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WFH युवाओं में सबसे ज्यादा पसंदीदा, पर इससे हो रहा है यह बड़ा नुकसान: रिपोर्ट
लगातार दो साल तक घर से काम करने वाले युवाओं को अब ऑफिस जाकर के काम करना मुफीद नहीं लगता है. हालांकि इसका साइड इफेक्ट भी पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः कोरोनाकाल में लोगों को घर से काम करना पड़ा था. लगातार दो साल तक घर से काम करने वाले युवाओं को अब ऑफिस जाकर के काम करना मुफीद नहीं लगता है. हालांकि इसका साइड इफेक्ट भी पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. अब ऐसे सेक्टरों में स्किल्स प्राप्त लोगों की भारी कमी देखने को मिल रही है, जहां पर ऑफिस में जाकर के काम करना होता है. The Economist ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का इशारा किया है.
नई पीढ़ी वर्क फ्रॉम होम चाहती है
1990 से 2000 के बीच पैदा हुई नई पीढ़ी अब कोरोना काल के बाद ऐसी कंपनियों में नौकरियों के अवसर ज्यादा खोज रही है, जहां पर घर से काम करने की सुविधा मिल रही है. इसमें आईटी, मीडिया और फॉर्मा सेक्टर में सबसे ज्यादा जॉब्स की मारामारी है. यह ट्रेंड भारत में ही नहीं ब्लकि सभी देशों में देखा जा रहा है. रिमोट वर्किंग करने के कारण है अपनी सुविधा के अनुसार काम, छोटे शहरों में बसने के कारण खर्चे कम होना और अपनी फैमिली को ज्यादा से ज्यादा टाइम दे सकना.
सभी आयु वर्ग में 38 फीसदी लोगों की पसंद
वर्क फ्रॉम होम कल्चर की अगर सभी आयु वर्गों में बात करें तो माइक्रोसॉफ्ट की ताजा वर्क ट्रेंड इंडेक्स को देखना चाहिए. इसके लिए कंपनी ने जनवरी और फरवरी के बीच 31 देशों के 30 हजार युवाओं से बात कर राय जानने की कोशिश की. इस राय को कंसल्टेंसी फर्म मेकिन्जे ने तैयार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक सभी आयु वर्गों में केवल 35 फीसदी लोग ही वर्क फ्रॉम होम ही पसंद करते हैं. वहीं 18 साल से 34 साल की आयु वाले 60 फीसदी युवाओं ने वर्क फ्रॉम होम को तरजीह दी है. ऐसी नौकरी मिलने पर ऑफिस आकर काम करने वाली नौकरी भी छोड़ना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि उनको नौकरी में लचीलापन और छूट चाहिए.
इन सेक्टर्स में नहीं जा रहे हैं स्किल्स प्राप्त युवा
हालांकि बैंकिंग, कंस्ट्रक्शन, फाइनेंस, हॉस्पिटैलिटी और मेन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स में काम करने वाली कंपनियों को स्किल्स प्राप्त युवा नहीं मिल रहे हैं. ग्रेजुएट स्टाफिंग पर कंसल्टेंसी देने वाली कंपनी यूनिवर्सम की रिपोर्ट जो 2008 में जारी हुई थी, उसके अनुसार टॉप 10 अच्छे इंप्लॉयर्स में बड़े बैंक और डेलॉयट, ईवाई, केपीएमजी व पीडब्लूसी जैसी कंपनियां शामिल थी. वहीं 2021 में यह पूरा शिफ्ट हो गया और 10 में से सात स्थानों पर टेक्नोलॉजी और मीडिया कंपनियां थी. इसके अलावा दवा कंपनियां जैसे कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका में जॉब की मांग सबसे ज्यादा देखी गई. यह ब्रिटेन की कंपनियां है और हाल ही में इन्होंने कोविड वायरस की रोकथाम के लिए टीका भी तैयार किया था. इसके अलावा हथियार बनाने वाली कंपनियों में भी युवा काम करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं.
कंपनियां कर रही है अभी भी पैकेज में सुधार
हालांकि जिन बड़ी कंपनियों के ऑफिस स्पेस हैं, वहां पर युवाओं की कमी होना इन्हें भी बहुत खल रहा है, क्योंकि ऑफिस को खोलने और लोगों को काम पर रखने के लिए इन्होंने भी बिल्डिंग व इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी भरकम निवेश किया है. ऐसे में वो युवाओं को आर्कषित करने के लिए कंपनियां ऑफिस में जायकेदार खाना, मसाज और दोपहर में एक छोटी नींद लेने की सुविधा भी देना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही वेतन पैकेज में भी काफी सुधार किया गया और अमेरिका में कंपनियां एक एनालिस्ट को एक लाख डॉलर तक अधिक का सैलेरी पैकेज देने को तैयार हो गई हैं.
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