रभारी मंत्री द्वारा ही मंजूरी दी गई थी.

दुकानें खोलने पर कही ये बात
बगैर LG की मंजूरी के शराब नीति को दो बार बढ़ाने के आरोपों पर सरकार के सूत्रों ने कहा कि आबकारी नीति की शुरुआती समस्याओं को स्थिर करने के लिए यह एक्सटेंशन दिया गया था. यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि मुख्य सचिव और कानून सचिव आबकारी नीति पर टिप्पणी करने में समय ले रहे थे. वहीं, गैर-अनुपालन क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के मुद्दे पर सूत्रों ने कहा कि यह व्यवस्था लंबे समय से चल रही थी. पुरानी नीति के तहत ही गैर-अनुपालन क्षेत्रों में शराब की दुकानों की अनुमति दी गई थी.

 


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