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India@100: अमृत काल में भारत की महत्वकांक्षाएं और जमीनी हकीकत

भारत में 2047 तक एक विकसित राष्ट्र में बदलने की अपार संभावनाएं हैं, पहले ही देश ने कई मोर्चों पर काफी प्रगति की है.

अभिषेक शर्मा 1 year ago

2018 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि केंद्र सरकार भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रणाली बनाने के लिए बाध्य थी जहां जीवन 5 E पर आधारित था - ease of living, education, employment, economy और entertainment.

अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि भारत में कभी सुनियोजित शहरी स्थान थे, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति और स्पष्ट सोच की कमी, खासकर आजादी के बाद, ने हमारे शहरी केंद्रों को भारी नुकसान पहुंचाया.

पीएम मोदी ने अपने उत्साही भाषण में कहा था "2022 तक, सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी के पास एक घर हो,"  

2019 के आम चुनाव जीतने के बाद, पीएम मोदी ने पूरे विश्वास के साथ कहा था कि वह कोविड -19 महामारी के बावजूद, 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति आशावादी हैं.

राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने शुरुआत में साल 2024 को लक्ष्य वर्ष के रूप में तय किया था, लेकिन उस साल जुलाई में 2019-20 के बजट में इसे बदलकर FY25 कर दिया गया.

इसके ठीक उलट, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने अप्रैल वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में जिक्र किया कि भारत FY27 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा.

पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार के पास समय सीमा से पहले लक्ष्य हासिल करने का रिकॉर्ड है. संकट ने सरकार को ये मौका दिया है कि उन सुधारों को लेकर आएं जो दशकों से इंतजार कर रहे थे. 

हालांकि, घातक कोविड -19 महामारी ने पूरे देश में विनाश मचा दिया. भारत में कई व्यवसाय लॉकडाउन प्रतिबंधों की वजह से बंद हो गए, क्योंकि वो नुकसान को झेल नहीं सके

हालांकि, वित्त वर्ष 2021 में 7.3 प्रतिशत तक सिकुड़ने के बाद, अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 22 के प्रॉविजनल अनुमानों के अनुसार 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए तेजी से वापसी की.

2022 तक, पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा कि भारतीयों को आने वाले 25 वर्षों के लिए "पंच प्रण" पर ध्यान देना चाहिए.

"हमें 2047 तक उन पंच प्रणों को अपनाकर स्वतंत्रता सेनानियों के सभी सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी उठानीच चाहिए, जब देश आजादी के 100 साल का जश्न  मनाएगा."

5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य तय करने के बाद, जो कि वास्तविकता से काफी दूर लगता है (असंभव नहीं), मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का एक और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है. उन्होंने आयात पर निर्भरता को कम करने और घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को और अधिक आत्मनिर्भर (आत्मनिर्भर भारत) बनने के लिए प्रोत्साहित किया)

उद्योग जगत ने हमेशा की तरह उस प्रण की प्रशंसा की और कहा कि भारत 2047 में कंज्यूमर बिजनेस के लिए भारत और वैश्विक दोनों के लिए - विकास और इनोवेशन के लिए एक बड़ा मैदान होगा, उपभोक्ता की आय के रूप में स्थापित और उभर रहा है, खपत के लिए रूझान, जागरूकता और तकनीक-प्रेमी बड़े पैमाने पर अवसर पैदा करेंगे. 

इस लेख में, BW Businessworld ने अपने मंत्रिमंडल के कई अन्य नेताओं के साथ साथ पीएम मोदी द्वारा किए गए राजनीतिक वादों और जमीनी हकीकत का विश्लेषण किया है.  

PHD चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट प्रदीप मुल्तानी का कहना है "भारत अपने विकास में अभूतपूर्व मौकों, चुनौतियों और महात्वाकांक्षाओं के दौर में है. देश की गरीबी दर में गिरावट आ रही है, लंबी अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ज्यादा स्थिर, विविधतापूर्ण और लचीला हो गया है, और आने वाले वर्षों में सात प्रतिशत से ज्यादा रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है. पहले से ही एक लोअर मिडिल इनकम वाला वाला देश, भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी से पहले, 2030 तक एक हाई मिडिल वाला देश बनना चाहता है."

विशेषज्ञों ने पाया कि भारत की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता के साथ-साथ विकास को बनाए रखना जो कि संसाधन-कुशल और कम कार्बन-गहन दोनों है, इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.

