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Explainer: कर्मचारियों को क्यों है पुरानी पेंशन स्कीम से प्यार, नई Scheme से कितनी है अलग? 

पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ रही है. रविवार को इसे लेकर दिल्ली में महारैली आयोजित की गई थी.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago

इस समय देश में चुनावी माहौल है. कुछ राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, तो अगले साल देश को लोकसभा चुनाव से गुजरना है. आमतौर पर चुनावी मौसम में सरकार जनता को लुभाने के लिए अपना खजाना खोल देती है, ताकि वोटों को अपने पक्ष में किया जा सके. वहीं, सरकारी व्यवस्था से नाराज लोगों के लिए भी अपनी बात मनवाने का यही मौका होता है, उन्हें लगता है कि चुनाव के दिनों में सरकार का मिजाज काफी नरम हो जाता है, क्योंकि वो किसी की नाराजगी मोल लेकर वोट के गणित को बिगाड़ना नहीं चाहेगी. इसी को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) बहाली की मांग तेज हो गई है. रविवार को राजधानी दिल्ली में नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के बैनर तले 'पेंशन शंखनाद महारैली' आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटे. चलिए जानते हैं कि आखिर नई और पुरानी पेंशन स्कीम में क्या अंतर है और क्या इस तरह के प्रदर्शन से सरकार की सेहत पर कोई असर पड़ेगा? 

क्या है Old Pension Scheme? 
1950 के दशक में शुरू की गई ओल्ड यानी पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी को अनिवार्य पेंशन का अधिकार मिलता है, जो रिटायरमेंट के समय मिलने वाले मूल वेतन का 50 फीसदी होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो सरकारी कर्मचारी जिस बेसिक-पे पर सेवानिवृत्त होता है, उसका 50% उसे पेंशन के रूप में दिया जाता है. इस स्कीम का एक बड़ा फायदा ये है कि रिटायरमेंट के बाद भी कर्मचारी को लगातार महंगाई भत्ता सहित अन्य भत्तों का लाभ मिलता रहता है. यदि सरकार कर्मचारियों के किसी भत्ते में इजाफा करती है, तो ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत आने वालों का भत्ता भी अपने आप बढ़ जाता है. पुरानी पेंशन को साल 2004 में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने बंद कर दिया था. इसमें जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) का प्रावधान होता है. इसमें 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम शामिल है. इसके साथ साथ रिटायर्ड कर्मचारी की मौत पर परिजनों को आधी पेंशन मिलती है. OPS की सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए कर्मचारियों की सैलरी से पैसा नहीं कटता, यानी पेंशन का भुगतान सरकार के खजाने से होता है. 

क्या है New Pension Scheme?
चूंकि न्यू पेंशन स्कीम 2004 में लागू की गई थी, इसलिए उसके बाद के सभी सरकारी कर्मचारी इसी के दायरे में आते हैं. यानी उन्हें पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिलता. NPS के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. कहने का मतलब है कि कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 10 फीसदी कंट्रीब्यूशन देता है, जिसमें राज्य या केंद्र भी उतना ही योगदान देती है. नई पेंशन स्कीम में GPF की सुविधा उपलब्ध नहीं है. शेयर बाजार (Stock Market) पर आधारित इस स्कीम में पैसा पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा एप्रूव्ड कई पेंशन फंड्स में से एक में निवेश किया जाता है और रिटर्न बाजार से जुड़ा होता है. इसलिए इसमें रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती. इसी को लेकर कर्मचारी सबसे ज्यादा आशंकित हैं. उन्हें लग रहा है कि भविष्य में यदि बाजार डूबता है, तो उनकी मेहनत की कमाई भी डूब जाएगी और उनकी रिटायरमेंट लाइफ मुश्किल में पड़ जाएगी. 

इस वजह से नहीं मान रही सरकार 
अब सवाल उठता है कि आखिर सरकार तमाम विरोध के बावजूद New Pension Scheme पर ही क्यों अड़ गई है? दरअसल, पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों की सैलरी से पैसा नहीं कटता, यानी पेंशन का भुगतान सरकार के खजाने से होता है. जिसका मतलब है कि सरकार को भारी बोझ उठाना पड़ता है. सरकार अब इस जिम्मेदारी को उठाने के मूड में नहीं है, इसलिए इसकी संभावना बेहद कम है कि विरोध-प्रदर्शन से उसकी सेहत पर कोई असर पड़ेगा. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की इस स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि Old Pension Scheme को दोबारा अपनाया जाता है, तो पेंशन पर होने वाला खर्च New Pension Scheme के तहत अनुमानित पेंशन खर्च का करीब 4.5 गुना बढ़ जाएगा. 


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