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Happy Birthday Smriti Irani: दमदार शख्सियत के दम पर पाया बड़ा मुकाम

स्मृति ईरानी के पति एक पारसी व्यवसायी हैं. हालांकि स्मृति ने अपनी पहचान खुद के बलबूते बनाई है. आज वह करोड़ों की संपत्ति की मालकिन है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

TV की बहू से लेकर मोदी सरकार में मंत्री तक स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. एक्टिंग में उन्हें जितना पसंद किया गया, उतना ही पसंद राजनीति में किया जाता है. वह एक ऐसी दमदार और ताकतवर पॉलिटिकल लीडर बन चुकी हैं, जिन्होंने राहुल गांधी को उनके गढ़ में शिकस्त देकर इतिहास रच दिया. स्मृति ईरानी आज अपना जन्मदिन मना रही हैं. उनका जन्म 23 मार्च 1976 को नई दिल्ली में हुआ था. अमेठी से सांसद ईरानी मुखरता से अपनी बात रखने के लिए पहचानी जाती हैं. 

पिता नहीं थे फैसले से खुश
स्मृति ईरानी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी थी. उन्होंने ब्यूटी प्रोडक्ट की मार्केटिंग से लेकर कई छोटे-बड़े काम किए, ताकि अपने पिता की मदद कर सकें. बाद में किसी ने उन्हें मुंबई जाकर किस्मत आजमाने का सुझाव दिया, जिसने उनकी किस्मत बदल दी. 1998 में उन्होंने मिस इंडिया का ऑडिशन दिया और उनका चयन हो गया. हालांकि, उनके पिता इससे खुश नहीं थे. इस प्रतियोगिता में भले ही स्मृति जीत हासिल नहीं कर पाईं, लेकिन उन्होंने अपनी एक पहचान जरूर बना ली, जिसका फायदा उन्हें आगे मिला.

लगातार बढ़ता करियर ग्राफ

स्मृति ईरानी को एक्टिंग में उन्हें सबसे बड़ा ब्रेक एकता कपूर ने दिया. साल 2000 में उन्हें 'क्योंकि सास भी कभी बहू' थी में लीड रोल मिल गया और इस शो से वह घर-घर में फेमस हो गईं. 2003 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और भाजपा जॉइन कर ली. इसके बाद वह राजनीति की दुनिया में लगातार अपना परचम फहराती गईं. उन्हें अगले ही साल उन्हें पार्टी ने महिला विंग का उपाध्यक्ष बना दिया. 2010 में वह महिला विंग की अध्यक्ष और भाजपा की राष्ट्रीय सचिव बन गईं. 2014 के लोकसभा के चुनाव में पार्टी ने उन्हें राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी में चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन वह चुनाव हार गईं. 2019 के चुनाव में उन्होंने दोबारा इस सीट से अपनी किस्मत आजमाई और राहुल गांधी को हरा दिया.  स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 54 हजार सात सौ 31 वोटों से हराया था. अमेठी में स्मृति ईरानी को कुल चार लाख 67 हजार पांच सौ 98 वोट मिले, जबकि राहुल गांधी को चार लाख बारह हजार 8 सौ 67 वोट मिले थे. 

आसान नहीं था अमेठी जीतना
केंद्रीय मंत्री स्‍मृति ईरानी की पहले अमेठी से हुई हार और उसके बाद जीत के बीच एक लंबा संघर्ष है. उनके लिए अमेठी को जीतना इसलिए एक मुश्किल काम था, क्‍योंकि ये कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. राहुल गांधी के वहां से 2004, 2009 और 2014 में तीन बार चुनाव जीतने के साथ-साथ इससे पहले ये सीट उनके परिवार के पास रह चुकी है, जिस पर सोनिया और उनसे पहले राजीव गांधी भी चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में स्‍मृति ईरानी की लड़ाई आसान नहीं थी. इसी का नतीजा था कि जब 2014 में उन्‍हें पार्टी ने वहां से मैदान में उतारा तो उनके पास केवल 20 दिन का समय था जिसमें उन्‍होंने पूरी जी-जान से मेहनत की और वो 3 लाख वोट लाने में कामयाब रहीं. इसके बाद तो उन्‍होंने जैसे सोच लिया कि कांग्रेस के इस किले को उन्‍हें फतेह करना है. चुनाव हारने के बावजूद उन्‍होंने अमेठी जाना नहीं छोड़ा और अमेठी को जैसे अपना दूसरा घर बना लिया. इसी का नतीजा ये हुआ कि जब 2019 लोकसभा चुनाव के अमेठी संसदीय क्षेत्र के नतीजे आए तो उसने सभी को चौंका दिया. उन्‍होंने राहुल गांधी को 54721 वोटों से हरा दिया. उन्‍हें अमेठी से कुल 4,67,998 लाख वोट मिले. जबकि राहुल गांधी के पक्ष में 4,12,867 वोट पड़े. अमेठी की ऐतिहासिक जीत के बाद उन्होंने एक ट्वीट करके कहा था - 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...' स्‍मृति ईरानी अमेठी से ऐसे जुड़ीं कि वर्ष 2019 में भाजपा कार्यकर्ता की हत्‍या के बाद वो सिर्फ उसके परिवार को ढांढस बंधाने ही नहीं गईं, बल्कि उन्‍होंने उसकी चिता को कंधा देकर सभी कार्यकर्ताओं का दिल जीत लिया. 

