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चीन-ताइवान संकट से भारत के इन सेक्टर्स पर पड़ सकता है असर, GDP भी होगी प्रभावित
अगस्त महीने की शुरुआत में पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन की बैचेनी समझी जा सकती है और उसने ताइवान द्वीप पर घेराबंदी भी शुरू कर दी है.
अभिषेक शर्मा 1 year ago
नई दिल्लीः संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी द्वारा हाल ही किए गए ताइवान दौरे के बाद उपजे संकट से भारत के भी कई सेक्टर्स पर प्रभाव पड़ने की संभावना है. इससे देश की जीडीपी भी प्रभावित हो सकती है, अगर चीन पर वैश्विक प्रतिबंध लगाया गया. अगस्त महीने की शुरुआत में पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन की बैचेनी समझी जा सकती है और उसने ताइवान द्वीप पर घेराबंदी भी शुरू कर दी है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने पेलोसी की यात्रा का विरोध करते हुए था, अमेरिका को ताइवान कार्ड खेलने के किसी भी प्रयास को छोड़ देना चाहिए और ईमानदारी से एक-चीन सिद्धांत का पालन करना चाहिए. अगर अमेरिका अपने रास्ते पर जोर देता है, तो इसके गंभीर परिणाम की जिम्मेदारी अमेरिका पर होगी.
चीन पर लग सकते हैं वैश्विक प्रतिबंध
अगर चीन, किसी भी तरह का हमला ताइवान पर करता है तो अमेरिका सहित ज्यादातर पश्चिमी देश रूस की तरह चीन पर भी प्रतिबंध लगा सकते हैं. इन प्रतिबंधों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के किसी भी कदम का पूरी दुनिया पर असर लंबे समय तक देखने को मिलेगा.
कैपग्रो कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक पार्टनर और पोर्टफोलियो मैनेजर अरुण मल्होत्रा ने कहा, "चीन की विश्व अर्थव्यवस्था में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थिति है, जो आयात और निर्यात दोनों से प्रेरित है और उस संतुलन को बाधित करने के लिए कोई भी कदम दुनिया भर में व्यवधान पैदा कर सकता है. यह कहना मुश्किल है कि क्या चीन को संभावित रूप से पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है."
कम हो सकता है डॉलर का प्रवाह
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने कहा चीन पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने से अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण बाधित होगा और अमेरिकी डॉलर के प्रवाह में भारी कमी आएगी, जो अभी भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों और चीन के लिए व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है.
भारत का ताइवान से व्यापार बहुत ज्यादा नहीं
2021 में, ताइवान और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 7 बिलियन अमेरीकी डॉलर से अधिक हो गया था. इसके अलावा, 2.3 बिलियन अमेरीकी डॉलर से अधिक के कुल निवेश के साथ 120 से अधिक ताइवानी व्यवसाय भारत में मौजूद हैं.
विशेषज्ञों ने नोट किया कि संभावित युद्ध का प्रभाव का असर भारत में न के बराबर होने की संभावना है क्योंकि ताइवान के साथ भारत का व्यापार बहुत ही कम है और भारत के कुल व्यापार में एक प्रतिशत से भी कम योगदान देता है.
चीन पर वैश्विक प्रतिबंध से भारत पर होगा दूरगामी असर
भारत का चीन से सीमा विवाद चलता रहा है. लद्दाख के गलवान में भारत-चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद से चीन से भारत में होने वाले व्यापार में कमी तो आई है, लेकिन यह अभी भी बहुत ज्यादा है. चीनी निर्यात में भारी उछाल के कारण इस साल की पहली छमाही में दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर 67.08 अरब डॉलर हो गया।
यदि युद्ध छिड़ जाता है, तो इसका भारतीय विनिर्माण क्षेत्र पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि भारत चीन से बड़ी मात्रा में विनिर्माण इनपुट और कच्चे माल का आयात करता है जिसमें जैविक रसायन, फर्टिलाइजर्स, इलेक्ट्रिकल पार्ट्स और मशीनरी शामिल हैं. भारत दवा, कोकिंग कोल और इलेक्ट्रॉनिक चिप्स के लिए कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है. मुल्तानी ने आगे कहा कि चीन-ताइवान संघर्ष का भारतीय विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप ऑटोमोबाइल, स्मार्टफोन और चिकित्सा उपकरणों, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन आदि की लागत अधिक हो सकती है.
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