Godrej and Boyce की Environmental Sustainability हेड तेजश्री जोशी का कहना है "देश घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर न केवल आत्मानिर्भर बनने के सही रास्ते पर है, बल्कि एक कुशल कार्यबल का निर्माण भी कर रहा है जो राष्ट्र के आर्थिक विकास को और गति दे सकता है. रीन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भरता का विजन देश को सतत विकास के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेगा."

अड़चनें

आर्थिक तरक्की और सत्ताधारी दल के दावों के बावजूद चुनौतियां बनी हुई हैं. उदाहरण के तौर पर - आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023 के लिए अपने विकास पूर्वानुमान को अप्रैल में अनुमानित 8.2 प्रतिशत से घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है.

IMF ने अपने World Economic Outlook के अपडेट शीर्षक ‘Gloomy and More Uncertain में कहा है कि उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए, 2022-23 में विकास के लिए नकारात्मक संशोधन मुख्य रूप से चीन की अर्थव्यवस्था में आई तेज मंदी और भारत के आर्थिक विकास में नरमी को दर्शाता है.

CapGrow Capital Advisors के  फाउंडिंग पार्टनर और पोर्टफोलियो मैनेजर अरुण मल्होत्रा का कहना है कि भ्रष्टाचार हमेशा से ही एक नीचे घसीटने वाला क्षेत्र रहा है और इसमें अधिक जनसंख्या, खराब पानी और स्वच्छता, और कम वयस्क साक्षरता दर की चुनौतियां भी हैं. इसके अलावा, वर्तमान सरकार की राजनीतिक इच्छा और भविष्य की सरकार की विरासत मेल नहीं खा सकती. भारत 2000 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय के निचले चतुर्थक में है और पदक्रम को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण कदम होगा.

Primus Partners के सह-संस्थापक और सीईओ निलय वर्मा ने कहा "मेरे विचार से हमारे लिए मुख्य चुनौती एक मानसिकता है. हमें जुगाड़ पर गर्व करने की अपनी सोच को बदलने की जरूरत है, इसकी जगह हमें पैमाने और गुणवत्ता के लिए इनोवेशन पर गर्व करना चाहिए. हमें प्रमुख क्षेत्रों में (जैसे हम हाइड्रोजन के साथ कर रहे हैं) लंबी अवधि के तकनीकी बदलावों पर भी ध्यान देना चाहिए,  और ऐसा करने के लिए पैसा, R&D और नीति का इस्तेमाल करें ताकि स्थानीय उद्योग उन क्षेत्रों में ग्लोबल लीडर्स के रूप में उभर सकें," 

निलय का मानना ​​है कि भारत के विकसित राष्ट्र होने के सपने को हासिल करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देनी चाहिए. स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी हुए बिना कोई भी राष्ट्र कभी विकसित नहीं हो सकता.

भारतीय एडटेक उद्योग का भविष्य का मूल्यांकन 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जिसे तेज डिजिटलीकरण बाजारों से सहारा मिला है. कोविड -19 महामारी के दौरान एडटेक के प्रभुत्व के साथ, देश में पहले से ही बड़ी संख्या में एडटेक यूनिकॉर्न फल-फूल रहे हैं और बड़े बाजारों में विस्तार कर रहे हैं.

एक भारतीय  NGO सेव द चिल्ड्रन के CEO सुदर्शन सुची ने कहा, "2030 तक, हमारा लक्ष्य सबसे वंचित बच्चों में से कम से कम 40 लाख बच्चों के लिए समावेशी और समान विकास को उत्प्रेरित करना है और कई जिंदगियों पर इसका असर पड़े इसके लिए नीतियों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना है."

सुची ने कहा कि जब तक हम ये नहीं समझ लेते कि गलत क्या हो रहा है, हम कुछ ठीक नहीं कर सकते. 2016 से हम बच्चों को सुनने में निवेश कर रहे हैं। हम उनकी आशाओं, उनकी आकांक्षाओं, उनकी निराशाओं और उनके विचारों को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने के लिए खाका तैयार करते हैं.

विकसित देश के लिए सफर

इसव वक्त, भारत एक विकासशील राष्ट्र है और 2.7 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. विकासशील राष्ट्र बनने के लिए, भारत को कुशल श्रम शक्ति, मैन्यूफैक्चरिंग, शिक्षा, इलेक्ट्रिक वाहन और डिजिटल परिवर्तन की क्षमता का इस्तेमाल करना चाहिए. 

