होम / एक्सप्लेनर / कौन हैं Karpoori Thakur, जिन्हें मिलेगा भारत रत्न? जानें उनके बारे में सबकुछ
कौन हैं Karpoori Thakur, जिन्हें मिलेगा भारत रत्न? जानें उनके बारे में सबकुछ
सत्ता में रहते हुए कर्पूरी ठाकुर ने गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक के लिए इतने कार्य किए कि उनका राजनीतिक कद बढ़ता चला गया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पहचान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक के रूप में भी होती है. वह इतने ज्यादा लोकप्रियता थे कि उन्हें जन-नायक भी कहा जाता था. ठाकुर बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और 2 बार मुख्यमंत्री रहे हैं. साधारण नाई परिवार में जन्मे कर्पूरी ठाकुर ने राज्य की सियासत में सामाजिक न्याय की अलख जगाई थी.
स्वतंत्रता आंदोलन में थे शामिल
कर्पूरी ठाकुर पटना से 1940 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे. 1942 में उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और इसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा. 1945 में जेल से बाहर आने के बाद ठाकुर धीरे-धीरे समाजवादी आंदोलन का चेहरा बन गए. कर्पूरी ठाकुर 1970 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. 22 दिसंबर 1970 को उन्होंने राज्य की कमान संभाली. हालांकि, उनका पहला कार्यकाल केवल 163 दिन का रहा. लेकिन इसके बावजूद उनके हौसले बुलंद रहे.
पूरा नहीं कर पाए कार्यकाल
1977 में कर्पूरी ठाकुर दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. लेकिन अपना यह कार्यकाल भी वह पूरा नहीं कर पाए. हालांकि, महज दो साल से भी कम समय के कार्यकाल में उन्होंने समाज के दबे-पिछड़ों तबके के हितों के लिए उल्लेखनीय काम किया. बिहार में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त करवा दी. इसके अलावा, उन्होंने राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बना दिया. सत्ता में रहते हुए कर्पूरी ठाकुर ने गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक के लिए इतने कार्य किए कि उनका राजनीतिक कद बढ़ता चला गया. और वह बिहार की सियासत में समाजवाद का बड़ा चेहरा बन गए.
लालू-नीतीश रहे हैं शागिर्द
लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर के ही शागिर्द हैं. लिहाजा जब लालू यादव बिहार की सत्ता में आए तो उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के कामों को आगे बढ़ाया. इसी तरह, नीतीश कुमार ने भी अति पिछड़े समुदाय के लिए कई कार्य किए. 1988 में कर्पूरी ठाकुर दुनिया से रुखसत हो गए. लेकिन इतने साल बाद भी वह बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय बने हुए हैं. ठाकुर लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. भारत रत्न मिलने की घोषणा पर कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि हमें 36 साल की तपस्या का फल मिला है.
टैग्स