तीन अहम मंत्रालयों की संभाली कमान

स्मृति ईरानी ने 2004 में दिल्ली की चांदनी चौक सीट से कांग्रेस लीडर कपिल सिब्बल के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वह 2011 में गुजरात से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और फिर 2017 में भी संसद पहुंचीं. मोदी सरकार में वह HRD जैसा अहम मंत्रालय भी संभाल चुकी हैं. इसके अलावा, उनके पोर्टफोलियो में टेक्सटाइल और इनफार्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भी शामिल रहा है.  

टेक्सटाइल मिनिस्टर के तौर पर स्मृति ईरानी की उपलब्धियां

स्मृति ईरानी को जुलाई 2016 में टेक्सटाइल मिनिस्टर का कार्यभार सौंपा गया था. इस मंत्रालय में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। नॉर्थ-ईस्ट में टेक्सटाइल को दिया बढ़ावा: साल 2018 में स्मृति ईरानी ने नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में सेरीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए 690 करोड़ रुपये का फंड जारी किया था. इतना ही नहीं, इस फंड की मदद से नॉर्थ-ईस्ट के सात राज्यों में रेडीमेड गारमेंट की 21 फैक्ट्रियां भी लगाई गयीं.

कपड़ा उद्योग: कपड़ा उद्योग के लिए साल 2018 में स्मृति ईरानी ने 6000 करोड़ रुपयों का आवंटन किया गया था और इस आवंटन का मुख्य उद्देश्य इंडस्ट्री के स्मॉल-स्केल निर्माताओं को फाइनेंशियल सहायता पहुंचाकर पूरी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को मजबूती प्रदान करना था.

टेक्निकल टेक्सटाइल को दिया समर्थन: स्मृति ईरानी ने जनवरी 2019 में घोषणा की कि, टेक्निकल टेक्सटाइल आइटम्स एक अलग कैटेगरी हैं. बहुत लम्बे समय से इंडस्ट्री की मांग थी कि टेक्निकल टेक्सटाइल आइटम्स को एक अलग कैटेगरी में रखा जाए. इस फैसले से देश के 90 करोड़ किसानों को प्रमुख रूप से फायदा होगा. साथ ही, इस फैसले की वजह से टेक्सटाइल इंडस्ट्री 2 ट्रिलियन रुपयों के आंकड़े के पार जा सकती है.

लॉन्च की सिल्क समग्र वर्कशॉप: स्मृति ईरानी ने साल 2018 में सिल्क समग्र वर्कशॉप को लॉन्च किया था. यह एक इंटिग्रेटेड स्कीम थी जिसका उद्देश्य 2017 से लेकर 2020 के दौरान सिल्क इंडस्ट्री का विकास करना था. इसके साथ ही स्कीम के अन्य प्रमुख उद्देश्यों में ब्रीडर्स के स्टॉक को मेंटेन करना, R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के माध्यम से ब्रीड में सुधार करना, मैकेनिकल तकनीकों का विकास एवं सुधार करना और स्टेकहोल्डर्स के लिए मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से बीजों कि देख रेख में सहायता करना जैसे मुद्दे शामिल हैं.

बखूबी निभा रहीं हर जिम्मेदारी
स्मृति ईरानी कैबिनेट मंत्री होने के साथ-साथ पत्नी और मां भी हैं और वह इन सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं. उनके दो बच्चे हैं - बेटा जोहर ईरानी और बेटी जोइश ईरानी. कुछ वक्त पहले जब उनकी बेटी को लेकर एक विवाद सामने आया था, तब वह एक ताकतवर मां की तरह जोइश के बचाव में उतर आई थीं और साबित किया था कि परिवार उनके लिए क्या मायने रखता है. स्मृति बेवाकी से अपनी बात रखती हैं और उन्हें विपक्ष के आरोपों के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए बीजेपी का पारंगत हथियार माना जाता है. मोदी सरकार के दोनों कार्यकालों में उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. 

ZEE NEWS और मैकडॉनल्ड्स में की थी प्रारंभिक नौकरी
बहुत कम लोग जानते हैं कि स्मृति ईरानी का खबरों की दुनिया से भी ताल्लुख रहा है. 2019 में राहुल गांधी को हारने के बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने इसका खुलासा किया था. उन्होंने बताया था कि वह न्यूज चैनल जी न्यूज के लिए बतौर स्ट्रिंगर काम किया करती थीं. उन्होंने कहा - 'आज से 18-20 साल पहले मैं एक स्ट्रिंगर का काम करती थी. हम एक सज्जन को रिपोर्ट करते थे और उनका नाम था सुधीर चौधरी. ईरानी ने शुरुआती दिनों में फास्ट फूड चेन मैकडॉनल्ड्स में भी काम किया था. यहां वह वेट्रेस की नौकरी करती थीं.


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