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क्या है Toll कलेक्शन का गडकरी फॉर्मूला, जो पूरी तरह बदल देगा जिंदगी? जानें हर डिटेल
नितिन गडकरी यात्रियों के सफर को सुरक्षित और आसान बनाने की दिशा में तेजी से बड़े बदलाव ला रहे हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) मोदी सरकार के उन मंत्रियों में शुमार हैं, जो खामोशी से काम करने में विश्वास रखते हैं. ट्रांसपोर्ट मंत्री के तौर पर गडकरी की कोशिश लोगों के सफर को सुरक्षित और आसान बनाने की रही है. वह कई क्रांतिकारी बदलावों को अमल में लेकर आए हैं. टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़ को कम करने के लिए जहां उन्होंने FASTag की शुरुआत की. वहीं, भारत सीरीज लॉन्च करके स्टेट बदलने पर वाहन चालकों को होने वाली परेशानी को खत्म कर दिया. अब गडकरी टोल कलेक्शन के एक नए आइडिया पर काम कर रहे हैं. एक ऐसा आइडिया, जिससे वाहन चालकों का जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा.
GNSS का होगा इस्तेमाल
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि टोल कलेक्शन के लिए सैटेलाइट आधारित व्यवस्था पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हम जल्द ही FASTag व्यवस्था को हटाकर नई सर्विस लाएंगे, जो सैटेलाइट बेस्ड होगी. सैटेलाइट के जरिए ही आपसे टोल वसूला जाएगा. दरअसल, सरकार सभी फिजिकल टोल प्लाजा को हटाना चाहती है, ताकि एक्सप्रेस-वे पर लोगों को बिना रुके शानदार अनुभव मिले. इसके लिए Global Navigation Satellite System (GNSS) बेस्ड टोलिंग सिस्टम इस्तेमाल किया जाएगा.
अभी RFID से होता है काम
टोल कलेक्शन का मौजूदा सिस्टम Radio Frequency Identification (RFID) टैग्स पर काम करता है. इसके तहत टोल प्लाजा पर गाड़ियों के रुकते ही FASTag के जरिए अपने आप टोल कट जाता है. जबकि GNSS बेस्ड टोलिंग सिस्टम में टोल वर्चुअल होंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो टोल मौजूद रहेंगे, लेकिन आपको नजर नहीं आएंगे. इसके लिए वर्चुअल गैन्ट्री इंस्टॉल किए जाएंगे, जो GNSS सक्षम वाहनों से कनेक्ट होंगे. जैसे ही कोई वाहन इन वर्चुअल टोल से गुजरेगी, यूजर के अकाउंट से टोल का पैसा अपने आप कट जाएगा.
सामने होंगी ये चुनौतियां
भारत के पास GAGAN और NavIC के रूप में अपने नेविगेशन सिस्टम मौजूद हैं. इनकी मदद से वाहनों को ट्रैक करना आसान हो जाएगा. हालांकि, इस पूरी व्यवस्था सरकार को कई चुनौतियों का भी सामना करना होगा. जर्मनी, रूस सहित कई दूसरे देशों में ऐसी सर्विस पहले से उपलब्ध है, वहां भी परेशानियों की शिकायत आती रहती है. इस सिस्टम में प्राइवेसी एक बड़ा मुद्दा है, इससे सरकार को निपटना होगा. अब चूंकि ये सैटेलाइड बेस्ड सेवा होगी, तो कुछ इलाकों में अलग किस्म की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा.
इस तरह मिलेगा फायदा
इसके फायदों की बात करें, तो सफर बेहद आसान हो जाएगा. FASTag आने के बाद भले ही टोल प्लाजा पर लगने वाले समय में कमी आई है, लेकिन समय फिर भी लगता ही है. प्लाजा पर FASTag सिस्टम काम नहीं करने की दिक्कत से वाहन चालक दो-चार होते रहते हैं. जबकि नए सिस्टम से इस तरह की सभी दिक्कतों पर फुल स्टॉप लग जाएगा. आपको एक पल भी रुकने की जरूरत नहीं होगी. इसके अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट भी कम होगी. हालांकि, ये आशंका जरूर है कि नए सिस्टम की वजह से टोल कर्मियों की नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है.
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