Spice Money के सह-संस्थापक और CEO संजीव कुमार का कहना है "मार्च 2023 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की उम्मीद है - जो कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ है, भारत को एक आर्थिक उछाल की जरूरत होगी, जनसंख्या को गरीबी से बाहर निकालने और एक विकसित देश बनने के लिए अगले 25 साल में उच्च विकास दर को बनाए रखना होगा.

बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाली सुची ने कहा कि स्वास्थ्य और पोषण में सुधार, बाल संरक्षण, सभी के लिए शिक्षा और सामाजिक और आर्थिक क्षमताओं को बढ़ाने वाली प्रमुख चीजें हैं जो भारत को बढ़ने में मदद करेंगी. 

जून में, BRICS बिजनेस फोरम के उद्घाटन समारोह में एक वर्चुअल संबोधन में मोदी ने कहा था कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का मूल्य 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत 1.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश मौके हैं

Spice Money's के संजीव कुमार ने कहा, "अगले दशक के दौरान टेक्नोलॉजी वास्तव में एक प्रमुख बदलाव लाएगा, और स्वास्थ्य सेवा, ई-कॉमर्स, फिनटेक, बीमा और क्रेडिट सहित हर क्षेत्र को भारत को विकसित होने का गौरव हासिल करने में मदद करने के लिए बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत होगी"

विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने, ज्यादा नागरिकों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने में मदद करने और एक आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए इस साल अधिक खिंचाव की उम्मीद की जा सकती है. 

निलय वर्मा ने कहा, "डिजिटलाइजेशन के साथ क्षेत्रीय परिवर्तनों के केंद्र के रूप में, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि डिजिटल इंडिया ने कुछ सबसे कठिन समस्याओं का समाधान किया है जिसका सामना देश कई दशकों से कर रहा था."

विशेष रूप से, भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या 65-70 करोड़ के स्तर तक जाने का अनुमान है और इंटरनेट यूजर्स की संख्या 2023 तक 40 परसेंट तक जाने का अनुमान है. भारत में 5जी का आना ये संकेत देता है कि  उपलब्धता के पहले वर्ष में ही 4 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स 5G ले लेंगे.

सेक्टर्स की चर्चा 

कई बड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस सपने को पूरा करने के लिए रक्षा, आईटी, ऑटो, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, कृषि, चिकित्सा और गैर-रणनीतिक उद्योग, रेलवे, एमएसएमई, स्वास्थ्य सेवा और निर्यात जैसे क्षेत्रों को बेहतर प्रदर्शन करना होगा.

मुल्तानी ने कहा - "भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले वर्षों में बहुत तेज गति से बढ़ने की जरूरत होगी, पर्यावरण, अनुसंधान एवं विकास, मानव पूंजी/रोजगार, डेटा-संचालित निर्णय लेने, डिजिटल शासन और ऊर्जा क्षेत्र ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें भविष्य के विकास के लिए प्राथमिकता देने की जरूरत है. नई पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए कुछ सुधार करने की जरूरत है," 

मल्होत्रा ​​ने कहा कि पवन और सौर ऊर्जा पर ध्यान देने के साथ वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र, नए युग की डिजिटल कंपनियां, ऑटो क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों और कंपोनेंट पर फोकस रखने वाली कंपनियां और वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स (चीन + 1) रणनीति के साथ रसायनिक कंपनियां, पेमेंट एग्रीगेटर्स वैगरह को और ज्यादा फायदा देना चाहिए.

क्षेत्रीय योगदान के बारे में बात करते हुए, जोशी ने कहा कि भारत में मैन्यूफैक्चरिंग एक ऐसा सेक्टर है जिसमें न केवल बड़े कॉर्पोरेशन शामिल हैं बल्कि एमएसएमई भी हैं जो बड़े कॉर्पोरेशन के लिए सप्लाई चेन भागीदारों के रूप में काम करते हैं. जबकि बड़े निगमों ने अपनी प्रक्रिया और उत्पादों को हरित करने के लिए कदम उठाए हैं, एमएसएमई को सपोर्ट की जरूरत है, जिसे कि बड़े कॉर्पोरेशंस को देना चाहिए. 

एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए, भारत को आक्रामक आर्थिक सुधारों की जरूरत है. ऐसे कदम जिसका कुछ नतीजा निकले वो केवल फैंसी राजनीतिक भाषणों तक ही सीमित न रहें. ये जरूरी है कि सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में बदलाव लाने के लिए विभिन्न हितधारकों के प्रयासों को जोड़ा जाए.

 


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